Osho Diet: कैसा था ओशो का डाइट प्लान, जानिए आखिर क्या खाते थे दुनिया को अपने इशारों पर नचाने वाले 'भगवान' रजनीश
Osho Diet (क्या खाते थे ओशो): ओशो मानते थे कि अगर आप चिंता के भाव में भोजन कर रहे हैं तो मुमकिन है कि वह खाना आपके लिए जहर का काम करे। वहीं अगर आप पूरे आनंद भाव से खा रहे हैं, तो कई बार संभावना भी है कि खाने में मिला जहर भी आप पर असर ना करे।
Source: Osho World
Osho Diet Plan and Daily Routine: ओशो- एक ऐसा नाम जो इस धरती से जाने के करीब 34 साल बाद भी उतना ही प्रासंगिक बना हुआ है जितना अपने जीवन काल में रहा। ओशो जिन्हें लोग ‘आचार्य रजनीश’ और ‘भगवान रजनीश’ के नाम से भी पुकारते थे, अपने अनुयायियों के लिए सिर्फ ओशो थे, हैं और रहेंगे। ‘ओशो’ का अर्थ है वो शख़्स जिसने अपने आपको सागर में विलीन कर लिया हो। हालांकि 11 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश के जबलपुर में जन्मे ओशो का असली नाम चंद्रमोहन जैन था।
ओशो ने लोगों के बीच अपने दर्शन को इस तरह से रखा कि आज भी उनका अनुसरण करने वालों की संख्या करोड़ों में है। ओशो ने ना सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर में इतनी ख्याति प्राप्त की जितना कोई सपने में भी नहीं सोच सकता। ओशो के सिद्धांत आज भी लोगों को सूट करते हैं तभी तो 1990 में उनके निधन के 34 साल बाद भी उनके प्रवचन, व्याख्यान और भाषणों की किताब और सीडी आज भी बड़ी मात्रा में बिकती है। आज भी लोग सोशल मीडिया में ओशो के दर्शन को समझने और अपने जीवन में उतारने की कोशिश कर रहे हैं।
ओशो भोजन को लेकर कहते थे कि एक स्वस्थ शरीर के लिए ये जरूरी नहीं है कि आप क्या खा रहे हो, जरूरी ये है कि आप किस मनोदशा में खा रहे हो। खाते वक्त आपका चित्त कैसा है, मतलब कि भोजन के वक्त आप खुश हो, उदास हो, क्रोधित हो या फिर किसी चिंता में हो। ओशो के मुताबिक आप जिस मनोदशा में भोजन करते हैं उसका वैसा ही असर आपकी सेहत और शरीर पर पड़ता है। ओशो मानते थे कि अगर आप चिंता के भाव में भोजन कर रहे हैं तो मुमकिन है कि वह खाना आपके लिए जहर का काम करे। वहीं अगर आप पूरे आनंद भाव से खा रहे हैं, तो कई बार संभावना भी है कि खाने में मिला जहर भी आप पर असर ना करे।
बात ओशो के खुद के भोजन की करें तो वो हर चीज आजमाया करते थे। सोशल मीडिया और ओशो पर लिखी किताबों के अनुसार उन्हें भोजन में मटर और गोभी की सब्जी खाना काफी पसंद था। इसके अलावा सूप और दाल भी उनकी पसंदीदा हुआ करती थी। वह भोजन के साथ चटनी जरूर लिया करते थे। ओशो के साथ लंबे समय तक काम करने वालीं मां अमृत मुक्ति कहती हैं कि, 'भोजन के बारे में सद्गुरु ओशो की एक विशेष बात थी कि जो चीज उनको पसंद आती थी उसको खा लेते थे और पसंद न आने पर दोबारा नहीं बनाने की सलाह दे देते थे। जिसे देखकर साफ झलकता था कि उनके मन में शिकायत का भाव बिल्कुल भी पैठ नहीं बना सकता।'
ओशो मीठे के भी फैन थे। उन्हें मलाई के लड्डू और रसगुल्ले खूब पसंद थे। हालांकि जब वह अमेरिका के रजनीशपुरम आश्रम से भारत लौटे तो उनकी रुचि चटपटे खाने में बढ़ गई। पूना वाले ओशो आश्रम में कुछ समय तक पाव भाजी और कचौड़ी आचार्य रजनीश की पसंदीदा हो गई थी। ओशो इटैलियन खाना भी बड़े चाव से खाते थे। इटैलियन में वे सफेद सॉस वाली या उबली हुई खाने की चीजें पसंद करते थे।
ओशो का दिन सुबह 5 बजे शुरू होता था। वह सबसे पहले सुबह 6 बजे काली चाय और फिर 7 बजे दूध वाली चाय पीते थे। चाय के साथ वह सेव भी लेते थे। नाश्ता वह सुबह 8 बजे के प्रवचन के बाद ही करते थे। उनके दोपहर के भोजन में पीने के लिए जूस अवश्य होता था। यहां तक की सुबह स्नान के बाद भी ओशो जूस जरूरी पीते थे। रात में ओशो भोजन के बाद कुछ मीठा खाकर 11 बजे तक जरूर सो जाते थे।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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