Pandemic Alert: कोविड-19 की तरह अगले दशक तक आ सकती है घातक महामारी

Pandemic Alert: वर्तमान में भारत ही नहीं दुनिया भर के कई देश COVID-19 या कोरोनावायरस महामारी की चपेट में है लेकिन ऐसा नहीं है कि ऐसा पहली बार हुआ है। वास्तव में भारत में महामारियों का इतिहास 1900 के दशक का है। हाल ही में लंदन की एक हेल्थ फर्म में भविष्यवाणी करते हुए बताया है कि अगले दशक में कोरोना की तरह ही एक और घातक महामारी आ सकती है।

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Covid -19 की तरह ही फ़ैल सकती है नयी महामारी ?

Pandemic Alert: साल 2019 में आयी कोरोना महामारी ने समूचे विश्व को हिला दिया। महामारी को आये 4 साल बीत चुके हैं लेकिन वायरस पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा है। भारत में ही अब तक ओमिक्रॉन के 400 से ज्यादा सब-वैरिएंट सामने आ चुके हैं। दुनिया भर में कोरोना के सैकड़ों वैरिएंट सामने आ चुके हैं और अभी भी कई वैरिएंट और सब वैरिएंट सामने आ रहे हैं। इसी बीच लंदन की एक हेल्थ एनालिटिक्स फर्म ने बताया कि अगले दशक तक कोरोना की तरह ही एक और घातक महामारी आ सकती है।

भविष्य बताने वाला हेल्थ एनालिटिक्स फर्म के अनुसार, 27.5% संभावना है कि अगले दशक में कोविड-19 की तरह ही अन्य रूप में कोई घातक महामारी आ सकती है, क्योंकि वायरस बहुत तेजी के साथ अपना दायरा बढ़ता है। बड़े पैमाने पर तेजी के साथ वैक्सीन रोलआउट के जरिये ही घातक वायरस पर काबू पाया जा सकता है। लंदन स्थित एयरफिनिटी लिमिटेड के अनुसार, जलवायु परिवर्तन, अंतर्राष्ट्रीय यात्रा में बढ़ोतरी, बढ़ती आबादी और जूनोटिक बीमारियों से उत्पन्न खतरा ऐसे बीमारियों के जोखिम को और बढ़ा देता है। फर्म के मॉडलिंग के अनुसार, यदि कोई भी नए पैथोजन के खोजे जाने के 100 दिनों के बाद इफेक्टिव वैक्सीन किसी लगाए जाते हैं, तो घातक महामारी की संभावना 8.1% तक गिर जाती है।

एयरफिनिटी ने बताया कि सबसे ख़राब स्थिति की बात करें तो बर्ड फ्लू वायरस का एक म्युटेटेड रूप जो कि ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन के जरिये एक दिन में ही ब्रिटेन में 15000 हजार लोगों की मृत्यु हो सकती है। दुनिया अब कोविड-19 के साथ जी रही है, स्वास्थ्य विशेषज्ञ अगले संभावित वैश्विक खतरे की तैयारी पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पिछले दो दशकों में पहले से ही तीन प्रमुख कोरोना वायरस देखे गए हैं जो SARS, MERS और Covid-19 का कारण बनते हैं, इसके साथ ही साल 2009 में स्वाइन फ्लू महामारी भी शामिल है।

H5N1 बर्ड फ्लू स्ट्रेन का तेजी से प्रसार पहले से ही चिंता का विषय है। जबकि अभी तक बहुत कम लोग संक्रमित हुए हैं और इसके ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन के अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं। पक्षियों और स्तनधारियों में बढ़ता इंफेक्शन रेट वैज्ञानिकों और सरकारों के बीच चिंता पैदा कर दी है कि वायरस ऐसे भी रूप में म्यूटेट हो सकता है जिससे इसके ट्रांसमिशन में आसानी हो सके।

एयरफिनिटी ने कहा कि MERS और जीका जैसे कई हाई रिस्क वाले पैथोजन के लिए एप्रूव्ड वैक्सीन और इलाज उपलब्ध नहीं है। मौजूदा निगरानी नीतियों से समय पर और ढंग से एक नई महामारी का पता लगाने की फ़िलहाल कोई संभावना नहीं है, जो महामारी की तैयारी और उससे बचाव के लिए तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती हो।

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प्रणव मिश्र author

मीडिया में पिछले 5 वर्षों से कार्यरत हैं। इस दौरान इन्होंने मुख्य रूप से टीवी प्रोग्राम के लिए रिसर्च, रिपोर्टिंग और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए काम किया...और देखें

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