World Food Day : जानें खान-पान से जुड़ी ये 8 बातें सच या झूठ? सच्चाई जानकर सेहत को मिलेगा पूरा फायदा

हमारे समाज में खान पान को लेकर कुछ ऐसी भ्रांतियां चलती हैं, जिनके बारे में यदि हमें सच्चाई का न पता हो तो यह हमारी हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकता है। आइए वर्ल्ड फूड डे के मौके पर जानते हैं ऐसे ही खान पान से जुड़ी ये 8 बातें...

misconception about food

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हर साल पूरी दुनिया 16 अक्टूबर को वर्ल्ड फूड डे मनाती है। दुनिया भर में भुखमरी, कुपोषण से लड़ने के लिए और हेल्दी डाइट को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन ने इसे मनाना शुरू किया। सब जानते हैं खाना इन्सान की मूल जरूरत का सबसे अहम हिस्सा है और स्वस्थ शरीर के लिए पोषण से भरपूर खाना कितना जरूरी है। इसी वजह से खाने के साथ आती हैं कई सारी भ्रांतियां। आइये कुछ ऐसे ही खाने से जुड़े भ्रमों के बारे में जानते हैं।

1. कार्ब्स हमारे दुश्मन हैं?

खाने को लेकर सबसे बड़े भ्रमों में से एक ये है कि कार्बोहाइड्रेट्स हमारे लिए अच्छे नहीं होते और हमें इनसे भरसक बचना चाहिए। असल में कार्बोहाइड्रेट्स हमारे शरीर और दिमाग के लिए एनर्जी का सबसे जरूरी स्रोत है। खाने में अनाजों, फलों और सब्जियों को शामिल करके और चीनी वाले स्नैक्स को कम करके हम अच्छी सेहत पा सकते हैं

2. डिटॉक्स डाइट्स हमारे लिए जरूरी हैं?

आम तौर पर दावा किया जाता है कि डिटॉक्स डाइट्स हमारे शरीर से टॉक्सिन बाहर निकाल देते हैं लेकिन हमारे शरीर में खुद को डिटॉक्स करने की प्राकृतिक रूप से व्यवस्था है। किडनी और लिवर इसी डिटॉक्स सिस्टम के भाग हैं। मोटे अनाज और सब्जियों से भरपूर संतुलित आहार लेकर हम शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन प्रॉसेस को बेहतर कर सकते हैं।

3. फैट्स हमारे लिए ठीक नहीं हैं?

काफी लंबे समय से एक भ्रम चला आ रहा है कि हमारे खाने में फैट का होना अच्छी बात नहीं है। असल में हर तरह के फैट्स हमारे लिए खराब नहीं होते हैं। 2 तरह के फैट्स होते हैं, हेल्दी फैट्स और अनहेल्दी फैट्स अगर हिसाब से खाया जाए तो फैट्स हमारे हार्ट के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। सैचुरेटेड फैट्स और ट्रांस फैट्स अनहेल्दी फैट्स की लिस्ट में आते हैं, इन्हें सीमित मात्रा में खाना चाहिए लेकिन मोनो सैचुरेटेड फैट्स या पॉलीसैचुरेटेड फैट्स को अगर एक सीमा में खाया जाए तो हेल्दी माना जाता है। ये फैट्स एनर्जी के लिए, हार्मोन प्रोडक्शन के लिए और सेल्स की फंक्शनिंग के लिए जरूरी होते हैं।

4. ताजा फल और सब्जियां फ्रोजन फलों और सब्जियों से बेहतर होते हैं?

लगभग सभी फल और सब्जियां वे चाहे फ्रेश हों या फ्रोजेन हेल्दी होती हैं। अमेरिकन जर्नल ऑफ लाइफस्टाइल मेडिसिन में छपी एक स्टडी बताती है कि फ्रोजेन फल और सब्जियां ताजा फल और सब्जियों जितनी ही पोषक हो सकती हैं। बस हमें उनमें अलग से मिलाए गए शुगर, सैचुरेटेड फैट्स और सोडियम का ध्यान रखना होगा।

5. हम प्लांट-बेस्ड डाइट से जरूरत भर प्रोटीन नहीं पा सकते हैं?

हमारे शरीर को ठीक से काम करने के लिए प्रोटीन की जरूरत पड़ती है। एनिमल-बेस्ड प्रोटीन को कम्पलीट प्रोटीन कहा जाता है क्योंकि इनमें सारे एमिनो एसिड्स होते हैं जिनकी शरीर को प्रोटीन बनाने के लिए जरूरत होती है। प्लांट-बेस्ड प्रोटीन में इन जरूरी एसिड्स की कुछ कमी होती है लेकिन इनकी कमी को पूरा करना कोई मुश्किल काम नहीं है। हर तरह के दालों, जैसे चना, राजमा, बीन्स वगैरह को अपनी डाइट में शामिल करके बिना कॉलेस्ट्रॉल और सैचुरेटेड फैट्स की चिंता किए हम आसानी से प्रोटीन की जरूरत को पूरा कर सकते हैं।

6. ऑर्गेनिक उत्पाद ज्यादा पोषक होते हैं?

ऑर्गेनिक शब्द का मतलब किसी उत्पाद की खेती और प्रोसेसिंग के तरीके से जुड़ा हुआ है। मोटे तौर पर ऑर्गेनिक का मतलब होता है कि किसी फल या सब्जी को उगाने के दौरान उसपर कोई पेस्टीसाइड या फर्टिलाइजर का इस्तेमाल नहीं हुआ है। हालांकि कुछ ऐसी स्टडीज हैं जो ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स का कुछ फायदा बताती हैं लेकिन इसका कोई पुख्ता निष्कर्ष नहीं मिलता है कि ऑर्गेनिक बेहतर होता है।

7. मल्टीग्रेन और होल ग्रेन एक ही हैं?

मल्टीग्रेन और होल ग्रेन एक नहीं होते हैं। होलग्रेन या मोटे अनाज वो अनाज हैं जिनके प्रोसेसिंग में उनके ऊपर की परत जिसे ‘ब्रान’ कहते हैं, नहीं हटाई गयी है, इसी वजह से ये बहुत पोषक होता है और कार्ब्स के अलावा इनमें फाइबर भी भरपूर होता है।
मल्टीग्रेन फूड्स में एक से अधिक अनाज होते हैं लेकिन जरूरी नहीं है कि ये होल ग्रेन से बने हों। मल्टीग्रेन फूड्स में समस्या ये है कि रिफाइनिंग के दौरान इनमें फाइबर समेत कई पोषक तत्वों की कमी आ जाती है। हमें चाहिए कि जब भी हम कोई मल्टीग्रेन प्रोडक्ट खरीदें तो उसपर होल ग्रेन का लेबल देखकर खरीदें।

8. अंडा स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है?

अंडों को लेकर, खास तौर पर उनके योक या जर्दी को लेकर ये भ्रांति बहुत आम है कि इनमें बहुत कॉलेस्ट्रोल होता है। रिसर्च ये बताती है अंडों में पाए जाने वाले कॉलेस्ट्रोल का हमारे ब्लड कॉलेस्ट्रोल पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। कॉलेस्ट्रोल के आलावा अंडे की जर्दी में कई पोषक तत्व होते हैं जिनकी वजह से एक सीमा में अगर अंडे का सेवन किया जाए तो स्वास्थ्य के लिए ये बहुत अच्छे होते हैं।
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मेधा चावला author

हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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