Eye Care: डिजिटल स्क्रीन से बढ़ रहा मायोपिया का खतरा, जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीके

Causes of Myopia: आधुनिक युग में डिजिटल गैजेट्स हमारे डेली रूटीन में गहराई तक रच-बस गए हैं। फिर भी, इस निर्भरता से जुड़ी कुछ चिंताएं भी हैं। हम जितना अधिक समय स्क्रीन पर बिताएंगे, आंखों से संबंधी रोग होने का डर उतना ही अधिक होगा। विशेष रूप से बच्चों में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल चिंता की बड़ी वजह है।

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बच्चों-युवाओं में बढ़ रही है मायोपिया की दिक्कत

Myopia Prevention And Control: मोबाइल, कंप्यूटर या अन्य तकनीकों के अत्यधिक इस्तेमाल से आंखों की समस्याएं बढ़ रही हैं। हाल के दिनों में युवाओं को कई तरह के विकारों का शिकार होते देखा जा रहा है। इनमें से मायोपिया आंखों की एक ऐसी समस्या है, जिसका शिकार छोटे बच्चे भी होते देखे जाते हैं। जीवनशैली में गड़बड़ी, लंबे समय तक कंप्यूटर और मोबाइल स्क्रीन देखने की आदत के कारण इस समस्या का खतरा बढ़ रहा है। 20 से 40 वर्ष की उम्र के लोगों को मायोपिया की समस्या होने का खतरा अधिक होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साल 2010 में लगभग 200 करोड़ लोग मायोपिया से पीड़ित थे। यह संख्या 2030 तक 330 करोड़ होने का डर है। बच्चों और किशोरों मे स्क्रीन टाइम और मायोपिया होने के मामलों की पुष्टि इस दिशा में किए जा रहे शोध से होती है। इसके पीड़ितों में तीन साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या ज्यादा है, जिनमें देखने की क्षमता गंभीर स्तर तक प्रभावित हो जाती है।

क्या ज्यादा स्क्रीन टाइम से मायोपिया का खतरा भी बढ़ जाता है? - Does more screen time also increase the risk of myopia?

जेएनआर चिल्ड्रेन ऑय केयर एवं स्क्विंट क्लिनिक के डॉ. सिद्धार्थ केसरवानी ने बताया कि एक हालिया रिपोर्ट में स्क्रीन टाइम और बच्चों और युवाओं में मायोपिया होने की आशंका और इसकी गंभीरता के बीच संबंध पर प्रकाश डाला गया है। मायोपिया को आम बोलचाल की भाषा में निकट दृष्टिदोष कहा जाता है। इस शोध मे 3000 से ज्यादा अध्ययनों के गहन विश्लेषण को शामिल किया गया था, जिनमें स्मार्ट गैजेट्स के प्रयोग और तीन माह से 33 साल के वयस्कों में मायोपिया होने के बीच संबंध की पड़ताल की गई थी।

उपलब्ध आंकड़ों की व्यापक जांच और स्टैटिस्टिकल एनालिसिस से शोधकर्ताओं ने पाया कि स्मार्ट उपकरणों जैसे - मोबाइल फोन की स्क्रीन का संबंध मायोपिया के विकास से पाया गया। पाया गया कि इसका ज्यादा इस्तेमाल करने वालों में मायोपिया का खतरा 30 प्रतिशत तक ज्यादा होता है। इसके अलावा, कंप्यूटर का जरूरत से ज्यादा प्रयोग और अधिकतर समय स्क्रीन के सामने बिताने पर यह खतरा लगभग 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।

मायोपिया के लक्षण क्या हैं? - What are the symptoms of myopia?

डॉ. सिद्धार्थ केसरवानी के मुताबिक मायोपिया के कारण बार-बार सिर में दर्द होना इसके साथ ही दूर स्थित चीजों को देखने की कोशिश करने पर धुंधला दिखाई देना। दूर की चीजों को साफ-साफ देखने के लिए पलकों को थोड़ा बंद करने या नजरें टेढ़ी करने की जरूरत होना। आंखों में तनाव महसूस करना, विशेष रूप से दूर की चीजों पर लंबे समय तक ध्यान केंद्रित रखने पर और बच्चों के मामलों में उन्हें क्लास-रूम में वॉइटबोर्ड्स या प्रोजेक्टेड स्क्रीन पर देखने मे परेशानी हो सकती है। कम उम्र के बच्चे भले ही देखने में परेशानी के बारे मे बता नहीं सकें, लेकिन उनके व्यवहार में यह परेशानी दिखाई देने लगती है। उदाहरण के लिए, लगातार नजरें टेढ़ी करना, दूर की चीजों के बारे में जानकारी न होना, बार-बार पलकें झपकाना, कई बार आंखें मसलना या टीवी के नजदीक बैठना।

निकट दृष्टिदोष से पीड़ित युवाओं में सड़कों या स्टोर्स में लगे साइन बोर्ड को पढ़ने में परेशानी महसूस हो सकती है। कुछ लोगों को कम रोशनी के हालात में धुंधला दिखाई दे सकता है, जैसे- रात को ड्राइविंग करते समय। ऐसा तब भी हो सकता है, जब उन्हें दिन के समय स्पष्ट रूप से दिखाई देता हो। रात को होने वाली इस परेशानी को नाइट मायोपिया कहा जाता है।

स्क्रीन टाइम की सीमा क्या है? - Screen Time for Children

डॉ. सिद्धार्थ केसरवानी का कहना कि आज की डिजिटल दुनिया में स्क्रीन टाइम से बचना मुश्किल हो सकता है। विशेष रूप से जब काम, स्कूल या सोशल मीडिया पर दोस्तों से जुड़े रहने और टेक्स्ट मेसेज भेजने की बात हो। हालांकि, कम उम्र के बच्चे अब डिजिटल उपकरणों पर ज्यादा घंटे बिताने लगते हैं। दो से पांच साल उम्र के बच्चों को वीकडेज में एक घंटे से कम का स्क्रीन टाइम बिताना चाहिए, जबकि वीकएंड्स पर तीन घंटे तक स्क्रीन टाइम की सलाह दी गई है। छह साल और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों को सलाह दी गई है कि उनके स्क्रीन टाइम का संतुलन हेल्दी हैबिट्स और डेली रूटीन के साथ होना चाहिए। अमेरिकन एकैडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोल्सेंट साइकिएट्री की भी सलाह है कि परिवार के साथ भोजन और बाहर घूमने के दौरान स्क्रीन्स से बचना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को बेडरूम से बाहर रखना चाहिए और सोने से लगभग आधा घंटा पहले स्क्रीन बंद कर देना चाहिए।

मायोपिया के खतरे को कैसे कम करें? - 5 Ways to Reduce Myopia Naturally

सूरज की रोशनी के कम संपर्क से बच्चों की आंखों और दृष्टि पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसलिए सूर्य के रोशनी में बच्चों को खेलने और उसके सम्पर्क में रहने के लिए कहें। विशेषकर कम उम्र में बाहर समय बिताने से निकट दृष्टिदोष के विकास की गति धीमी हो सकती है और यह भी पाया गया है कि बाहर बिताए गए अधिक समय से मायोपिया के नए मामलों का खतरा 50 प्रतिशत तक कम हो सकता है। पैरेंट्स भी अपने बच्चों की आंखों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं, जैसे- 18 से 24 माह उम्र के नवजातों में डिजिटल मीडिया का प्रयोग सीमित करना। 20-20-20 के नियम का पालन करना, जिसका अर्थ है कि आपको कम से कम 20 फीट दूर स्थित किसी चीज की ओर देखने के बाद 20 सेकंड का ब्रेक लेना चाहिए। इससे लंबे स्क्रीन टाइम से पैदा होने वाला आंखों का तनाव और थकान कम होगा। साथ ही यह सुनिश्चित करना कि बच्चे बिस्तर पर जाने से एक घंटे पहले से डिजिटल उपकरणों का प्रयोग न करें।

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लेटेस्ट न्यूज

प्रणव मिश्र author

मीडिया में पिछले 5 वर्षों से कार्यरत हैं। इस दौरान इन्होंने मुख्य रूप से टीवी प्रोग्राम के लिए रिसर्च, रिपोर्टिंग और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए काम किया...और देखें

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