डॉक्टर से जानिए Crooked Teeth यानी टेढ़े मेढ़े दांत क्यों निकलते हैं और इससे कैसे बचें?
Crooked Teeth Causes: दांतों की बहुत ही आम समस्याओं में से एक है टेढ़े-मेढ़े दांत। कुछ लोगों के दांत टेढ़े-मेढ़े होते हैं। अब यह सिर्फ कॉस्मेटिक समस्या नहीं है। यानी यहां सिर्फ दिखने की बात नहीं है, बल्कि टेढ़े-मेढ़े दांतों की वजह से भी कुछ परेशानियां सामने आ जाती हैं। इसलिए आज हम बात करेंगे टेढ़े दांत को कैसे ठीक करें। लेकिन उससे पहले जानिए कि दांत टेढ़े क्यों निकलते हैं ?
Crooked Teeth Causes: क्या ठीक हो सकते हैं टेढ़े मेढ़े दांत?
Crooked Teeth Causes in Hindi: दांतों की देखभाल करना जरूरी है। अपने दांतों की उचित देखभाल करें अन्यथा समय से पहले सड़न का खतरा है। जिन लोगों के दांत टेढ़े-मेढ़े होते हैं उन्हें सामान्य लोगों की तुलना में विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इनके दांतों में दरारें अधिक होती हैं।
BLK-Max Hospital में डेंटल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी की हेड डॉ. नीतू कामरा ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि सुंदर दांत सभी की चाहत होती है। बचपन से दांतो की देखभाल करने से सुंदर दांत मिल सकते हैं। कई बार बचपन में ही बच्चों के दांत टेढ़े-मेढ़े होते हैं। उनमें से कई बार दूध वाले दांत तो अच्छे होते हैं लेकिन उसके बाद परमानेंट निकलने वाले दांत टेढ़े मेढ़े होते हैं; इसके पीछे का कारण है उनका ठीक तरीके से देखभाल न करना। इसके अलावा भी कई बार यह पारिवारिक या जेनेटिक्स आधारित भी हो सकता है।
दांत टेढ़े-मेढ़े क्यों निकलते हैं? - What Causes Crooked Teeth?
डॉक्टर नीतू ने बताया कि कई बार लापरवाही के कारण भी ऐसी स्थिति हो सकती है। इसके पीछे की वजह से बॉटल से दूध पीने वाले बच्चों के दांतो के आकार में परिवर्तन हो सकता है। इसके साथ ही लम्बे समय से अंगूठा चूसने की आदत जारी रहे तो भी यह स्थिति हो सकती है। बड़े होने पर उनके दांत जबड़े और मुंह के बाहर निकलते हैं।
कुलमिलाकर इन चीजों के इस्तेमाल से जबड़े के आकार में परिवर्तन होता है और दांत टेढ़े मेढ़े हो सकते हैं। इसके अलावा पैसिफायर के अधिक इस्तेमाल से भी दांतो में टेढ़ा पन आ सकता है। इसलिए समय रहते बच्चों की इन आदतों को छुड़वा देना चाहिए। बता दें कि जिन बच्चों में टॉन्सिल, एलर्जी, मुंह से सांस लेने की आदत होती है; उनके दांत भी टेढ़े मेढ़े हो सकते हैं।
कई बार चोट लगने के कारण भी जबड़े के आकार में परिवर्तन हो सकता है। ऐसे में जो भी परमानेंट दांत निकलते हैं उनमें टेढ़ापन आ जाता है। दूध के दांत समय से पहले निकल जाये या देरी से गिरते हैं तो ऐसी स्थिति में भी दांतो में टेढ़ापन आ जाता है।
टेढ़े-मेढ़े दांतों का स्वास्थ्य पर प्रभाव - Health Effects of Crooked Teeth
टेढ़े-मेढ़े दांत बैक्टीरिया को बढ़ने का अवसर प्रदान करते हैं और उन क्षेत्रों में प्लॉक का निर्माण करते हैं जहां मसूड़े दांतों के आसपास सुरक्षित रूप से फिट नहीं होते हैं। इससे पेरियोडोंटल डिसऑर्डर हो जाता है, जिससे दांत खराब भी हो सकते हैं।
सांसों की दुर्गंध बैक्टीरिया के कारण होती है जो टेढ़े दांतों के बीच की दरारों में रहते हैं। इसके साथ ही खाने या चबाते समय गलत दांत एक या अधिक दांतों को दूसरे दांतों से रगड़ने का कारण बन सकते हैं। एक दांत का दूसरे के खिलाफ लगातार घर्षण से दांतों के इनेमल पर अनुचित घिसाव हो सकता है जिससे दरारें पड़ सकती है।
टेढ़े-मेढ़े दांतों का इलाज - Crooked Teeth Treatment
आपके टेढ़े-मेढ़े दांतों की समस्या को ठीक करने के लिए, आपका ऑर्थोडॉन्टिस्ट आपको ऑर्थोडॉन्टिक ब्रेसेस का उपयोग करने का सुझाव दे सकता है। ब्रेसेस दांतों के टेढ़ेपन को कम करने और कुरूपता को ठीक करने में मदद करते हैं। आजकल, रोगियों के पास धातु या सिरेमिक ब्रेसिज़ (दिखने में दांतों के रंग के करीब) के बीच चयन करने का विकल्प होता है।
टेढ़े-मेढ़े दांतों का इलाज 2-3 तरह से किया जा सकता है। सबसे अच्छा और सुरक्षित तरीका है दांतों पर तार लगवाना। जिसे ब्रेसेस कहा जाता है। ये मेटल ब्रेसेस, सिरेमिक ब्रेसेस, इनविजलाइन एलाइनर्स हैं। बच्चों के लिए ब्रेसेस लगवाने की सबसे अच्छी उम्र 12-14 साल है। फिर सारे दूध के दांत गिर जाते हैं और सारे पक्के दांत आ जाते हैं।
इस समय हड्डियों में भी लचीलापन आता है। इस समय दांत बहुत जल्दी ठीक हो सकते हैं। दांतों को सही दिशा में लाया जा सकता है। टेढ़े-मेढ़े दांतों को 40 साल की उम्र तक ठीक किया जा सकता है।
इसके अलावा दांतों को सीधा करने की सर्जरी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे लोगों द्वारा तब चुना जाता है जब टेढ़े दांतों की समस्या को सिर्फ ऑर्थोडॉन्टिक उपकरणों से ठीक नहीं किया जा सकता है। जबड़े की बोनी संरचना से जुड़ी समस्याओं में आमतौर पर सर्जिकल सुधार की आवश्यकता होती है। टेढ़े-मेढ़े दांतों की वजह से दांतों की कोई समस्या हो रही है तो डेंटिस्ट को जरूर दिखाएं। 40 साल की उम्र तक इसका इलाज आसानी से हो सकता है।
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