Lung Cancer: धूम्रपान न करने वालों में भी बढ़ रहा है लंग कैंसर का खतरा, क्या है वजह?
Pollution Causes Lung Cancer: इस समय फेफड़ों के कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। वैसे तो फेफड़े के कैंसर के लिए धूम्रपान को जिम्मेदार ठहराया जाता है लेकिन अब कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जो धूम्रपान नहीं करते हैं। ऐसे लोगों में फेफड़ों के कैंसर के लिए प्रदूषण को जिम्मेदार माना जाता है।
Pollution Causes Lung Cancer: धूम्रपान न करने वालों में भी बढ़ रहे हैं लंग कैंसर के मामले!
Lung Cancer vs Pollution: आमतौर पर फेफड़ों के कैंसर का कारण धूम्रपान और तंबाकू को माना जाता है, लेकिन नए शोध में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट और लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज के शोध में दावा किया गया है कि धूम्रपान न करने वालों को भी फेफड़े का कैंसर हो सकता है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार , फेफड़ों का कैंसर 2020 में कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है। इससे दुनिया भर में हर साल 18 लाख मौतें होती हैं। लंदन के वैज्ञानिकों के नए शोध में कहा गया है कि फेफड़ों के कैंसर के ऐसे कई मामले हैं जिनमें धूम्रपान की कोई भूमिका नहीं होती है। मौके पर जाकर इसका कारण जाना..
वायु प्रदूषण से कैंसर का खतरा
शोधकर्ताओं का कहना है कि वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर का एक प्रमुख कारण बन गया है। इससे फेफड़ों के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण के अति महीन कण अकाल मृत्यु का कारण बनते हैं। इन्हें पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 कहा जाता है। ये इतने बारीक होते हैं कि सांस और मुंह के जरिए आसानी से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और दिल, दिमाग और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
लंग कैंसर प्रदूषित हवा से होता है ?
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ता डॉ. चार्ल्स स्वैंटन का कहना है कि पीएम 2.5 के महीन कण फेफड़ों में पहुंचकर जमा हो जाते हैं। पहले म्यूटेशन फिर धीरे-धीरे ट्यूमर बनाते हैं। जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, कुछ कोशिकाएं जो सामान्य रूप से सक्रिय नहीं होती हैं, वायु प्रदूषण के कारण म्यूटेशन की प्रक्रिया से गुजरती हैं और प्रसार करना शुरू कर देती हैं। ये कोशिकाएं ट्यूमर बनाती हैं।
शोध में क्या निकला?
जैसा कि मेडिकल न्यूज टुडे की रिपोर्ट है, शोधकर्ताओं ने इंग्लैंड, दक्षिण कोरिया और ताइवान में 463,679 लोगों से स्वास्थ्य डेटा लिया। डेटा की जांच में फेफड़ों के कैंसर और वायु प्रदूषण के बीच संबंध पाया गया। चूहों पर हुए शोध में यह बात साबित हो चुकी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि चूहों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि जैसे-जैसे वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, ट्यूमर की गंभीरता, आकार और संख्या बढ़ती जाती है।
शोधकर्ता एमिलिया लिम के मुताबिक फेफड़ों के कैंसर के ऐसे कई मामले सामने आते हैं। जब मरीज को पता चलता है कि धूम्रपान न करने के बावजूद उसे कैंसर है। वास्तव में, दुनिया के 99 प्रतिशत लोग ऐसे स्थानों पर रहते हैं जहाँ प्रदूषण का स्तर WHO के मानकों से कहीं अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 117 देशों के 6 हजार से ज्यादा शहरों के वायु गुणवत्ता स्तर की जांच की गई। सर्वेक्षण में पाया गया कि अधिकांश देशों में वायु गुणवत्ता खराब है। उनमें से ज्यादातर मध्यम आय वाले देश थे।
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