डेंगू बीमारी का खतरा हो सकता है कम, मच्छरों को नियंत्रित करना संभव, रिसर्च में सामने आई ये बात

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने ऐसी बायोकेमिकल (biochemical) प्रक्रियाओं की खोज की है जो डेंगू पैदा करने वाले मच्छर के अंडों को कठिन परिस्थितियों में जीवित रहने और अनुकूल परिस्थितियों में फिर से जीवित होने में सक्षम बनाती हैं। इस रिसर्च में इंस्टीट्यूट फॉर स्टेम सेल साइंस एंड रीजनरेटिव मेडिसिन, बेंगलुरु आईआईटी मंडी का सहयोगी है।

risk of dengue disease

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने ऐसी बायोकेमिकल (biochemical) प्रक्रियाओं की खोज की है जो डेंगू पैदा करने वाले मच्छर के अंडों को कठिन परिस्थितियों में जीवित रहने और अनुकूल परिस्थितियों में फिर से जीवित होने में सक्षम बनाती हैं। इस रिसर्च में इंस्टीट्यूट फॉर स्टेम सेल साइंस एंड रीजनरेटिव मेडिसिन, बेंगलुरु आईआईटी मंडी का सहयोगी है।

आईआईटी का कहना है कि यह शोध मच्छरों द्वारा फैलाई जाने वाली बीमारियों के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है जो अधिक प्रभावी वेक्टर नियंत्रण उपायों के लिए एक नयी आशा प्रदान करता है। मच्छर विभिन्न बीमारियों के महत्वपूर्ण वाहक होते हैं। वो अपने अंडे पानी में देते हैं और जब वह फूटते तो लार्वा उत्पन्न होते हैं। डेंगू और जीका के अंडे एडीज मच्छर द्वारा दिए जाते हैं जोकि बिना पानी के लंबे समय तक रह सकते हैं।

यह प्रक्रिया ठीक उसी प्रकार है जैसे पौधे के बीज नमी के अभाव में धैर्यपूर्वक अंकुरण की प्रतीक्षा करते हैं। इस घटना की जानकारी होने के बावजूद, शुष्कन सहनशीलता और पुनर्जलीकरण के बाद जीवित रहने के पीछे मौलिक कारण अब तक एक रहस्य बने हुए हैं।

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