हृदय रोगों से बचने के लिए 18 की उम्र में जरूरी लिपिड प्रोफाइल टेस्ट, हाई कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम के लिए CSI ने दी ये सलाह

Lipid Profile Test Is Necessary At The Age Of 18: हाई कोलेस्ट्रॉल या रक्त में लिपिड के असंतुलन (डिस्लिपिडेमिया) की रोकथाम के लिए र्डियोलॉजिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया पहली बाहर गाइडलाइन शेयर की है। जिसमें यह सुझाव दिया गया है कि पहली बार 18 साल की उम्र में लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करा लेना चाहिए। इससे हृदय रोगों से बचाव और उनके प्रबंधन में मदद मिल सकती है।

Lipid Profile Test Is Necessary At The Age Of 18

Lipid Profile Test Is Necessary At The Age Of 18

Lipid Profile Test Is Necessary At The Age Of 18: देश में कोलेस्ट्रॉल के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जो लोगों में हृदय रोगों के कारण होने वाली मौत के लिए जिम्मेदार प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। इसकी गंभीरतो का देखते हुए कार्डियोलॉजिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया ने 18 साल की उम्र में नॉन-एसएफ लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराने की सिफारिश की है। डिस्लिपिडेमिया से बचाव के लिए पहली बार कार्डियोलॉजिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीएसआई) लिपिड प्रोफाइल 18 साल की उम्र में की जाने की सिफारिश की है। हाल ही में उन्हें डिस्लिपिडेमिया की रोकथाम के लिए गाइडलाइन शेयर की हैं, जिसमें हाई कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगों से बचाव के लिए जरूरी सुझाव दिए गए हैं। आपको बता दें कि कम उम्र में लिपिड की जांच कराना बहुत आवश्यक है, इससे भविष्य में हृदय रोगों के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है। भारत में, आधे दिल के दौरे 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में देखने को मिलते हैं। इसलिए भारतीय गाइडलाइन में 18 साल की उम्र में लिपिड की चांज कराने की सिफारिश भी की गई है। यह डिस्लिपिडेमिया से बचाव और इसके प्रबंधन में भी मददगार साबित हो सकता है।

डिस्लिपिडेमिया क्या है - What Is Dyslipidemia In Hindi

मेडिकल न्यूज टुडे के अनुसार, डिस्लिपिडेमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति के रक्त में लिपिड का स्तर असामान्य हो जाता है। इसमें रक्त में किसी फैट या लिपिड की मात्रा बहुत कम या ज्यादा देखने को मिलती है जैसे

खराब या एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का अधिक होना

अच्छे या एचडीएल कोल्स्ट्रॉल का स्तर कम होना

ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल बहुत अधिक होना स्तर

हाई कोलेस्ट्रॉल की स्थिति में खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर अधिक होता है। स्वस्थ रक्त लिपिड का स्तर सभी में अलग-अलग होता है। जिन लोगों में खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर अधिक होता है, उनमें एथेरोस्क्लेरोसिस विकसित होने का खतरा अधिक होता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें नसों में प्लाक जमने लगता है और ब्लॉकेज की समस्या होने लगती है। इससे हार्ट फेलियर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, नर्व डैमेज, ब्रेन हैमरेज जैसी स्थितियां देखने को मिल सकती हैं।

डिस्प्लेडेमिया को कैसे मैनेज कर सकते हैं - How To Manage Dyslipidemia In Hindi

स्वस्थ जीवनशैली, अच्छे खानपान और नियमित एक्सरसाइज की मदद से लिपिड में कोलेस्ट्रॉल के असंतुलन में सुधार करने में मदद मिल सकती है। ऐसे में अपनी जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करने की जरूरत है..

  • स्वस्थ और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें।
  • डाइट में फल-सब्जियां अधिक शामिल करें, इनमें फाइबर भरपूर होता है।
  • नियमित कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें।
  • ज्यादा तला-भुना, मसालेदार भोजन करने से बचें।
  • जंक और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन कम से कम करें।
  • सोडा, कोला और अन्य कार्बोनेटिड ड्रिंक्स से दूरी बनाएं।
  • शराब और स्मोकिंग से परहेज करें।

इन टिप्स को फॉलो करने से आपको कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखने और हृदय रोगों के खतरे को कम करने में बहुत मदद मिल सकती है।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | हेल्थ (health News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

Vineet author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर चीफ कॉपी एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से दिल्ली का रहने वाला हूं। हेल्थ और फिटनेस जुड़े विषयों में मेरी खास दिलचस्पी है।...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited