महामारी के कारण बढ़ा मानसिक रोगों का खतरा, विश्व के 20 फीसदी लोग दिमागी रूप से अस्वस्थ , स्टडी में सामने आई ये बात

दुनिया भर में करोड़ों लोग किसी न किसी परेशानी से जूझ रहे हैं। शारीरिक बीमारियों के साथ-साथ मानसिक समस्याओं ने भी लोगों को घेर कर रखा है। कोरोना महामारी के कारण बड़ी संख्या में लोग मानसिक रोगों की चपेट में आ गए हैं। इन चुनौतियों से न केवल उम्रदराज़ लोग त्रस्त हैं, बल्कि जवान भी। ताज़ा आंकड़ों की मानें तो अभी विश्व के 20 फीसदी बच्चे और किशोर मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। इतना ही नहीं 15 से 29 साल की उम्र के युवाओं के बीच मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है।

mental diseases

दुनिया भर में करोड़ों लोग किसी न किसी परेशानी से जूझ रहे हैं। शारीरिक बीमारियों के साथ-साथ मानसिक समस्याओं ने भी लोगों को घेर कर रखा है। कोरोना महामारी के कारण बड़ी संख्या में लोग मानसिक रोगों की चपेट में आ गए हैं। इन चुनौतियों से न केवल उम्रदराज़ लोग त्रस्त हैं, बल्कि जवान भी। ताज़ा आंकड़ों की मानें तो अभी विश्व के 20 फीसदी बच्चे और किशोर मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। इतना ही नहीं 15 से 29 साल की उम्र के युवाओं के बीच मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है। भारत और चीन जैसे देश भी इन चुनौतियों से जूझ रहे हैं। जाहिर है कि दुनिया की दो सबसे बड़ी आबादी वाले राष्ट्रों को अपने नागरिकों को मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने की दिशा में ध्यान देने की जरूरत है।

चीन में लगभग दस प्रतिशत वयस्क डिप्रेशन की कगार पहुंच चुके हैं। जबकि किशोरों में मानसिक समस्या बड़ी चुनौती है। चीन के मुकाबले भारत की स्थिति ज्यादा खराब है। भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति भावनात्मक और व्यवहार संबंधी समस्याओं से परेशान है। जबकि लगभग 6-7 करोड़ लोग सामान्य और गंभीर मानसिक विकार से पीड़ित हैं। भारत में आत्महत्या करने की समस्या बहुत व्यापक हो चुकी है, हर साल करीब दो लाख 60 हज़ार से अधिक लोग अपनी जान ले लेते हैं।

डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक भारत में प्रति लाख लोगों पर आत्महत्या की औसत दर 10.9 है। चीन में हाल में जारी रिपोर्ट में मानसिक अवसाद को लेकर चेतावनी दी गयी है। बताया गया है कि चीन में लगभग 10 वयस्क लोगों में से एक व्यक्ति डिप्रेशन की चपेट में है।

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