Kidney Health: किडनी को ख़राब कर सकता है मोटापा, एक्सपर्ट से जानिए कैसे गुर्दे को पहुंचता है नुकसान!

Kidney Care: मोटापा पहले से ही कुछ देशों में वयस्क आबादी के एक तिहाई से अधिक में मौजूद है। एक अनुमान के मुताबिक, 2025 तक मोटापा दुनिया भर में 18% पुरुषों और 21% महिलाओं को प्रभावित करेगा। टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में डॉ. पुनीत ने बताया कि किडनी की बीमारी और मोटापे में सीधा संबंध है।

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Kidney Health and Obesity: क्या मोटे लोगों को किडनी की समस्या होती है?

Kidney Health: आपको जानकर हैरानी होगी कि किडनी की बीमारी से पीड़ित सिर्फ 10% लोगों को ही पता होता है कि उन्हें किडनी की बीमारी है। मोटापा किडनी की बीमारी को पैदा करने का प्रमुख और शक्तिशाली जोखिम फैक्टर है। इसके अलावा मोटापा से डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय की बीमारी और क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) होने का भी खतरा रहता है।

एक हाल ही रिपोर्ट में पता चला है कि भारत में 16 में से लगभग एक महिला और 25 में से एक पुरुष मोटापे का शिकार है। रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मोटापा ज्यादा है। कुछ देशों में एक तिहाई से ज्यादा वयस्क आबादी में मोटापा पहले से मौजूद है। मोटापा सम्पूर्ण स्वास्थ्य में नुकसान और हाई एन्युअल मेडिकल कास्ट्स (Annual Medical Costs) में महत्वपूर्ण योगदान देता है। एक अनुमान के मुताबिक, 2025 तक मोटापा दुनिया भर में 18% पुरुषों और 21% महिलाओं को अपनी चपेट में ले लेगा।

मोटे लोगों में किडनी की बीमारी होने का ज्यादा खतरा - Obese people at higher risk of kidney disease

कर्मा आयुर्वेदा के फाउंडर डॉ पुनीत ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि किडनी की बीमारी और मोटापे के बीच सीधा संबंध होता है जो कि एक बहुत ही चिंता का विषय रहा है। कई अध्ययनों में यह भी पता चला है कि डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर भी मोटे लोगों में ज्यादा होता है, वहीं इन लोगों में किडनी की बीमारी भी ज्यादा होने का खतरा रहता है। सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में मोटे लोगों में किडनी की बीमारी होने की संभावना दोगुनी होती है।

मोटापे से किडनी की कार्यक्षमता कैसे प्रभावित होती है? - How does obesity affect kidney function?

डॉ पुनीत ने बताया कि ज्यादा वजन या मोटापे से ग्रस्त होने से किडनी की बीमारी का खतरा कई तरह से बढ़ सकता है। इससे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है। हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन तथा डायबिटीज भी किडनी की बीमारी होने का प्रमुख कारण है। शरीर का अतिरिक्त वजन किडनी को ज्यादा मेहनत करने और सामान्य स्तर से ऊपर के अपशिष्ट पदार्थ को छानने के लिए मजबूर करता है। यह अतिरिक्त काम किडनी की बीमारी का कारण बनता है।

कैसे पता करें कि आप मोटे हैं? - How to know if you are obese?

डॉ पुनीत ने कहा, "मोटापा तब होता है जब पुरुषों और महिलाओं दोनों में 30 से ज्यादा BMI (बॉडी मास इंडेक्स) होता है। पुरुषों में 40 इंच से ज्यादा और महिलाओं में 35 इंच से ज्यादा की कमर की परिधि को भी मोटा माना जाता है। BMI ऊंचाई और वजन के आधार पर शरीर में चर्बी का एक मात्रक होता है। वयस्कों के लिए 18.5 और 25 के बीच BMI को डब्ल्यूएचओ द्वारा सामान्य वजन माना जाता है। 25 से ज्यादा BMI या इसके बराबर को ज्यादा वजन माना जाता है और 30 से ज्यादा या इसके बराबर BMI को मोटापा माना जाता है।

मोटापे को कम करना मतलब किडनी की बीमारी को कम करना - Reducing obesity means reducing kidney disease

अगर आपका ज्यादा वजन है तो अपने शरीर के वजन का 5% कम करना आपके लिए कई बीमारियों के ख़तरे को कम कर सकता है। हर दिन एक्सरसाइज करना और बेहतर वजन बनाए रखना आपके किडनी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में नाटकीय रूप से आपकी मदद कर सकता है। नमक के सेवन में भी कमी करने से भी लाभ मिल सकता है। रेडी-टू-ईट और पैक्ड खाद्य पदार्थ आमतौर पर नमक से भरे होते हैं। ज्यादा नमक का किडनी के काम पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और इससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। नमक से खासकर मोटे और बुजुर्गों में ब्लड प्रेशर ज्यादा बढ़ता है।

धूम्रपान और शराब का सेवन, पर्याप्त नींद की कमी और बहुत ज्यादा ओवर-द-काउंटर (OTC) दर्द निवारक दवाएं भी आपकी किडनी को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आलस भरी लाइफस्टाइल से छुटकारा पाना भी जरूरी होता है।

किडनी फेलियर या किडनी की बीमारी के लिए प्राकृतिक या आयुर्वेदिक इलाज है ? - Ayurvedic Treatment For Kidney Failure

डॉ पुनीत ने बताया, "भारत में हर साल हजारों लोग CKD और धीरे-धीरे किडनी फेलियर से पीड़ित होते हैं। हालांकि डायलिसिस और ट्रांसप्लांट इन समस्याओं से निजात पाने के सामान्य उपाय हैं। हालांकि इन उपायों का इस्तेमाल किडनी बीमारी के आखिरी स्टेज में किया जाता है। लेकिन इन दोनों उपायों के कई साइड इफेक्ट होते हैं। उदाहरण के लिए डायलिसिस के दौरान ट्रांसप्लांट या संक्रमण होने से मरीज के शरीर द्वारा किडनी को अस्वीकार करने की संभावना होती है।"

उन्होंने आगे बताया, "इन खतरों को ध्यान में रखते हुए किडनी की बीमारियों के इलाज के लिए आयुर्वेद इलाज लंबे समय में ज्यादा प्रभावी होता है। शरीर के इलाज का प्राचीन विज्ञान किसी भी प्रकार के किडनी खराब होने के संकेतों को खत्म करने और क्षतिग्रस्त किडनी कोशिकाओं को फिर से निर्मित करने करने के लिए अच्छे से काम करता है। इसके अलावा जहां एलोपैथिक दवाओं में साइड इफेक्ट होता है तो वहीं आयुर्वेदिक दवाओं में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।"

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प्रणव मिश्र author

मीडिया में पिछले 5 वर्षों से कार्यरत हैं। इस दौरान इन्होंने मुख्य रूप से टीवी प्रोग्राम के लिए रिसर्च, रिपोर्टिंग और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए काम किया...और देखें

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