World Down Syndrome Day: डाउन सिंड्रोम क्या है? बच्चों में किन कारणों से होता यह रोग, जानें कारण और लक्षण
What Is Down Syndrome And Causes: डाउन सिंड्रोम एक गंभीर जन्मजात रोग है, जो बच्चों में जन्म के समय से ही देखने को मिलता है। बच्चों में जन्म के बाद इसके कई संकेत और लक्षण देखने को मिलते हैं। बच्चों में यह रोग क्यों होता है, इसके कारण और लक्षण इस लेख में जानें।
What Is Down Syndrome And Causes
What Is
डाउन सिंड्रोम क्या है और क्यों होता है?- What Is Down Syndrome And Causes In Hindi
डाउन सिंड्रोम बच्चों में होने वाला एक अनुवांशिक रोग है। यह रोग तब होता है, जब किसी व्यक्ति के शरीर में क्रोमोसोम की अधिकता हो जाती है। जब शरीर में अनेक छोटे-छोटे जीन मिलते हैं, तो इससे क्रोमोसोम बनते हैं। यह एक तरह का जीन का पैकेज होता है। जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो बच्चे का शरीर कैसे बनेगा, यहां तक कि जन्म के बाद भी बच्चे के शरीर का विकास कैसे होगा और किस तरह कार्य करेगा, यह सब निर्धारित करने में क्रोमोसोम ही भूमिका निभाते हैं। सेंट्रल डिजीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार एक बच्चे के शरीर में आमतौर पर 46 क्रोमोसोम होते हैं। इन्हें वह अपने पेरेंट्स से प्राप्त करता है। माता और पिता दोनों से आधे-आधे क्रोमोसोम बच्चों को मिलते हैं। लेकिन 46 में 21 क्रोमोसोम की एक-एक अतिरिक्त कॉपी भी होती है, इसे डाउन सिंड्रोम ट्राइसॉमी 21 कहा जाता है। यह बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। इस स्थिति की वजह से एक बच्चे का न तो मानसिक विकास ठीक हो पाता है और न ही शारीरिक। भविष्य में इसके कारण परेशानियां और भी बढ़ सकती हैं।
बच्चों में डाउन सिंड्रोम के लक्षण- Down Syndrome Symptoms In Hindi
- डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों की नाक दबी हुई होती है और चेहरे चपटा नजर आता है।
- आंखों में सफेद धब्बे दिखाई देते हैं।
- बच्चों की जीभ बाहर की ओर निकली हुई होती है
- डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों का शारीरिक विकास नहीं होता है और उनकी हाइट नहीं बढ़ती
- ऐसे बच्चों की मांसपेशियों दूसरे बच्चों से भिन्न और ढीली होती हैं।
- बच्चे का बॉडी शेप बादाम के जैसा लगता है और आंखें ऊपर की ओर झुकी नजर आती हैं
- गर्दन, कान, हाथ-पैर और उनकी उंगलियां छोटे-छोटे होते हैं
अगर पेरेंट्स इस तरह के लक्षण बच्चे में नोटिस करते हैं, तो इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर जन्म के समय से ही इसे गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर से परामर्श लिया जाए, तो भविष्य में बच्चों के लक्षणों को कम किया जा सकता है और स्थिति में सुधार किया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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