World Autism Awareness Day: ऑटिज्म क्या है? हर साल 2 अप्रैल को क्यों मनाया जाता है विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस, जानें इसका रोचक इतिहास

World Autism Awareness Day: विश्व भर में ऑटिज्म से काफी लोग पीड़ित हैं और इसकी दर लगातार बढ़ रही है। ऐसे लोगों को समाज में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे बच्चों को अधिक देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे बच्चे भी सामान्य जीवन जी सकते हैं। बस लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।

World Autism Awareness Day

World Autism Awareness Day: ऑटिज्म एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो आजीवन व्यक्ति के साथ चलती है। यह स्थिति बचपन के दौरान प्रकट होने लगती है। ऐसा माना जाता है कि यह एक जन्मजात स्थिति है। बस इसके लक्षण बच्चों में समय के साथ नजर आते हैं। जो बच्चे इस स्थित से पीड़ित होते हैं, वे सामान्य बच्चों से कई चीजों में अलग होते हैं, फिर चाहे वह बातचीत करने का तरीका हो या उनका व्यवहार। दुनियाभर में ऑटिज्म से पीड़ित लोगों की दर काफी बढ़ रही है। ऐसे बच्चों या लोगों में समझ की कमी का उनके परिवार और समुदाय पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है। लेकिन ऐसे लोगों को भी सामान्य जीवन जीने का हक है। लेकिन लोगों में इस स्थिति के प्रति जागरूकता की कमी है और वे ऑटिस्टिक लोगों को अलग और भेद-भाव भरी नजरों से देखते हैं। ऑटिज्म के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इसलिए हर साल 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है।

विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?

इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों में इस मानसिक स्थिति को लेकर जागरूकता बढ़ाना है। ऑटिस्टिक लोग भी समाज का हिस्सा बन सकें और आम लोगों की तरह सामान्य जीवन जी सकें, इस उद्देश्य के साथ विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस इस बात पर जोर देता है कि ऑटिस्टिक लोगों के जीवन को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आमतौर पर इस मानसिक स्थिति से पीड़ित लोग दूसरे लोगों पर बहुत ज्यादा निर्भर होते हैं।

विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस की शुरुआत कब हुई?

विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस की स्थापना संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2007 में की गई थी। 18 दिसंबर 2007 को इसकी स्थापना हुई। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के रूप में घोषित किया। पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2 अप्रैल, 2008 को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया गया था। तब से हर साल 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मानाया जा रहा है। जिससे कि ऑटिस्टिक लोगों के जीवन में सुधार करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जा सके। वे भी एक सामान्य व्यक्ति की तरह पूर्ण और सार्थक जीवन जी सकें। एक अभिन्न अंग के रूप में पूर्ण और सार्थक जीवन जी सकें।

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