क्या होता है Glycemic Index? शुगर के मरीज को क्यों दी जाती कम GI वाले फूड्स खाने की सलाह - जानें डायबिटीज और इसका संबंध
Glycemic index kya hai: शुगर के मरीजों को आमतौर पर यह सलाह दी जाती है कि उन्हें ऐसे फूड्स का सेवन अधिक करना चाहिए, जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम हो। अधिक GI वाले फूड्स का सेवन उनकी सेहत के लिए नुकसानदेह माना जाता है। लेकिन आखिर ये ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है? यहां जानें सबकुछ..

What Is Glycemic Index
Glycemic index kya hai: आपने अक्सर देखा होगा कि जिन लोगों को डायबिटीज या शुगर की बीमारी है, ऐसे लोगों को हमेशा यह सलाह दी जाती है कि ऐसे फूड्स का सेवन कम से कम करना चाहिए, जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) बहुत अधिक होता है। ऐसा माना जाता है कि इस तरह के फूड खाने से शुगर को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। सिर्फ इतनी ही नहीं, इस तरह के फूड्स का सेवन करने सेवन करने से डायबिटीज से बचाव और कई गंभीर बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। लेकिन बहुत से लोग यह सवाल पूछते हैं कि आखिर ये ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है और शुगर के बीमारी के साथ इसका क्या संबंध है, साथ ही इन फूड्स का सेवन करने से सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है। आपके इन सभी सवालों का जवाब आज इस लेख में हम आपको दे रहे हैं। जानने के लिए आगे पढ़ते रहें...
ग्लाइसेमिक इंडेक्स क्या है - What Is Glycemic Index In Hindi
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार, ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड की एक रैंकिंग होती है। इसकी मदद से इस बात का पता चलता है कि किस फूड को खाने से शुगर कितनी तेजी से बढ़ेगा या कम होगा। यह रक्त में शुगर लेवल को कितनी तेजी से बढ़ाएगा, धीरे-धीरे या मध्यम रूप से। इसका शुगर के मरीजों की स्थिति के साथ सीधा संबंध होता है। इसकी सही जानकारी शुगर के मरीजों में ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने और बीमारी को रिवर्स करने में मदद कर सकती है। आपको बता दें कि फूड से जो हमें जो कार्बोहाइड्रेट प्राप्त होता है, उनके पचने और अवशोषित होने की दर अलग-अलग होती है। GI की रैंकिंग यह निर्धारित करती है कि प्रत्येक कार्बोहाइड्रेट आधारित फूड और ड्रिंक के सेवन के बाद ब्लड शुगर लेवल कितनी तेजी से बढ़ेगा।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स 0 से 100 तक चलता है। जो फूड धीरे-धीरे पचते और अवशोषित होते हैं उनकी रेटिंग 55 या उससे कम होती है। इस तरह के फूड्स में फल-सब्जियां, शुगर फ्री फूड, नट्स, दाल और साबुत अनाज आदि आते हैं। अध्ययन में यह देखा गया है कि जो फूड ग्लाइसेमिक इंडेक्स में कम होते हैं, उन्हें डाइट में शामिल करने से टाइप 2 डायबिटीज वाले रोगियों में HbA1c शुगर के स्तर को मैनेज करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, टाइप 1 डायबिटीज पर इनके प्रभावों को लेकर अभी अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।
क्या सभी कम GI वाले फूड स्वस्थ होते हैं?
NIH की मानें तो यह जरूरी नहीं है कि जो फूड GI में कम होते हैं वे स्वस्थ हों। बहुत से फूड्स ऐसे भी हैं, जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स तो कम होता है, लेकिन इनका अधिक सेवन सेहत के लिए लिहाज से फायदेमंद नहीं माना जाता है जैसे चॉकलेट। इनमें कैलोरी की मात्रा काफी अधिक होती है। हालांकि, दो अलग-अलग ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स को साथ में खाने से जीआई के इंडेक्स को बदला जा सकता है। उदाहरण के लिए चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स हाई होता है, लेकिन जब आप इसे समान मात्रा में दाल, अन्य सब्जियां, छोले, राजमा, पनीर आदि के साथ खाते हैं, तो इनका GI बैलेंस हो जाता है। क्योंकि सब्जियों का GI कम होता है।
क्या शुगर कंट्रोल रखने के लिए सिर्फ कम GI वाले फूड खाने चाहिए?
NIH के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज की बीमारी है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उनके लिए सिर्फ कम GI वाले फूड्स ही सुरक्षित हैं। क्योंकि शुगर को कंट्रोल रखने के लिए सिर्फ GI रेटिंग ही काफी नहीं है। हमेशा यह सलाह दी जाती है कि स्वस्थ, संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना का लक्ष्य रखना चाहिए। फाइबर युक्त और साबुत अनाज जैसे आहार लें। सैचुरेटेड फैट, नमक और अधिक चीनी वाले फूड्स के सेवन से परहेज करें। लंबे समय में यह शुगर को कंट्रोल रखने अधिक प्रभावी तरीका है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर चीफ कॉपी एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से दिल्ली का रहने वाला हूं। हेल्थ और फिटनेस जुड़े विषयों में मेरी खास दिलचस्पी है।...और देखें

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