Pregnancy: बच्चे की योजना बना रहे हैं? डॉक्टर से जानिए महिलाओं की फर्टिलिटी से जुड़े कुछ मिथक और उनका सच!

Pregnancy and Infertility: जब प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था की बात आती है, तो कई मिथक और किंवदंतियां हैं। कई दशकों से लोग इन मिथकों पर विश्वास करते आ रहे हैं और यही वजह है कि कई बार युवा जोड़े जरूरत पड़ने पर भी डॉक्टर से सलाह लेने से कतराते हैं। डॉ. शिखा टंडन, कंसल्टैंट बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ ने प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था से संबंधित कुछ मिथकों को खारिज किया। आइये जानते हैं-

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Common Misconceptions About Infertility: प्रजनन क्षमता का मतलब महिला या पुरुष की बच्चा पैदा करने की क्षमता है। एम्स के मुताबिक भारत में 10 से 15 प्रतिशत दंपत्तियों को इन्फर्टिलिटी की समस्या है। लेकिन इन्फर्टिलिटी का शिकार 30 मिलियन दंपत्तियों में से केवल तीन मिलियन लोग ही इसका इलाज कराने की कोशिश कर रहे हैं। बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ की कंसल्टेंट डॉ. शिखा टंडन टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि दंपत्तियों को प्रजनन क्षमता (Myths About Infertility) की समस्याओं के बारे में बात करने और मेडिकल परामर्श लेने से रोकने में इससे जुड़ा सामाजिक कलंक, मिथकें और इन समस्याओं के बारे में फैली भ्रांतियां मुख्य भूमिका निभाती हैं। भारत में इसके कलंक का भार अक्सर महिलाओं को उठाना पड़ता है। आइये डॉक्टर से महिलाओं की प्रजनन क्षमता से जुड़े 8 मिथकों और उनके सच्चाई के बारे में जानते हैं।

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सच: डॉ. शिखा टंडन ने कहा कि ज्यादातर प्राचीन संस्कृतियों का विश्वास रहा है कि जन्म देने की शक्ति देवी मां की रही है। समय के साथ प्रजनन महिलाओं की जिम्मेदारी बन गया। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्सटीट्रिशियंस एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स के अनुसार इन्फर्टिलिटी के 40 से 50 प्रतिशत मामले पुरुषों में पाए जाते हैं।

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