सिगरेट की लत छोड़ने के बाद शरीर में क्या होते हैं बदलाव? 20 मिनट से 20 साल तक, जानें पल पल का हाल
31 मई 2023 यानी आज 36वां विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जा रहा। वर्ल्ड नो टोबैको डे का मुख्य उद्देश्य तंबाकू के खतरों और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके नकारात्मक प्रभावों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है।
स्मोकिंग छोड़ने पर शरीर में होने वाले बदलाव
कई चेन स्मोकर्स ऐसे भी हैं जो स्मोकिंग की लत को छोड़ना चाहते हैं लेकिन एक-दो दिन में ही वो हार मान लेते हैं। सिगरेट की लत ऐसी होती है कि उसे छोड़ना आसान नहीं होता। सिगरेट की तलब होने पर अक्सर स्मोकर्स को बेचैनी होने लगती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि स्मोकिंग की लत से छुटकारा नहीं पाया जा सकता है। अगर दृढ़ संकल्प हो तो बुरी से बुरी आदत को भी छोड़ा जा सकता है। इसी कड़ी में आज हम आपको बताएंगे कि सिगरेट छोड़ते वक्त शरीर में क्या क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं। कैसे 1 दिन, 2 दिन, महीनों तक आपके शरीर में बदलाव होते रहते हैं और सिगरेट छोड़ना आपके लिए किस हद तक फायदेमंद साबित होता है।
अगर आप स्मोकिंग छोड़ रहे हैं तो लत से छुटकारा पाने के दौरान सिर दर्द और घबराहट जैसी चीजों से जूझना पड़ सकता है। यही नहीं मूड स्विंग भी होते हैं और कई बार लोग डिप्रेशन का भी शिकार हो जाते हैं।
स्मोकिंग छोड़ने पर होने वाले बदलाव
20 मिनट बाद
अगर 20 मिनट तक स्मोकिंग नहीं करते हैं तो आपका ब्लड प्रेशर और पल्स रेट नॉर्मल हो जाता है। इसके साथ ही शरीर का तापमान भी नॉर्मल होने लगता है।
8 घंटे के भीतर
अगर आप 8 घंटे तक सिगरेट को नहीं पीते हैं तो आपके शरीर के खून में निकोटीन और कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा आधी रह जाती है। खून में ऑक्सीजन लेवल भी नॉर्मल हो जाता है। लेकिन जैसे जैसे शरीर में निकोटीन की मात्रा घटती है वैसे वैसे सिगरेट की तलब बढ़ने लगती है। ऐसे में स्मोकिंग की तलब को कम करने के लिए पानी पिएं या फिर चुइंग गम चबाएं।
12 घंटे बाद
12 घंटे के भीतर शरीर में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड नॉर्मल हो जाता है। जिससे दिल का तनाव भी कम होने लगता है। वहीं खून में जब कार्बन मोनोऑक्साइड बढ़ने लगता है तब शरीर के ऑक्सीजन लेवल को बनाए रखने के लिए दिल को ज्यादा मात्रा में खून पंप करने की जरूरत होती है।
तीन दिनों के बाद
सिगरेट छोड़ने के तीन दिन बाद मूड स्विंग और चिड़चिड़ाहट जैसी समस्या से जूझना पड़ सकता है। तीन दिनों में शरीर एडजस्ट करने की कोशिश कर रहा होता है। ऐसे में सिर में तेज दर्द और क्रेविंग बढ़ जाती है।
दो हफ्तों और तीन महीनों में
इन दिनों में शरीर का स्टैमिना बढ़ने लगता है। फेफड़ें सभी ढ़ंग से काम करने लगते हैं। इसके साथ ही शरीर ब्लड फ्लो बेहतर होने लगता है जिसे हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। स्मोकिंग छोड़ने के दौरान खाने की भी क्रेविंग बढ़ जाती है जिसकी वजह से आप ज्यादा खाते हो और वजन बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
नौ महीनों में
नौ महीनों में फेफड़े पूरी तरह से हेल्दी हो जाते हैं जिससे इंफेक्शन का खतरा बेहद कम हो जाता है।
एक साल में
अगर आप एक साल तक सिगरेट नहीं पीते हैं तो दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
पांच सालों के बाद
सिगरेट छोड़ने के पांच साल बाद आर्टरी फिर से चौड़ी होने लगती। इसकी वजह से खून के जमाव की आशंका कम रह जाती है और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।
10 सालों के बाद
10 सालों बाद फेफड़े के कैंसर का खतरा बेहद कम हो जाता है। यही नहीं मुंह, गले और पैनक्रिएटिक कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है।
20 सालों के बाद
सिगरेट छोड़ने के 20 सालों बाद फेफड़ों की बीमारियों और कैंसर का खतरा ठीक उतना ही होता जितना तंबाकू का सेवन नहीं करने वाले लोगों को होता है।
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Ritu raj author
शुरुआती शिक्षा बिहार के मुजफ्फरपुर से हुई। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए नोएडा आय...और देखें
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