इस योगासन से छिपकली की तरह लचीला हो जाएगा शरीर, पेट की समस्या भी होगी दूर
Lizard Pose: आजकल की दिनचर्या में खुद को फिट रखना किसी चैलेंज से कम नही है। फिटनेस के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते। कुछ जिम में घंटों पसीने बहाते हैं तो कई सारे लोग स्ट्रीक्ट डाइट फॉलो करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे आसान से योग के बारे में बताने वाले हैं, जिससे न सिर्फ आपका शरीर लचीला होगा बल्कि कई तरह के फायदे भी मिलते हैं।
lizard pose
कैसे करते हैं लिजर्ड पोज
1) सबसे पहले योग को करने के लिए अपना योगा मैट बिछाएं और उसके ऊपर पेट के बल लेट जाएं।
2) लेट कर आपको अधोमुख शवासन का योगा पोज बनाना है। इस योग मुद्रा में दोनों हाथों के बीच में सिर रखते हुए कूल्हों को आसमान की ओर करें।
3) अब अपने दाएं घुटने को दाएं हाथ के पास लाएं और 90 डिग्री के कोण पर रखें और बाएं पैर को एकदम सीधा रखें।
4) लंबी सांस लें और दोनों कोहनियों को जमीन पर मजबूती से रखें। साथ-साथ हथेलियों को भी जमीन पर सीधी रखें।
5) अब इसी मुद्रा में रहकर 5-6 बार गहरी सांस लें। इसके बाद वापिस शुरुआती मुद्रा यानी अधोमुख शवासन का योगा पोज बनाएं और कुछ सेकेंड बनाए रखें।
लिजर्ड पोज करने के फायदे-
1) वेट लॉस
वजन कम करने के लिए उत्थान पृष्ठासन काफी उपयोगी माना जाता है। इस योग आसन को नियमित रूप से करने से पेट और कुल्हों के आसपास की चर्बी कम होती है।
2) छाती और कंधों के लिए
लिजर्ड पोज योगा करने से छाती और कंधों की हड्डियां मजबूत बनी रहती हैं। फुटबॉल के खिलाड़ियों के लिए ये योग काफी मददगार होता है।
3) रीढ़ की हड्डी के लिए
रीढ़ की हड्डी को मजबूत और फ्लेक्सिबल बनाने के लिए ये योग काफी लाभदायक साबित होता है। इसे करने से पीठ में दर्द, जकड़न समेत कई परेशानी दूर रहती हैं।
4) मानसिक स्थिति
मानसित स्थिति को स्वस्थ बनाए रखने के लिए और तनाव-स्ट्रैस से दूर रहने के लिए ये योगासन काफी मददगार होता है।
5) पेट की समस्या
पेट संबंधी बीमारियों में राहत पाने के लिए उत्थान पृष्ठासन काफी अच्छा माना जाता है। पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में भी मदद करता है।
किसे नहीं करना चाहिए लिजर्ड पोज योगासन
1) साइटिका
जिन लोगों को साइटिका के दर्द की समस्या है और पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहता है उन्हें उत्थान पृष्ठासन नहीं करना चाहिए।
2) कलाई-हाथ में चोट
अगर आपके हाथ या फिर कलाई में चोट लगी हुई है तो इस योगासन से परहेज करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे हाथ पर जोर पड़ता है और इससे चोट और बढ़ सकती है।
3) शोल्डर डिस्लोकेट
जिन लोगों का किसी भी कारण कभी भी शोल्डर डिस्लोकेट हुआ हो उन्हें उत्थान पृष्ठासन से बचना चाहिए। इससे कंधों में समस्या हो सकती है।
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