सांस की समस्या के लिए रामबाण है इस लकड़ी की छाल, ऐसे करें इस्तेमाल

Karkatshringi Health Benefits: आयुर्वेद चिकित्सा विधि न सिर्फ सुरक्षित मानी जाती है, बल्कि इसमें मौजूद जड़ी-बूटियां स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में संजीवनी की तरह काम करती हैं। ऐसी ही एक जड़ी-बूटी के बारे में यहां हम आपको बता रहे हैं जो सांसों की समस्याओं के लिए रामबाण माना जाती है।

Karkatshringi Health Benefits In Hindi

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Karkatshringi Health Benefits: सर्दी का मौसम अपने साथ सेहत संबंधी कई समस्याएं लेकर आता है, खासकर सांस संबंधी समस्याएं तो इस मौसम में लोगों को बहुत परेशान करती हैं। इसलिए जिन लोगों को अस्थमा, साइनस और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याएं होती हैं उनके लिए यह मौसम काफी चुनौतिपूर्ण बन जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मौसम में गिरता तापमान इन समस्याओं को बढ़ाने का काम करता है। वहीं देखा जाए तो इन समस्याओं के लिए एलोपैथिक दवाओं का बहुत अधिक प्रयोग हानिकारक होता है, ऐसे में इससे निजात के लिए आयुर्वेद ही विकल्प बचता है। आयुर्वेद चिकित्सा विधि न सिर्फ सुरक्षित मानी जाती है बल्कि इसमें मौजदू कई सारी जड़ी-बूटियां श्वसन यानी की सांस संबंधी समस्याओं में संजीवनी की तरह काम करती है। ऐसी ही एक जड़ी बूटी के बारे में यहां हम आपको बता रहे हैं जो सांसों की समस्याओं के लिए रामबाण माना जाती है।

औषधीय गुणों से भरपूर है काकड़ासिंगीअसल में हम बात कर रहे हैं कर्कटशृंगी की जिसे हिंदी की सामान्य बोलचाल की भाषा में ‘काकड़ासिंगी’ के नाम से जानते हैं, जबकि अंग्रेजी में गाल प्लान्ट कहते हैं। बता दें कि चरक, सुश्रुत जैसे प्राचीन आयुर्वेदीय ग्रंथों में भी काकड़ासिंगी के औषधीय गुणों की वर्णन मिलता है, जहां बताया गया है कि यह सामान्य सर्दी-जुकाम से लेकर सांस संबंधी समस्याओं से निजात पाने के लिए काफी कारगर साबित होता है। दरअसल, यह शरीर में वात और कफ के असंतुलन को कम करने में सहायक होता है, जिससे सांस संबंधी समस्याओं के साथ ही रक्तदोष और अतिसार यानी डायरिया में आराम मिलता है।

कैसे करें इस औषधि का प्रयोगअब अगर आयुर्वेद से अलग सामान्य भाषा में काकड़ासिंगी के लाभ को समझें तो एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों के कारण यह सर्दी-जुकाम, सांस संबंधी समस्याओं के साथ ही पेट से जुड़ी बीमारियों के रोकथाम में असरदार साबित होता है। दरअसल, काकड़ासिंगी में कैरोटेन, ग्लूटामाइन, एस्कॉर्बिक एसिड और निकोटिन एसिड जैसे कम्पाउंड मौजूद होते हैं। इसके कारण सर्दियों के दिनों में इसके प्रयोग से शरीर की रोग प्रतिरोधक बढ़ती है। बात करें इस औषधि के प्रयोग या इस्तेमाल की तो इसकी छाल, पत्तियां और जड़े तीनों प्रयोग में लाई जाती हैं। वहीं बाजार में इसकी लकड़ी के छाल का चूर्ण, पाउडर के रूप में मिलता है जिसे आप आसानी से ऑनलाइन खरीद सकते हैं। अलग-अलग समस्याओं में इसका प्रयोग अलग-अलग तरीके से किया जाता है। तो चलिए जान लेते हैं काकड़ासिंगी किन तरह की समस्याओं में प्रयोग की जा सकती है।

1) सांस संबंधी समस्याओं से निजातकाकड़ासिंगी के छाल और जड़ों के चूर्ण का सेवन करने से श्वास नली में मौजूद म्यूकस पतला होकर निकल जाता है। इससे ढंड में सांस लेने में होने वाली दिक्कत काफी हद तक कम हो जाती है।

2) त्वचा के संक्रमण में राहतकाकड़ासिंगी की पत्तियां स्किन के लिए बेहद लाभकारी होती हैं, दरअसल, इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से त्वचा के संक्रमण में राहत मिलती है।

3) फर्टिलिटी बढ़ाने में मददगारकाकड़ासिंगी की छाल के सेवन से पुरुषों में टेस्टेस्टोरॉन हार्मोन की वृद्धि होती है, जिससे फर्टिलिटी बढ़ती है।

4) बलगम वाली खांसी में राहतछोटे बच्चों को ठंड में बलगम वाली खांसी आने के साथ ही उल्टी करने की समस्या आती है। ऐसे में उनके लिए काकड़ासिंगी के साथ शहद का सेवन करने से काफी हद राहत मिलती है।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

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