Pregnancy: बच्चे की योजना बना रहे हैं? डॉक्टर से जानिए महिलाओं की फर्टिलिटी से जुड़े कुछ मिथक और उनका सच!
Pregnancy and Infertility: जब प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था की बात आती है, तो कई मिथक और किंवदंतियां हैं। कई दशकों से लोग इन मिथकों पर विश्वास करते आ रहे हैं और यही वजह है कि कई बार युवा जोड़े जरूरत पड़ने पर भी डॉक्टर से सलाह लेने से कतराते हैं। डॉ. शिखा टंडन, कंसल्टैंट बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ ने प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था से संबंधित कुछ मिथकों को खारिज किया। आइये जानते हैं-
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Common Misconceptions About
मिथकः फर्टिलिटी केवल महिलाओं की समस्या है - Is infertility just a woman's problem?
सच: डॉ. शिखा टंडन ने कहा कि ज्यादातर प्राचीन संस्कृतियों का विश्वास रहा है कि जन्म देने की शक्ति देवी मां की रही है। समय के साथ प्रजनन महिलाओं की जिम्मेदारी बन गया। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्सटीट्रिशियंस एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स के अनुसार इन्फर्टिलिटी के 40 से 50 प्रतिशत मामले पुरुषों में पाए जाते हैं।
मिथक: अनियमित माहवारी इन्फर्टिलिटी का संकेत है - Irregular menstruation is a sign of infertility
सच: माहवारी अनियमित होने पर यह तय करना मुश्किल होता है कि ऑव्युलेशन किस समय होगा। यह बात सच है कि ऑव्युलेशन का समय नहीं मालूम होने पर गर्भधारण करने में थोड़ी कठिनाई हो सकती है, लेकिन अनियमित माहवारी का यह मतलब नहीं कि अब प्रजनन नहीं होगा। महिलाओं में माहवारी अनियमित अनेक कारणों से हो सकती है, जिनमें तनाव, हार्ड एक्सरसाइज और स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएं, जैसे एंडोमेट्रियोसिस आदि शामिल हैं। लेकिन इनमें से किसी से भी गर्भधारण करने की क्षमता को कोई खतरा नहीं होता।
मिथकः महिला की उम्र का प्रजनन क्षमता पर कोई असर नहीं होता है - The age of a woman has no effect on fertility
सच: अमेरिकन सोसायटी ऑफ रिप्रोडक्टिव मेडिसीन के अनुसार, महिला के प्रजनन का सबसे अच्छा समय 20 वर्ष की आयु में होता है, फिर 30 साल तक पहुंचते-पहुंचते प्रजनन क्षमता धीरे-धीरे कम होती चली जाती है और खासकर 35 साल के बाद यह काफी कम हो जाती है। एक साल गर्भधारण करने की कोशिश करने पर 20 से 24 साल की महिलाओं द्वारा गर्भधारण करने की संभावना 86 प्रतिशत होती है, जबकि 30 से 34 साल की महिलाओं द्वारा गर्भधारण करने की संभावना 63 प्रतिशत होती है।
मिथकः जिन महिलाओं को पीसीओएस या एंडोमेट्रियोसिस है, वो गर्भधारण नहीं कर सकती हैं - Women who have PCOS or endometriosis can't conceive
सच: इनफर्टिलिटी से पीड़ित 50 प्रतिशत महिलाओं में से 10 प्रतिशत तक को पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम, और लगभग 6 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक को एंडोमेट्रियोसिस होता है। यद्यपि इन स्थितियों में गर्भधारण करना मुश्किल होता है, लेकिन उचित परामर्श और इलाज की मदद से ये समस्याएं होने पर भी महिलाएं गर्भधारण कर सकती हैं।
मिथकः गर्भनिरोधक गोलियां लेने वाली महिलाओं में इनफर्टिलिटी हो जाती है - Infertility occurs in women taking birth control pills
सच: गर्भनिरोधक गोलियों से इनफर्टिलिटी नहीं होती। कुछ महिलाएं गर्भनिरोधक बंद करने के तुरंत बाद, पहले महीने में ही गर्भवती हो जाती हैं। गोली और आईयूडी का स्तेमाल करना उनकी प्रजनन क्षमता को नुकसान नहीं पहुंचाता है पर अन्य गर्भनिरोधक विधियों जैसे कि ट्रांसप्लांट या इंजेक्शन का इस्तेमाल करने के बाद महिलाओं को गर्भधारण करने में कई महीने लग सकते हैं।
मिथकः तनाव से प्रजनन क्षमता प्रभावित नहीं होती - Stress does not affect fertility
सच: अकेला तनाव ही इनफर्टिलिटी का कारण नहीं बनता, पर तनाव से महिलाओं की गर्भ धारण करने की क्षमता प्रभावित होती है। शोध में पता चला है कि अवसाद से पीड़ित रही महिलाओं में इन्फर्टिलिटी की संभावना दोगुनी होती है।
मिथकः यदि आप आईवीएफ जैसी महंगी प्रक्रियाओं पर ख़र्च नहीं कर सकते, तो आपको इलाज के बारे में नहीं सोचना चाहिए - What is alternative treatment for IVF?
सच: इनफर्टिलिटी का इलाज कराने वाले दंपत्तियों के लिए इन-विट्रो फर्टिलाईज़ेशन (IVF) पहला विकल्प नहीं हुआ करता है। इससे पहले कई अन्य इलाजों के बारे में विचार किया जाता है, जिनका खर्च काफी कम होता है। इन इलाजों का निर्णय एक सामान्य सी खून की जांच करके लिया जाता है। एनआईएच के अनुसार,इनफर्टिलिटी के 85 प्रतिशत से 90 प्रतिशत मामलों में चिकित्सा की पारंपरिक विधियों, जैसे दवाई या सर्जरी द्वारा इलाज किया जाता है। इसलिए इन्फर्टिलिटी का इलाज सामान्य दवाई या मामूली सी मेडिकल प्रक्रिया द्वारा भी संभव है।
मिथकः स्वास्थ्य का प्रजनन क्षमता पर कोई असर नहीं होता - Does health affect fertility?
सच: स्वास्थ्य का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। पहले से कोई बीमारी होने, BMI सामान्य से ज्यादा होने या फिर शिथिल जीवनशैली से प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है। इसलिए हर 8 से 12 महीनों में आईवीएफ विशेषज्ञ से परामर्श लेते रहना चाहिए ताकि प्रजनन क्षमता की समय-समय पर जांच होती रहे।
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