Hypothyroidism: उदासी और मेमोरी लॉस को न करें नजरअंदाज, हो सकते हैं इस गंभीर बीमारी के संकेत
Hypothyroidism symptoms: आजकल लोगों में थकान, उदासी, एकदम से वजन बढ़ जाना, बाल झड़ना या फिर निराशा जैसी समस्याएं हो रही हैं। यह संकेत हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण हो सकते हैं।
अगर आपको अक्सर थकान, उदासी, एकदम से वजन बढ़ जाना, बाल झड़ना या फिर निराशा जैसा महसूस होता है। तो ये हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण हो सकते हैं। ये एक एसी समस्या है, जिसमें आपके कॉलरबोन के ऊपरी सिरे में पाई जाने वाली एंडोक्राइन ग्लैंड इन एक्टिव हो जाती है। तथा पर्याप्त मात्रा में जरूरी थायराइड हार्मोन्स का उत्पादन करना बंद कर देती है। इस तरह की समस्या इन दिनों, बहुत आम हो गई है। आपकी जान पहचान में भी बहुत से एसे लोग होंगे, जो इस बीमारी से जूझ रहें हैं। हाइपोथाइरॉएडिज्म की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है।
ऐसा होने के पीछे पीरियड्स के दौरान हार्मोन्स के बढ़ते-घटते लेवल, किन्हीं दवाओं का इस्तेमाल, हाशिमोटो थायरॉयडिटिस नाम के एक ऑटोइम्यून विकार को बड़ा कारण माना जाता है। इस बीमारी को शुरुआती समय में पकड़ पाना कई बार मुश्किल हो जाता है। और स्थिति बिगड़ने पर समस्या अत्यधिक बढ़ सकती है। जिसके परिणामस्वरूप मोटापा, जोड़ो में दर्द, डिप्रेशन, बांझपन और दिल से संबंधित तकलीफ होने की संभावना बढ़ जाती है।
ऐसे पहचानें हाइपोथायरायडिज्म
किसी भी बीमारी का सही इलाज तभी मुमकिन है। जब समस्या के बारे में पता लग जाए। हाइपोथायरायडिज्म के मामले में बड़ी दिक्कत ये है कि, इससे कोई विशिष्ट या नई तरह के संकेत/लक्षण नजर नहीं आते है। जिससे बीमारी को डायग्नोज करना कई बार मुश्किल हो जाता है। कई कई मामलों में तो लंबे समय तक मरीज को कोई भी असाधारण महसूस नहीं होती। इसलिए नियमित रूप से जांच करवाना जरूरी है। साथ ही इन कुछ आम लक्षणों पर नजर रखना भी।
- हर समय थकावट लगना
- बहुत कमजोरी महसूस करना
- अत्यधिक ठंड लगना
- अचानक वजन बढ़ जाना
- कब्ज की दिक्कत
- मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन
- डिप्रेशन
- याददाश्त कमजोर हो जाना
- हर वक्त चिड़-चिड़ होना
- नींद की समस्या
- सेक्स की इच्छा घटना
- अनियमित या हैवी पीरियड्स
दिमाग पर सीधा असर करता है हाइपोथायरायडिज्म
कई स्टडीज में इस बात का खुलासा हुआ है कि हाइपोथायरायडिज्म की समस्या का सीधा असर व्यक्ति की मानसिक हालात पर पड़ता है। इससे आपके दिमाग की आम प्रक्रियाओं भी सुचारू रूप से पूरी होने से बाधित होती है। थायराइड हार्मोन्स का गिरता स्तर मेमोरी लॉस, एंजाइटी, डिप्रेशन, ध्यान, अटेंशन, भाषा, विचार और भावनाओं में गिरावट, सामान्य इंटेलिजेंस के साथ साथ साइकोमोटर एक्टिविटीज को भी नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है।
साथ ही अगर इसका समय रहते इलाज न किया गया। तो ब्रेन डिसफंक्शन और भी अन्य गंभीर समस्याएं होने का रिस्क बढ़ जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि, युवाओं के मुकाबले उम्रदराज लोगों में ऐसी स्थिति ज्यादा देखने को मिलती है। हालांकि वयस्कों में भी बीमारी तेजी से बढ़ रही है।
कैसे करें बचाव?
वैसे तो थायराइड की बीमारी को रोकने का कोई निर्धारित फॉर्मूला नहीं है। लेकिन फिर भी जिन लोगों को पहले से ऑटोइम्यून बीमारी हो चुकी है, अगर किसी ने सिर एवं गर्दन पर रेडिएशन ट्रीटमेंट करवाया है या फिर अगर आपके परिवार में किसी को थायराइड है। तो आपको विशेष सावधानी रखनी चाहिए तथा नियमित रूप से जांच करवाते रहना चाहिए। ताकि बीमारी के गंभीर होने से पहले ही इसका पता लगाया जा सके।
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कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बु...और देखें
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