रामबाण है ग्रीन लाइट थेरेपी, सालों पुराने दर्द से मिल जाती है आजादी, जानिए इस नई तकनीक के बारे में सबकुछ
Green Light Therapy: दर्द से राहत पाने के लिए आपने कई तरह के उपचार की मदद ली होगी, लेकिन क्या आपने कभी ग्रीन लाइट थेरेपी की मदद ली है? अगर नहीं, तो इसके फायदों को जानकर एक बार जरूर ट्राई करें। इस थेरेपी की खास बात यह है कि इससे आपके स्वास्थ्य को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस खास थेरेपी के बारे में-
ग्रीन लाइट थेरेपी से माइग्रेन का दर्द होगा कम, जानें सबकुछ
- ग्रीन लाइट थेरेपी से दर्द होगा कम
- माइग्रेन के दर्द से राहत दिलाए ग्रीन लाइट थेरेपी
- ग्रीन लाइट थेरेपी से नहीं होता है नुकसान
Green Light Therapy: हम में से कई ऐसे लोग हैं, जो कभी न कभी किसी न किसी अंगों में दर्द की तकलीफ से जरूर गुजरे होंगे। दर्द होने पर अक्सर हम दवा या फिर मसाज कर लेते हैं। इससे कुछ समय के लिए राहत भी मिल जाती है, लेकिन कई बार इन दवाओं और मसाज की हमें आदत हो जाती है, जिसके कई नुकसान भी हो सकते हैं। ऐसे में ग्रीन लाइट थेरेपी आपके लिए रामबाण हो सकता है। जी हां, ग्रीन लाइट थेरेपी की मदद से आप हर तरह के दर्द का इलाज कर सकते हैं। आज हम इस लेख में आपको ग्रीन लाइट थेरेपी के बारे में विस्तार से बताएंगे। आइए जानते हैं ग्रीन लाइट थेरेपी के बारे में सबकुछ-
क्या कहती है रिसर्च
हाल ही में हुए ड्यूक यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च के मुताबिक, ग्रीन लाइट थेरेपी लेने से लगभग हर दर्द का इलाज किया जा सकता है। इस थेरेपी की खास बात यह है कि इससे नुकसान होने की संभावना काफी कम या फिर न के बराबर होती है। साथ ही इसकी लत भी नहीं लगती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि रिसर्च में कुछ मरीजों पर इसका एक्सपेरिमेंट किया। इस रिसर्च में मरीजों को लगातार 2 सप्ताह तक रोजाना 4 घंटे तक अलग-अलग रंगों के चश्मे पहनने के लिए दिया गया है। कुछ लोगों ने नीले रंग का चश्मा पहना, कुछ ने हरे रंग का वहीं, कुछ लोगो ने अन्य रंग का चश्मा इस रिसर्च के दौरान पहना। रिसर्च के जब नतीजे आए तो देखा गया कि जिन लोगों ने हरे रंग का चश्मा पहना था, उन्हें दर्द का अनुभव कम हुआ है। साथ ही उन्हें पेन किलर्स लेने की जरूरत भी कम हुई।
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ग्रीन लाइट थेरेपी कैसे करता है काम?
शोधकर्ताओं का कहना है कि हरे रंग का चश्मा पहनने से दर्द को काफी प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है। दरअसल, हरे रंग की रोशनी हमारे तंत्रिकाओं के रास्तों से आंखों से होती हुई मस्तिष्क तक पहुंचती है, जो हमारे दर्द को कंट्रोल करती है। हरे रंग की रोशनी से आंख में मौजूद मेलानोप्सिन एसिड ट्रिगर हो जाता है, जो मस्तिष्क को दर्द पर काबू पाने के लिए संकेत भेजने का काम करता है, जिससे दर्द को कम करने में मदद मिलती है।
माइग्रेन का दर्द होगा कम
ड्यूक यूनिवर्सिटी के अलावा एरिजोना यूनिवर्सिटी में भी ग्रीन लाइट थेेरेपी पर अध्ययन किया गया है। इस बारे में शोधकर्ताओं का कहना है कि ग्रीन लाइट थेरेपी की मदद से माइग्रेन के दर्द को भी प्रभावी ढंग से कम कर सकते हैं। साथ ही यह मांसपेशियों में होने वाले दर्द को भी कम करने में प्रभावी है।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)
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