Explainer: क्या थायराइड में चावल खाना चाहिए? क्या चावल खाने से थायराइड की समस्या बढ़ जाती है - जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Should We Eat Rice In Thyroid: थायराइड रोगियों को आमतौर पर यह सलाह दी जाती है कि उन्हें ग्लूटेन फ्री चीजों का सेवन करना चाहिए। लेकिन चावल और रोटी में भी ग्लूटेन होता है। ऐसे में जो लोग चावल खाने के शौकीन हैं वे इस बात को लेकर काफी असमंजस में रहते हैं कि उन्हें चावल खाना चाहिए या नहीं। यहां जानें इस पर क्या है एक्सपर्ट की राय।

Should We Eat Rice In Thyroid

Should We Eat Rice In Thyroid: जिन लोगों को थायराइड की बीमारी है उन्हें इलाज के दौरान अपने खानपान का बहुत खास ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। क्योंकि आप जो कुछ भी खाते हैं, वह आपकी थायराइड ग्रंथि के फंक्शन को प्रभावित करता है। इस दौरान अनहेल्दी, जंक और प्रोसेस्ड फूड्स आदि का सेवन थायराइड फंक्शन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इसलिए थायराइड ग्रंथि की स्वस्थ फंक्शन के लिए यह बहुत आवश्यक है कि आप स्वस्थ और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें। लेकिन बहुत सी चीजें ऐसी भी होती हैं, जो आमतौर पर स्वस्थ होती हैं, लेकिन थायराइड के मरीजों के लिए नुकसानदेह हो सकती हैं। जैसे थायराइड से पीड़ित महिलाओं को आमतौर पर चावल खाने से परहेज करने की सलाह काफी दी जाती है, जबकि रोटी खाना स्वस्थ माना जाता है। लेकिन चावल हम भारतीयों के सबसे कंफर्ट फूड्स में से एक है। देश के कई राज्य ऐसे भी हैं जिनमें रोटी की तुलना में चावल का अधिक सेवन किया जाता है। वहीं जब भोजन की बात आती है, तो रोटी और चावल दोनों को ही समान समझा जाता है। ऐसे में थायराइड के मरीज अक्सर यह सवाल पूछते हैं कि थायराइड में चावल खाना चाहिए या नहीं? क्या थायराइड में चावल खाना नुकसानदेह होता है? आपके इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने डायटीशियन गरिमा गोयल से बात की। यहां जानें थायराइड में चावल का सेवन कितना सेफ है?

आइए पहले समझते हैं थायराइड क्या है?- What Is Thyroid In Hindi

मायो क्लिनिक के अनुसार, हाइपोथायरायडिज्म जिसे आम भाषा में थायरायड कहा जाता है, जीवनशैली से जुड़ा एक गंभीर रोग है। यह स्थिति तब पैदा होती है जब हमारी थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है। आपको बता दें कि थायराइड ग्रंथि हमारी गर्दन पर स्थित एक ग्रंथि होती है, जो दिखने में तितली के जैसी होती है। इसका आकार भी लगभग तितली के समान ही होता है। यह थायरोक्सिन (टी3) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी4) नामक दो महत्वपूर्ण हार्मोन बनाती है। लेकिन जब थायराइड ग्रंथि अपना काम ठीक से नहीं करती है, तो वह किसी एक हार्मोन का उत्पादन बहुत कम करती है या बहुत ज्यादा। ऐसे में हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति देखने को मिलती है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) की मानें तो थायराइड रोग पर विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, भारत में लगभग 42 मिलियन लोगों के थायराइड रोगों से पीड़ित होने का अनुमान है। थायराइड की बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है, ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाएं हार्मोनल असंतुलन के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। आमतौर पर महिलाओं में हाइपोथायरायडिज्म के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। इस स्थिति को अंडरएक्टिव थायराइड भी कहा जाता है, क्योंकि इस स्थिति में थायराइड हार्मोन का उत्पादन जरूरत से कम होता है। अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज न किया जाए, तो इसकी वजह से महिलाओं को कई अन्य तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है जैसे हाई कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, गर्भधारण न होना, बच्चे का विकास ठीक से न होना, पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं आदि।

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