जानें किन कारणों से महिलाओं में बढ़ रही है बांझपन की समस्या, शिफ्ट में काम करना भी है बड़ी वजह

क्या आप भी शिफ्ट के हिसाब से काम कर रही हैं, यदि हां तो ये आपकी हेल्थ के लिए बहुत बुरा साबित हो सकता है। हाल ही में हुए एक शोध में साबित हुआ है कि शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में इनफर्टिलिटी यानी बांझपन की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। जानिए क्या हैं इसके नुकसान—

शिफ्ट में काम करने से बढ़ रही बांझपन की समस्या (Source:istock)

Infertility in women: एक या दो दशक पहले बांझपन की समस्या थी, लेकिन इतनी नहीं जितनी आज है। हाल के वर्षों में बांझपन एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है। इनफर्टिलिटी की समस्या को रोकने के लिए कई तकनीक आ चुकी हैं, लेकिन इसके साथ-साथ बांझपन की समस्या भी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। आज-कल यंग मैरिड कपल्पस को देखें तो 10 में से 6 जोड़े बच्चे पैदा करने में देरी कर रहे हैं, केवल 4 कपल्स ही समय रहते संतान को जन्म दे रहे हैं। इनफर्टिलिटी की समस्या कई कारणों से बढ़ती जा रही है, जिसमें शिफ्ट में काम करना भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है।

एंडोक्रॉनोलॉजी की 25वीं यूरोपीय कांग्रेस में पेश किए गए एक शोध में बताया गया कि मादा चूहों पर 4 सप्ताह तक किए गए एक प्रयोग में उनकी दिनचर्या को अस्त व्यस्त कर दिया गया। जिससे देखा गया कि उनकी प्रजनन क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई।

शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है प्रभाव—हमारे शरीर में एक प्राकृतिक घड़ी काम करती है जो सूर्य की रोशनी के हिसाब से हमारे शरीर को चलाती है। ये जैविक घड़ी हमारी कई गतिविधियों जैसे सोने-जागने का चक्र, हार्मोन का स्त्राव और प्रजनन शामिल हैं। ये सभी चीजें रात में जागने से प्रभावित होते हैं। प्रजनन क्षमता में कमी का कारण काम के घंटों में अनियमितता, नाइट शिफ्ट में काम करना, बार-बार शेड्यूल में बदलाव शामिल हैं। लगातार नाइट शिफ्ट में काम करने से मासिक धर्म की अनियमितता, प्रजनन दर में कमी, गर्भपात और समय से पहले जन्म जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ गया है। इसके अलावा स्मोकिंग, शराब पीना और अनहेल्दी फूड्स खाना भी हमारी फर्टिलिटी को कमजोर कर रहा है।

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