Lying is not a disease: झूठ बोलना आदत नहीं बीमारी है, स्टडी में हुआ साबित, ऐसे लोगों को है मदद की जरूरत

Lying is not a disease : खुद को दूसरों से कम समझने की फितरत इंसान को स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन की राह पर ढकेल देती है। कई बार तो इससे परेशान लोग सुसाइड जैसा कदम भी उठा लेते हैं। ऐसे लोगों को नफरत नहीं बल्कि मदद की जरूरत होती है। पर्सनैलिटी डिसऑर्डर बीमारी की वजह से लोग झूठ बोलने के शिकार हो जाते हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की तकनीक से साइकेट्रिस्ट और साइकोलॉजिस्ट आसानी से इस बीमारी का इलाज सफलता के साथ कर सकते हैं।

lying is not a disease.

झूठ बोलना एक आदत नहीं बल्कि एक बीमारी है

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • झूठ बोलना एक आदत नहीं बल्कि एक बीमारी है
  • पर्सनैलिटी डिसऑर्डर बीमारी से पीड़ित लोगों का इलाज संभव
  • दिमाग में भ्रमजाल बनने से इस बीमारी के लोग खुद को ओरों से कम समझते हैं
Lying is not a disease: झूठ बोलना एक आदत नहीं बल्कि एक बीमारी है। संसार में बहुत से ऐसे लोग हैं, जो अनजाने में कई बार झूठ बोलते हैं। इस कारण़ कई लोग परेशान हैं। झूठ बोलने की इस बीमारी के चलते कई घर टूट गए तो कईयों की तो तलाक होने की नौबत आ चुकी हैं। ऐसा ही एक मामला है अमेरिका के थिएटर कलाकार व निर्माता क्रिस्टोफर मसीमाइन का उनके झूठ बोलने की आदत की वजह से उनकी नौकरी चली गई और तलाक की नौबत आ गई।
खुद को दूसरों से कमतर समझने की फितरत इंसान को स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन की राह पर धकेल देती है। कई बार तो इससे परेशान लोग सुसाइड जैसा कदम भी उठा लेते हैं। ऐसे लोगों को नफरत नहीं बल्कि मदद की जरूरत होती है। दुनिया भर में हुए शोध में जो निष्कर्ष निकल कर सामने आया है, इससे यही साबित होता है कि, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर बीमारी की वजह से लोग झूठ बोलने के शिकार हो जाते हैं। आइए जानते हैं आखिर इस बीमारी की वजह और इलाज के बारे में।
मरीज के दिमाग में बनता है इल्यूजन
मेडिकल की भाषा में इस समस्या को पर्सनैलिटी डिसऑर्डर भी कहते हैं। जब यह समस्या किसी इंसानी दिमाग में चरम पर होती है तो मरीज का माइंड खुद के बारे में इल्यूजन पैदा करने लगता है। इससे पीड़ित इंसान खुद को और गहरे अंधेरे की तरफ ले जाता है। गौरतलब है कि, इस बीमारी का पता चलने पर मरीज इससे मुक्ति के लिए किसी साइकेट्रिस्ट की मदद लेते हुए भी देखे गए हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की तकनीक से साइकेट्रिस्ट और साइकोलॉजिस्ट आसानी से इस बीमारी का इलाज सफलता के साथ कर सकते हैं। पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के बारे में डॉ. दिलीप सोनी कहते हैं कि, यह व्यक्तित्व विकार कई मानसिक हैल्थ प्रॉब्लम का एक ग्रुप है। जिसकी पहचान इंसान की सोच, भावनाओं और व्यवहार की जिद और अनहेल्दी पैटर्न से होती है। इसमें रोगी के इंटरनल अनुभव और व्यवहार अक्सर उस परिवेश में रहने वाले बाकी लोगों से अलग होती है।
अपनी गलती दूसरों पर थोपते हैं
इसे लेकर मनो चिकित्सक कहते हैं कि, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर बीमारी से पीड़ित लोगों को मुख्यतः दूसरों के साथ रहने और अपनी कल्चर के मुताबिक रोजमर्रा के कामों को करने में समस्या होने लगती है। हालांकि वे मानते हैं कि, उनके थिकिंग और बिहेवीयर नॉर्मल है। वहीं उनके पास औरों के लिए एक दृष्टिकोण होता है जो दूसरों की वनिस्पद अलग हो सकता है। यही वजह है कि, उन्हें सामाजिक, शैक्षणिक और पारिवारिक एक्वििटीज में शामिल होने में थोड़ी कठिनाई हो सकती है। इस बीमारी से पीड़ित लोग अपनी मुसीबतों का ठीकरा दूसरों के सिर पर फोड़ना चाहते है। या यूं कहें कि, वे अपनी गलती के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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