IVF Facts: अधूरा ज्ञान छोड़ यहां लें IVF प्रोसेस की पूरी जानकारी, क्यों होते हैं जुडवां बच्चों के ज्यादा चांस, कितना है सक्सेस रेट
Myths and Facts About IVF : बच्चा पैदा करने के लिए तेजी से प्रचलन में आ रही तकनीक आईवीएफ (IVF) से जुड़े कुछ मिथक लोगों के बीच खूब देखने को मिलते हैं। जिससे लोग इस ट्रीटमेंट को प्लान करने में संकोच करते हैं। आइए जानते हैं IVF से जुड़े 5 सामान्य मिथक और उससे संबंधित तथ्य?
आज बदलती लाइफस्टाइल और खराब खान पान के कारण लोगों की सेहत पर काफी बुरा असर पड़ रहा है। इसके चलते लोगों को कई तरह की लाइफस्टाइल डिजीज जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा और थायराइड जैसे रोग अपनी चपेट में ले रहे हैं। इतना ही नहीं लाइफस्टाइल की खराबी के कारण आप इनफर्टिलिटी भी आज तेजी से लोगों में देखने को मिल रही है। जिसके चलते कपल्स को मात-पिता बनने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं बात करें आज से कुछ साल पहले की तो 40 साल के बाद की आयु में फटिर्लिटी से जुड़ी समस्याएं देखने को मिलती थीं, लेकिन आज एकदम यंग कपल्स को इस तरह की समस्याएं आम होती जा रही हैं। माता-पिता बनने का सपना नेचुरली पूरा न कर पाने वाले कपल्स के लिए आईवीएफ (IVF) तकनीक एक वरदान के रूप में सामने आई है। आज इनफर्टिलिटी के पीड़ित बहुत से कपल्स आईवीएफ (IVF) की मदद से संतान का सुख प्राप्त कर रहे है। हालांकि इस टेक्नोलॉजी के जमाने में भी जानकारी के अभाव में बहुत से लोग संतान का सुख प्राप्त करने में समस्याएं झेलते हैं। जिसके पीछे आईवीएफ (IVF) से जुड़े कुछ मिथक भी सामने आते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे मिथक जो आईवीएफ से जुड़े हुए हैं। इसके साथ ही इन मिथक की सच्चाई जानने के लिए हमने बात की Dr. Vikas Yadav IVF Consultant & HOD, Department of Obstetrics & Gynecology, Sharda Hospital से..
क्या है आईवीएफ? - What is IVF?
What is IVF
डॉक्टर विकास यादव के अनुसार, आईवीएफ टेक्नोलॉजी को भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से भी जाना जाता है। जिसका पूरा नाम In vitro fertilization है। यह उनके लिए एक वरदान है जो कपल्स कंसीव करने में किसी तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं। आईवीएफ प्रोसेस के तरह फीमेल के मैच्योर अंडे को शरीर से बाहर निकालकर मेल के स्पर्म के साथ लैब में निषेचन कराया जाता है। जब निषेचन की प्रक्रिया खत्म हो जाती है, तो इसे वापस गर्भ में ट्रांसफर किया जाता है। इसके बाद बच्चे का भ्रूण का पालन मां के गर्भ में ही होता है, और अपने नियत समय यानी 9 माह के बाद बच्चे का जन्म होता है।
कब और कहां हुई आईवीएफ (IVF) की शुरुआत?
When IVF Started
IVF (In vitro fertilization) प्रजनन के लिए प्रयोग की जाने वाली एक उन्नत और आधुनिक तकनीक है। जिसकी पहली सफलता साल 1978 में इंग्लैंड में मिली। IVF की मदद से दुनिया में पहले बच्चे का जन्म 1978 में हुआ, जिसका नाम 'लुईस ब्राउन' रखा गया। इस तकनीक के पीछे एक महिला वैज्ञानिक का हाथ है जो खुद मां बनने के सपने से वंचित रह गई थीं। हार्वड यूनिवर्सिटी में फर्टिलिटी एक्सपर्ट के तौर पर काम करने वाली 'मिरियम मेनकिन' के कारण आज नि:संतान लोगों को बच्चा पैदा करने में सहूलियत होती है। हालांकि शुरुआत में इस तकनीक का इस्तेमाल के केवल अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब की वजह से होने वाले बांझपन के इलाज में किया जाता था। लेकिन बाद में इसे विकसित करते हुए लोगों को संतान का सुख देने के लिए कारगर तकनीक के तौर पर विकसित किया गया।
आईवीएफ से जुड़े मिथक और उनके तथ्य - Myths and Facts About IVF
मिथक 1 - आईवीएफ केवल अधिक आयु के लोगों के लिए होता है।
तथ्य - आज जानकारी के दौर में भी लोगों का मानना है कि आईवीएफ केवल अधिक आयु के लोगों के लिए ही होता है। लेकिन इस पर बात करते हुए डॉक्टर ने बताया कि यह बात पूरी तरह से गलत है। उन्होंने बताया कि आईवीएफ उन सभी लोगों के लिए कारगर तकनीक है जो किसी भी कारण से कंसीव करने में समस्या का सामना कर रहे हैं। एक्सपर्ट की मानें तो यंग कपल्स भी आईवीएफ तकनीक की सहायता से बेबी प्लान कर सकते हैं।
मिथक 2 - आईवीएफ से हमेशा जुड़वा बच्चे पैदा होते है?
तथ्य 2- डॉक्टर की मानें तो, आईवीएफ में मल्टीपल प्रेगनेंसी की संभावना थोड़ी ज्यादा होती है। लेकिन हमेशा ऐसा होगा यह बात पूरी तरह गलत है। दरअसल आईवीएफ में प्रेगनेंसी के लिए एक से ज्यादा अंड़े और शुक्राणुओं को शामिल किया जाता है। ताकि गर्भधारण में किसी तरह के फेल्योर को टाला जा सके। यही कारण है कि आईवीएफ के 5 में से 1 मामले में मल्टीपल प्रेगनेंसी की संभावना होती है।
मिथक 3 - आईवीएफ में भ्रूण के लिंग का पता चल जाता है?
तथ्य 3 - इस बात का जवाब देते हुए डॉक्टर विकास कहते हैं कि लिंग का निर्धारण फीमेल के X क्रोमोसोम और मेल के Y क्रोमोसोम के आधार पर होता है। जब XY क्रोमोसोम आपस में मिलते हैं, तो मेल लिंग का निर्माण होता है। लेकिन अभी इस तरह की कोई तकनीक विकसित नहीं की गई है जिससे लिंग का पता लगाया जा सके। भ्रूण के लिंग की जांच बायोप्सी के माध्यम से की जा सकती है जो एक कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है। अत: आईवीएफ में भ्रूण के लिंग का पता लगाया जा सकता है, यह दावा पूरी तरह गलत है।
मिथक 4- आईवीएफ बहुत खर्चे वाली तकनीक है?
तथ्य 4 - इस सवाल का जवाब देते हुए डॉक्टर कहते हैं कि इस तथ्य में बहुत अधिक सच्चाई नहीं है क्योंकि विदेशों की तुलना में भारत में आईवीएफ (IVF) की प्रक्रिया काफी सस्ती है। डॉक्टर के अनुसार निषेचन से लेकर बच्चे के जन्म तक इस प्रोसेस में लगभग 2 लाख रुपए तक खर्च होते हैं। हालांकि मध्यम वर्गीय परिवार की आय को देखते हुए यह थोड़ा खर्चीला है लेकिन यह आपकी खुशी की तुलना में ज्यादा महंगा नहीं है।
मिथक 5- आईवीएफ कराने के लिए आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है?
तथ्य 5- डॉक्टर विकास ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आईवीएफ की प्रक्रिया में आपको हॉस्पिटल में कुछ घंटे के लिए भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। वहीं गर्भावस्था के दौरान आपको समय-समय पर अस्पताल चेकअप के लिए आना होता है। जिससे मां और गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति की सही-सही पता लगाया जा सके। लेकिन यह दावा कि आईवीएफ के लिए आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है यह पूरी तरह से गलत है।
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पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर खुर्ज़ा शहर का रहने वाला हूं। हेल्थ, लाइफस्टाइल और राजनीति से जुड़े विषयो...और देखें
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