मखाने हैं बहुत काम के, लेकिन इन बीमारियों में इन्हें खाना है खतरनाक

Makhana : औषधीय गुणों से लबरेज मखाने का सेवन कई बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है। पोषक तत्वों की खान कहे जाने वाले मखाने में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बाेहाइड्रेट, फाइबर, पोटेशियम व आयरन समेत जिंक बड़ी मात्रा में पाया जाता है।जिनका डाइजेशन सही नहीं रहता ऐसे लोगों को इसके इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए। इसके उपयोग से किडनी स्टोन का आकार बढने का खतरा रहता है। वहीं जिन्हें एलर्जी प्रोब्लम हैं, वो भी इससे दूर रहें, भूलकर भी इसे ना खाएं।

सेहत के रखवाले मखाने का उपयोग इन 3 बीमारियों में ना करें

मुख्य बातें
  • अपच की समस्या वाले लोग मखाना खाने से बचें
  • किडनी स्टोन से पीड़ित रोगी इससे दूर रहें
  • एलर्जी वाले तो भूलकर भी मखाने के बारे में ना सोचें

Makhana : वैसे तो मखाना ड्राईफ्रूट्स की श्रेणी में आता है, जिसका इस्तेमाल मिठाई और नमकीन बनाने में किया जाता है। इसका उपयोग कच्चे व पकाकर दोनों तरीकों से किया जा सकता है। बता दें कि, औषधीय गुणों से लबरेज मखाने का सेवन कई बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है। पोषक तत्वों की खान कहे जाने वाले मखाने में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बाेहाइड्रेट, फाइबर, पोटेशियम व आयरन समेत जिंक बड़ी मात्रा में पाया जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि सुबह इसके इस्तेमाल करने से वनज घटना में काफी मदद मिलती है। वहीं अमीनो एसिड व एंटी - ऑक्सिडेंट की खान मखाने के सेवन से समय से पहले त्वचा में झूर्रियां नहीं पड़ती। आयुर्वेद में तो इसे बांझपन से निजात की रामबाण दवा माना गया है। इसके अलावा भी मानवीय शरीर के लिए मखाने को उपयोगी माना गया है। हालांकि कई परिस्थितियों में मखाना मानवीय शरीर के लिए जहर भी है। तो आइए जानते हैं कौनसी वो परिस्थितियां हैं जिनमें इसका उपयोग वर्जित है।

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डाइजेशन सिस्टम ठीक नहीं तो मखाने के इस्तेमाल से बचें

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हालांकि मखाना तंदुरूस्ती के लिए उपयोगी है, लेकिन जिनका डाइजेशन सही नहीं रहता ऐसे लोगों को इसके इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए। फिलहाल मानवीय शरीर में इससे होने वाले नुकसान को लेकर कोई सटीक मेडिकल साइंस की जानकारी मौजूद नहीं है। हां ये जरूर है कि, इसके बेजा इस्तेमाल से बचना चाहिए। इसके ज्यादा मात्रा में उपयोग से कब्ज व पेट में स्वेलिंग जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं। बता दें कि, मखाना एक बीज है, जो कमल के फूल में पाया जाता है। पानी से पोषित होने वाला ये बीज पानी में मौजूद कई मेटल, फाइबर व प्रोटीन को अधिक मात्रा में सोख लेता है। यही वजह है कि, इसके पचने में समय लगता है। इस कारण खराब पाचन वाले लोग इसे प्रयोग करने से बचें।

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