गर्भवती महिलाओं को मलेरिया से बचाएगी NIH की ये वैक्सीन, मां और बच्चा दोनों को रखेगी सेहतमंद
Vaccine To Protect Pregnant Women From Malaria: गर्भवती महिलाएं अगर मलेरिया की चपेट में आ जाती है, तो यह उनके व गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसकी वजह से हर साल हजारों गर्भवती महिलाओं की मृत्यु हो जाती है, वहीं लाखों बच्चे मृत पैदा होते हैं। हाल ही में इसे बचाव एनआईएच ने इससे बचाव के लिए नई वैक्सीन का ट्रायल किया है, जिसके काफी अच्छे परिणाम मिले हैं।
Vaccine To Protect Pregnant Women From Malaria
Vaccine To Protect Pregnant Women From Malaria: प्रेग्नेंसी के दौरान मलेरिया संक्रमण मां और बच्चा दोनों के स्वास्थ्य के बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। मलेरिया मच्छरों के काटने से फैलने वाला एक खतरनाक संक्रमण है। यह परजीवी एनोफिलीज मच्छरों के काटने से फैलता है। बरसात के मौसम में इन मच्छरों का प्रकोप और भी अधिक बढ़ जाता है। इसलिए मानसून में के बाद मलेरिया के मामले सबसे अधिक देखने को मिलते हैं। गर्भवती महिलाओं में भी यह बहुत आम है, लेकिन उनके लिए यह काफी खतरनाक भी है। रिपोर्ट्स की मानें तो अफ्रीका में हर साल 50 हजार तक गर्भवती महिलाएं अपनी जान गवां देती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, यह गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। इसकी वजह से हर साल दो लाख बच्चे मृत पैदा होते हैं।
लेकिन अब अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने गर्भवती महिलाओं को मलेरिया से बचाने का तरीका खोज लिया है। उन्होंने एक क्लीनिकल परीक्षण में मलेरिया से बचाव के वैक्सीन ढूंढ ली है, जिसके काफी अच्छी परिणाम देखने को मिले हैं। इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
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गर्भवती महिलाओं को मलेरिया से बचाएगा ये टीका
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को को मलेरिया के प्रकोप से बचाने में परीक्षणाधीन टीका बहुत कारगर साबित हो सकता है। इस पीएफएसपीजेड वैक्सीन को अमेरिकी जैव प्रौद्योगिकी कंपनी सानारिया द्वारा निर्मित किया गया है। यह एक पीएफ स्पोरोजोइट्स पर आधारित एक रेडियेशन-अटेंयूटेड वैक्सीन है। परिक्षण में इस वैक्सीन को बहुत प्रभावी पाया गया है। यह इतनी कारक है कि इसकी कोई बूस्टर डोज लेने की भी आवश्यकता नहीं है।
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क्लीनिकल परीक्षण में सामने आए बेहतरीन परिणाम
यह परीक्षण एनआईएच के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शन डिसीज (NIAID) और माली स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ साइंसेज, टेक्निक्स एंड टेक्नोलॉजीज, बामाको (USTTB) द्वारा किया गया। परीक्षण के दौरान 18 से 38 वर्ष की आयु की 300 स्वस्थ महिलाओं शामिल किया गया। इनमें वह महिलाएं शामिल थीं, जिनमें वैक्सीन लगने के लिए बात गर्भवती होने की उम्मीद थी। सबसे पहले महिलाओं को मलेरिया वायरस के परजीवियों को हटाने के लिए दवाई दी गई। उसके बात महिलाओं को हर एक-एक महीने के गैप में तीन इंजेक्शन लगाए गए। इसके अलावा, कुछ महिलाओं को इंजेक्शन के तौर पर सिर्फ सलाइन दिया गया, वहीं अन्य महिलाओं को 1-2 डोज परीक्षणाधीन टीके की दी गई।
शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन महिलाओं को पीएफएसपीजेड वैक्सीन की दो डोज दी गईं, उनमें परजीवी संक्रमण और नैदानिक मलेरिया का खतरा कम हो गया। महिलाओं में यह सुरक्षा बिना किसी वैक्सीन की बूस्टर डोज के भी दो साल तक बनी रही। वहीं अन्य परीक्षणों में यह पाया गया है कि तीसरी वैक्सीन लगवाने के बाद गर्भवती होने वाली महिलाओं में जिन्हें कम डोज वाला टीका गिया गया उनमें पैरासाइटेमिया के खिलाफ वैक्सीन 65% प्रभावी थी, वहीं जिन्हें हाई डोज वाला टीका मिला उनमें वैक्सीन 86% प्रभावी देखी गई।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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