Papaya For Babies: बच्चों की कई समस्याओं की दवा है पपीता, जानिए किस तरह से करें इसका सेवन

Health Benefits Of Papaya For Babies: पपीता नवजात शिशु के लिए स्वस्थ ठोस खाद्य पदार्थों में से एक है जिसे बच्चे को अतिरिक्त पोषण प्रदान करने के लिए चार महीने के बाद मां के दूध के साथ थोड़ी मात्रा में दिया जा सकता है। आइये जानते हैं सेवन करने का तरीका-

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Papaya For Babies: बच्चों को पपीता कब, कैसे और कितना देना चाहिए?

Papaya For Babies: किसी भी नवजात शिशु के लिए मां का दूध पोषण का पहला स्रोत होता है। चार महीने के बाद बेहतर वृद्धि और पोषण के लिए मां के दूध के साथ कुछ ठोस आहार देना शुरू किया जाता है। जिसमें मुख्य रूप से कई तरह के फल और सब्जियां शामिल हैं।

चार महीने के बाद नवजात शिशुओं के आहार में इन फलों और सब्जियों को शामिल करने से बड़े होने पर उन खाद्य पदार्थों में उनकी रुचि बढ़ जाती है। इतना ही नहीं ये फल और सब्जियां भविष्य में नवजात शिशुओं में मोटापे और एलर्जी के खतरे को भी कम करती हैं । पपीता नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए एक ऐसा ही फायदेमंद फल है। पपीता नवजात शिशुओं के लिए स्वास्थ्यप्रद ठोस खाद्य पदार्थों में से एक है । पोषण प्रदान करने के लिए मां के दूध के साथ थोड़ी मात्रा में दिया जा सकता है।

जिसे चार महीने के बाद बच्चे को अतिरिक्त पोषण प्रदान करने के लिए मां के दूध के साथ थोड़ी मात्रा में दिया जा सकता है। आइए जानें चार महीने के बाद नवजात शिशु के आहार में पपीते को शामिल करने के फायदे। बच्चों के लिए पपीता खाने के फायदे इस प्रकार हैं-

रैशेज

पपीते का गूदा बच्चों में रैशेज से निजात पाने का कारगर उपाय हो सकता है। पपीते में वास्तव में मौजूद पपैन और काइमोपेन में जलनरोधी प्रभाव होता है। ऐसे में पपीते के गूदे को त्वचा पर लगाने से दाने और दर्द कम हो जाते हैं। हालांकि, डॉक्टर बच्चे की त्वचा पर पपीता लगाने से पहले पैच टेस्ट की सलाह देते हैं।

कब्ज

बच्चों में कब्ज एक आम समस्या है। दवा के अलावा जीवनशैली में बदलाव और उचित आहार से भी इसका इलाज किया जा सकता है। पपीता डाइटरी फाइबर और पपैन जैसे एंजाइम से भरपूर होता है। यह पाचन तंत्र में सुधार करता है और बच्चों में कब्ज की समस्या को दूर करता है।

आंतों के कीड़े

कुपोषण, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने, मिट्टी में चलने या दूषित भोजन करने से छोटे बच्चों में कीड़े हो सकते हैं। पपीता और इसके बीजों में कीटनाशक और अमीबानिरोधी गुण होते हैं, जो बच्चे को नुकसान पहुंचाए बिना मल से परजीवी को हटाने में मदद करते हैं। इस उपाय के लिए पपीते के बीजों का पाउडर बना लें और इसे एक चम्मच शहद के साथ कुछ दिनों तक दें।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए

ऐसा माना जाता है कि विटामिन ए की सबसे ज्यादा मात्रा गाजर और टमाटर में होती है। लेकिन हम आपको बता दें, पपीते में इन दोनों से भी ज्‍यादा विटामिन ए होता है। पपीते में विटामिन सी, बी विटामिन, पैंटोथेनिक एसिड, फोलेट, पोटेशियम, मैग्नीशियम और फ्लेवोनोइड्स जैसे कई अन्य पोषक तत्व भी होते हैं। इन सभी महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का एक प्रभावी इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव होता है जो बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।

बच्चों को पपीता देने का सही तरीका

सबसे पहले छोटे बच्चों को पपीता देना शुरू करें। इसके लिए आप उसे पपीते की प्यूरी देना शुरू कर सकते हैं। हालांकि ऐसा करते समय यह देख लें कि उसे इस फल का स्वाद पसंद है या नहीं। साथ ही क्या पपीता खाने के बाद बच्चों को किसी तरह की एलर्जी या त्वचा पर लाली आती है? यदि ऐसा होता है, तो तुरंत अपने चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श लें।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

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प्रणव मिश्र author

मीडिया में पिछले 5 वर्षों से कार्यरत हैं। इस दौरान इन्होंने मुख्य रूप से टीवी प्रोग्राम के लिए रिसर्च, रिपोर्टिंग और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए काम किया...और देखें

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