Postpartum Depression: नई मम्मी हो रही हैं उदास, कहीं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार तो नहीं, पहचानें लक्षण
Postpartum depression symptoms:नई मां की जिंदगी में खुशियों के साथ ही ढेर सारी जिम्मेदारियां और बदलाव भी आते हैं। ऐसे में कई बार वे डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं, जिसे अक्सर वह पहचान नहीं पातीं और न चाहते हुए भी कई परेशानियों से घिर जाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नई मां कई बार डिप्रेशन का शिकार होती हैं, लेकिन वे इसका उपचार नहीं लेतीं। परिवार का साथ इस स्थिति को सुधारने में मददगार हो सकता है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शिकार होती हैं अधिकांश मां
- विश्व स्तर पर महिलाओं के लिए परेशानी बना पोस्टपार्टम डिप्रेशन
- नई मां में होते हैं कई शारीरिक और मानसिक बदलाव
- शरीर में बदलता है कई हार्मोन का स्तर
Postpartum Depression:किसी भी महिला के लिए मां बनना सबसे बड़ी खुशी है। एक नन्हीं जिंदगी को इस दुनिया में लाकर हर महिला अपने आप को पूर्ण महसूस करती है। लेकिन इन नई खुशियों के साथ ही ढेर सारी जिम्मेदारियां और बदलाव भी एक महिला की जिंदगी में आते हैं। उसके सोने-जागने के समय के साथ ही खान-पान, रहन-सहन सब बदल जाता है। ऐसे में वह कई सारे शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों का सामना करती है। इनसे जूझते हुए अकसर प्रसूताएं डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। कई बार महिलाएं इस स्थिति को भांप लेती हैं, लेकिन अक्सर इसे वे नजरअंदाज कर बैठती हैं। दरअसल, इसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है। जिसके लिए समय पर सही कदम उठाना बेहद जरूरी है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के चलते नई माएं अक्सर परेशान रहती हैं। उनमें चिड़चिड़ापन आने लगता है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि अधिकांश महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार होती हैं, लेकिन भारत में 80 प्रतिशत महिलाएं इस बारे में किसी से कुछ नहीं बोलतीं और खुद ही इस स्थिति से लड़ती रहती हैं। जिससे समस्या हल होने की जगह और विकट हो जाती है।
विश्व स्तर पर पीड़ित हैं महिलाएं
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार दुनियाभर में पोस्टपार्टम डिप्रेशन से महिलाएं पीड़ित हैं और यह आंकड़ा विश्व स्तर पर करीब 60.8% है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रसव के बाद मां के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के साथ ही थायराइड हार्मोन के स्तर में बदलाव आता है। जिससे प्रसुताओं को मूड स्विंग जैसी समस्याएं होती हैं। जो आगे चलकर डिप्रेशन का कारण बनती हैं।
इन लक्षणों से पहचानें पोस्टपार्टम डिप्रेशन
डॉक्टर्स के अनुसार जरूरी नहीं है कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण सभी महिलाओं में एक से हों। हालांकि कुछ कॉमन समस्याएं अधिकांश नई मांओं में पाई जाती हैं। जैसे बच्चे से कम लगाव। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार स्टडी बताती है कि विश्व स्तर पर करीब 34 प्रतिशत मां शुरुआत में बच्चे के साथ इमोशनल रिलेशन नहीं बना पाती हैं। वहीं 36 प्रतिशत मांओं को हमेशा ये डर रहता है कि कहीं उनके बच्चे को कोई नुकसान न हो जाए। इसी के साथ भूख ज्यादा या कम लगना, नींद न आना या ज्यादा आना, हर समय थकान महसूस करना जैसे लक्षण नजर आते हैं।
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परिवार बने सहारा, बताए-हम तुम्हारे साथ हैं
मनोचिकित्सक डॉ. अनीता गौतम का कहना है कि भारत में अक्सर महिलाएं अपनी मेंटल हेल्थ पर ध्यान नहीं देतीं। अगर वे परेशान भी हों तो किसी को जल्दी से बताती नहीं हैं। ऐसे में परिवार को अहम भूमिका निभानी होती है। नई मां का साथ देना चाहिए। बच्चे की देखभाल से लेकर अन्य कामों में मां की मदद करें। नई मां के साथ परिवार वाले समय बिताएं। उसे ये महसूस करवाएं कि बच्चे को संभालने के लिए वह अकेली नहीं है, सब उसके साथ है। अपने डेली रूटीन में चेंज करें, जिससे मां को सोने का भरपूर समय मिल सके। जरूरत महसूस होने पर काउंसलिंग करवाएं।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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