शरीर के इस हिस्से में बार-बार हो रहा दर्द? तो बढ़ा रहा है आपका ब्लड शुगर, तुरंत कराएं डायबिटीज की जांच
Blood Sugar: शरीर में बढ़ता ब्लड शुगर कई तरह की परेशानी की ओर इशारा करता है। इस स्थिति में आपको थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत होती है। खासतौर से शरीर के कुछ खास हिस्सों में होने वाला दर्द इसके शुगर लेवल बढ़ने के लक्षण को दिखाता है।
Blood Sugar: डायबिटीज मरीजों को अपने ब्लड शुगर के स्तर को ध्यान में रखकर अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करने की जरूरत होती है। लंबे समय तक शरीर में हाई ब्लड शुगर का होना जोड़ों और मांसपेशियों में जटिलताओं को बढ़ावा देता है। शरीर में लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर होने की वजह से काफी ज्यादा दर्द रहता है। लेकिन अच्छी बात यह है कि डायबिटीज की वजह से होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है। साथ ही इसका इलाज भी उपलब्ध है। आइए जानते हैं डायबिटीज की वजह से पैरों में दर्द क्या है?
क्या डायबिटीज के कारण पैरों में दर्द हो सकता है?डायबिटीज की वजह से पैरों में दर्द की परेशानी हो सकती है। दरअसल, लंबे समय तक डायबिटीज की स्थिति में आपकी मांसपेशियों के आसपास की नसों को नुकसान पहुंच सकती है। इस स्थिति को डायबिटीक न्यूरोपैथी कहा जाता है। डायबिटीक न्यूरोपैथी के कारण पैर में दर्द की परेशानी हो सकती है, जिसकी वजह से चलने और एक्टिव रहने में परेशानी हो सकती है। डायबिटीज न्यूरोपैथी घाव और संक्रमण जैसी अधिक गंभीर जटिलताओं को भी जन्म दे सकती है। जब संक्रमण बहुत गंभीर हो, तो पैरों के टिश्यूज मरने सकते हैं।
इस स्थिति में मरीज को अपने पैर या निचले पैर को काटने की आवश्यकता हो सकती है। डायबिटीज न्यूरोपैथी बहुत गंभीर हो सकती है। यही कारण है कि अगर आपको इसके हल्के लक्षण भी दिखाई देने लगें, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह की जरूरत होती है।
डायबिटीज न्यूरोपैथी के लक्षण क्या हैं?1) पैरों में जलन होना
2) पैर में दर्द और ऐंठन होना
3) गोली चलना या बिजली का झटका होना
4) टांगों या पैरों में दर्द
5) झुनझुनी और चुभन संवेदनाएं
6) हल्के स्पर्श की प्रतिक्रिया में या मोज़े और जूते पहनने से भी दर्द होना, इत्यादि।
7) डायबिटीज की वजह से पैरों में दर्द होना काफी सामान्य है, लेकिन अगर यह दर्द बढ़ जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है।
डायबेटिक की गंभीर स्थिति में लापरवाही भारी पड़ सकती है। हो सकता है कि इसी दौरान नसें भी फटने का खतरा न बढ़ जाए। हालांकि, इस दौरान फिजिकली एक्टिविटी को करते रहें। खान-पान दुरुस्त रखें और पर्याप्त नींद भी लें। ऐसा करने से इस बीमारी को कुछ हद तक काबू रखा जा सकता है।
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