Cervical Biopsy: सर्वाइकल बायोप्सी की प्रक्रिया क्या है? पाएं इससे जुड़ी आवश्यक जानकारी

Cervical Biopsy: सर्वाइकल बायोप्सी, एब्नॉर्मल व प्रीकैंसरस कंडिशंस या सर्वाइकल कैंसर के टेस्ट के लिए सर्विक्स से टिश्यू को रिमूव करने की एक प्रक्रिया है। सर्वाइकल बायोप्सी में पंच बायोप्सी, कोन बायोप्सी और एंडोसर्विकल क्यूरेटेज शामिल है। आज हम आपके साथ सर्वाइकल बायोप्सी से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करने जा रहें हैं।

Cervical Biopsy

सर्वाइकल बायोप्सी के बारे में जानें

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • सर्वाइकल बायोप्सी की सलाह डॉक्टर तब दे सकते हैं, जब रोगी के रूटीन पैप स्मीयर या पेल्विक एग्जाम के बाद रिजल्ट एब्नार्मल आता है।
  • इसमें बायोप्सी टेस्टिंग के लिए टिश्यू के सैंपल को रिमूव किया जाता है।
  • सर्वाइकल बायोप्सी के बाद रोगी को रिकवर होने के लिए कई हफ्ते लग सकते हैं।

Cervical Biopsy: सर्वाइकल बायोप्सी, एब्नॉर्मल व प्रीकैंसरस कंडिशंस या सर्वाइकल कैंसर के टेस्ट के लिए सर्विक्स से टिश्यू को रिमूव करने की एक प्रक्रिया है। सर्विक्स हमारे यूट्रस का लोअर और तंग पार्ट होता है। यह एक कैनाल बनाता है, जो वजाइना में ओपन होती है। सर्वाइकल बायोप्सी को कई तरीकों से किया जा सकता है। इसमें बायोप्सी टेस्टिंग के लिए टिश्यू के सैंपल को रिमूव किया जाता है। इसका उपयोग एब्नार्मल टिश्यू को पूरी तरह से रिमूव करने के लिए भी किया जा सकता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल उन सेल्स के उपचार के लिए भी किया जा सकता है, जो कैंसर में बदल सकती हैं। सर्वाइकल बायोप्सी में पंच बायोप्सी, कोन बायोप्सी और एंडोसर्विकल क्यूरेटेज शामिल है। आइए जानें इस बायोप्सी के बारे में।

सर्वाइकल बायोप्सी का प्रोसीजर

सर्वाइकल बायोप्सी की शुरुआत में नार्मल पेल्विक एग्जाम किया जाता है। इसके लिए रोगी को एक एग्जाम टेबल कर लेटाया जाता है और लोकल एनेस्थेटिक दिया जाता है, ताकि प्रभावित स्थान को सुन्न किया जा सके। अगर कोई कोन बायोप्सी से गुजर रहा है ,तो उसे ऐसा लोकल एनेस्थेटिक दिया जाता है, जिससे उसे नींद आ जाएगी। इसके बाद डॉक्टर स्पेक्युलुम जो एक मेडिकल इंस्ट्रूमेंट है, उसे वजाइना में इन्सर्ट करेंगे, ताकि प्रोसीजर के दौरान कैनाल ओपन रहे। सर्विक्स को पहले एक सोल्यूशन से धोया जाता है।

सर्विक्स को आयोडीन से भी साफ किया जा सकता है। इसे शिलर टेस्ट कहा जाता है, और इसका उपयोग असामान्य टिश्यूज की पहचान करने में मदद करने के लिए किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर फोरसेप्स, स्कल्पेल आदि से एब्नार्मल टिश्यूज को रिमूव करते हैं। बायोप्सी खत्म होने के बाद रोगी के सर्विक्स को एब्जॉर्बेंट मटेरियल के साथ पैक कर दिया जाता है, ताकि ब्लीडिंग को कम किया जा सके। हालांकि, हर बायोप्सी में इसकी जरूरत नहीं होती।

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सर्वाइकल बायोप्सी से जुड़े रिस्क

सर्वाइकल बायोप्सी से जुड़े कुछ रिस्क और कॉम्प्लीकेशन्स इस प्रकार हैं:

  • लाइट ब्लीडिंग
  • क्रैम्प्स
  • दर्द
  • इंफेक्शन
  • सर्विक्स का तंग होना
  • सर्विक्स में समस्या के कारण प्रीमेच्योर बर्थ और गर्भपात

सर्वाइकल बायोप्सी की सलाह डॉक्टर तब दे सकते हैं, जब रोगी के रूटीन पैप स्मीयर या पेल्विक एग्जाम के बाद रिजल्ट एब्नार्मल आता है। सर्वाइकल बायोप्सी में टिश्यू के छोटे टुकड़े को रिमूव किया जाता है, ताकि कैंसर का पता चल सके। इसके बाद रोगी को रिकवर होने के लिए कई हफ्ते लग सकते हैं।

(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)

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