दक्षिण एशिया में हर साल 6500 से अधिक किशोरियों की होती है इस वजह से मौत, कम उम्र में प्रेग्नेंसी भी एक बड़ा कारण
Over 6500 Adolescent Girls Die Every Year In South Asia: निसेफ, डब्ल्यूएचओ, और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के एक संयुक्त विश्लेषण में दक्षिण एसिया में किशोरियों में बढ़ते मामलों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। विश्लेषण में यह साने आया है कि यहां हर 6500 से भी अधिक किशोरियों की मौत हो रही है।
Over 6500 Adolescent Girls Die Every Year In South Asia
Over 6500 Adolescent Girls Die Every Year In South Asia: दक्षिण एशिया में किशोरियों की मौत के बढ़ते मामलों की एक बड़ी वजह सामने आई है। यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ, और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के एक संयुक्त विश्लेषण में यह कहा गया है कि यहां हर 6500 से भी अधिक किशोरियों की मौत हो रही है। आपको बता दें कि इनमें ज्यादातर नाबालिग लड़कियां होती हैं। विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि दुनिया भर में बालिका वधु (Child Bride) का आधा हिस्सा दक्षिण एशिया से है। यहां लगभग 29 करोड़ बालिका वधु हैं। कम उम्र में लड़कियों की मौत की क्या वजह और इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
किस वजह से होती है किशोरियों की मौत
संयुक्त विश्लेषण के अनुसार दक्षिण एशिया में किशोरियों में बढ़ते मौत के मामलों की एक वजह कम उम्र में गर्भवती होना है। हर साल करीब 6,500 किशोरियों की मौत डिलीवरी के दौरान ही होती हैं। कम उम्र की लड़कियां या बालवधु शारीरिक रूप से इतनी परिपक्व नहीं होती हैं कि वे एक बच्चे को जन्म दे सकें।
उनमें बच्चे के जन्म के समय मृत्यु होने का खतरा बहुत अधिक होता है। ऐसी हजारों लड़कियां हैं, जिन्हें स्कूल में पढ़ाई छोड़ जीवनभर कई तरह की सामाजिक चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। आंकड़ों की मानें तो दक्षिण एशिया में 49 प्रतिशत किशोरियां शिक्षा, रोजगार और प्रशिक्षण का हिस्सा नहीं बन पाती हैं।
किशोरियों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
संयुक्त विश्लेषण के अनुसार, मौत के मामलों को कम करने के लिए यह आह्वान किया गया है कि दक्षिण एशिया में हर साल बच्चों को जन्म देने वाली लड़कियों को जरूरी सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं। लगभग 22 लाख से अधिक लड़कियों तक अहम सेवाएं पहुंचाने का आह्वान किया गया है।
यूनिसेफ यूनिसेफ के दक्षिण एशिया मामलों के क्षेत्रीय निदेशक संजय विजेसेकरा का कहना है कि एशिया में 17 करोड़ से अधिक किशोर लड़कियों की संभावनाओं को पूरा करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्हें बेहतर शिक्षा मिलनी चाहिए, रोजगार और प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी समान अवसर मिलने चाहिए। इसके अलावा, कम उम्र में किशोरियों की शादी और गर्भावस्था को लेकर जागरूकता को बढ़ावा देने को लेकर काम किया जाना चाहिए।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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Vineet author
मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर चीफ कॉपी एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से दिल्ली का रहने वाला हूं। हेल्...और देखें
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