Ramadan 2023: रमजान का रोजा रखते वक्त इन बातों का रखें खास ख्याल, नहीं तो बिगड़ सकती है तबियत
Fasting tips for Ramadan: रमदान का पाक महीना शुरू हो चुका है, ऐसे में अल्लाह की इबादत करने के साथ साथ रोजा रखने का भी खास महत्व होता है। हालांकि इतने लंबे समय तक कुछ न खाने से सिरदर्द, चक्कर आना, थकान आदि की शिकायत हो सकती है। खास तौर से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर के मरीजों को इसलिए रमजान का रोजा रखते वक्त इन बातों का ध्यान रखना, आपकी सेहत के लिए अच्छा हो सकता है, देखें फास्टिंग टिप्स।
Ramadan 2023
Fasting tips for Ramadan: मुस्लिम परिवारों के लिए रमदान (Ramadan) का पाक महीना बहुत खास होता है, 23 मार्च से शुरू हुए रमदान में नेकी और ऊपर वाले की इबादत करने के साथ साथ रोजा रखने का भी बहुत गहरा महत्व होता है। रमजान के रोजे में सूर्योदय होने के बाद तब तक कुछ खाने पीने की मनाही होती है, जब तक सूरज ढल न जाए। रोजा रखने वाले लोग दिन में सिर्फ दो ही बार खाना खाते हैं, पहला सूरज उगने से पहले सेहरी (Sehri) में और दूसरा शाम को सूरज ढलने के बाद इफ्तार (Iftaar) में। इस कठिन रोजे में दिन भर कुछ भी खाने पीने की मनाही होती है, हालांकि इस दौरान लंबे समय से बिना खाए पीए रहने की वजह आपको कुछ असहजता हो सकती है।संबंधित खबरें
सेहरी और इफ्तार के वक्त सही ढंग से खान पान न करने पर शरीर में पानी और पोषण की कमी हो सकती है। जिससे डिहाइड्रेशन, चक्कर आना, सिर दर्द, पेट दर्द, एसिडिटी, जी मिचलाने की शिकायत हो सकती है। वहीं स्थिति और खराब तब हो सकती है, जब आप पहले से ही डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर आदि जैसी किसी बीमारी से पीढ़ित हैं। इसलिए रमजान का रोजा रखते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना अत्यधिक जरूरी है, नहीं तो तबियत बिगड़ने का खतरा हो सकता है। यहां देखें रमदान के लिए फास्टिंग टिप्स, जिन्हें रोजा रखने वालो को फॉलो करना ही करना चाहिए। संबंधित खबरें
रोजा रखने वाले लोग इन बातों को न करें नजरअंदाजरमजान पाक का रोजा रखने वाले लोगों को सेहरी से इफ्तारी के बीच वाले वक्त में कुछ भी खाने की अनुमति नहीं होती है। लंबे समय तक बिना खाए पीए रहने से कुछ स्थितियों में सेहत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। खासतौर से उन लोगों के शरीर पर जिन्हें पहले कोई क्रोनिक बीमारी हो या जिन्हें इतनी देर बिना खाए रहने की आदत न हो। रोजा रखने वाले लोग अच्छी सेहत के लिए इन चीज़ो का जरूर ध्यान रखें -
- सेहरी और इफ्तारी दोनों के वक्त ही आपको कुछ हेल्दी खाना चाहिए, ताकि दिन भर में बिना खाए पीए रहने से शरीर का जो पोषण और एनर्जी खत्म हुई है। उसे वापस हासिल किया जा सके, नहीं तो सिर दर्द, थकान, पेट दर्द की शिकायत बढ़ सकती है।
- पूरे दिन कुछ न खाने के एकदम बाद से ही बहुत सारा खा लेना हानिकारक हो सकता है। इसलिए भूख लगने के बाद भी एक हद में ही खाना खाएं, वहीं कोशिश करें कि आप डाइट में लो फैट, कुछ हल्का और हेल्दी ही खा रहे हो।
- रोजा तोड़कर पानी के साथ साथ ग्लूकोज, नमक शक्कर का पानी, नारियल पानी, जूस आदि जैसी चीज़ो का अत्यधिक मात्रा में सेवन करें। इससे पेट दर्द, एसिडिटी, सिर दर्द की शिकायत दूर हो सकती है। रोजा तोड़ते वक्त चाय कॉफी बहुत नहीं पीनी चाहिए, नहीं तो पेट में जलन हो सकती है।
- सेहरी के लिए आपको बिना ज्यादा नमक वाला खाना बनाना चाहिए, क्योंकि ज्यादा नमक खाने से भी एनर्जी लॉस हो सकता है। जिसकी वजह से आपको दिन भर थका हुआ अथवा कमजोर महसूस होता रहेगा। सेहरी में फल, सब्जी, दही, सूप, पराठा खाना अच्छा हो सकता है।
- रमदान का रोजा तोड़ते वक्त जंक न खाएं, क्योंकि मसाले और तेल वाले खाने से भी शरीर को नुकसान हो सकता है। दरअसल पूरे दिन कुछ नहीं खाने के बाद अगर आप तला गला या जंक खा लेते हैं, तो इससे अपच, जलन की शिकायत हो सकती है।
- पेट की समस्या की छुट्टी करने के लिए आप रमदान में ज्यादा से ज्यादा फ्लूइड डाइट, हाई फाइबर वाला खाना खाने की कोशिश करें। जिसमें साबुत अनाज, हाई फाइबर सीरियल, फल, ज्वार-बाजरा, बीन्स, फलियां, दाल, ड्राई फ्रुट्स, नट्स आदि शामिल हैं।
- दिन भर कुछ खा नहीं रहे हैं तो इसका ये मतलब नहीं होना चाहिेए कि आप दिन भर बिना हिले-ढूले एक ही जगहे बैठे हैं। क्योंकि रमजान रोजा रखते वक्त ये करना भी गलत माना जाता है। कोशिश करें कि आप दिन भर में हल्की-फुल्की शारीरिक एक्टिविटी करते रहें।
डायबीटिज वाले ध्यान दें
शुगर के मरीजों के लिए रमजान का रोजा रखना अच्छा और बुरा दोनों ही माना जा सकता है। क्योंकि दिन में एक बार ही अच्छे से खाने से शरीर में इंसुलिन का इनटेक भी कम हो जाता है, जिससे शुगर नियंत्रण में रह सकती है। हालांकि दवा खाने वाले लोगों के लिए ये समझना भी जरूरी है कि, दवा लेने के लिए आपको सेहरी और इफ्तारी में अच्छा और हेल्दी खाना ही खाना होगा। जिससे दवा का बहुत ज्यादा नकारात्मक प्रभाव न पड़े। डाइबिटीज के मरीजों को रोजे में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स मील लेनी चाहिए। जिसमें नेचुरल फैट, प्रोटीन, फाइबर, सीरियल अच्छी मात्रा में शामिल हो।संबंधित खबरें
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अवनि बागरोला author
मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर ट्रेनी कॉपी राइटर कार्यरत हूं। मूल रूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन की...और देखें
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