Stiff-person syndrome: इस बीमारी में जीता जागता इंसान बन जाता है पुतला, कैनेडियन सिंगर सेलीन डियोन हुईं इसकी शिकार

Stiff-person syndrome: सेलीन डियोन नाम की कैनेडियन सिंगर रेयर न्यूरोलॉजिकल बीमारी स्टिफ पर्सन सिंड्रोम से जूझ रही हैं। इस बीमारी में जीता जागता इंसान पुतले की तरह हो जाता है।

Stiff-person syndrome: इस बीमारी में जीता जागता इंसान बन जाता है पुतला, कैनेडियन सिंगर सेलीन डियोन हुईं इसकी शिकार

Stiff-person syndrome: इंसानों के पत्थर बनने की बात आजतक आपने भी सिर्फ कहावतों में ही सुनी होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, असल में भी एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति धीरे धीरे स्टैच्यू बन जाता है। सुनने में ये बात काफी हैरान करने वाली लग सकती है, लेकिन ये सच है। दरअसल गुरुवार को सेलीन डियोन नाम की कैनेडियन सिंगर के इस लाइलाज बीमारी से पीड़ित होने की खबर सामने आई है। सेलीन ने इंस्टाग्राम के माध्यम से ये खबर शेयर की उन्हें एक बहुत ही रेयर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। जिस कारण वे एक 'ह्यूमन स्टैच्यू' बनती जा रही हैं।

बता दें कि ऐसा स्टिफ पर्सन सिंड्रोम की वजह से होता है। इस डिजीज में मरीज का शरीर किन्हीं पोजीशन में अटक जाता है अकड़ जाता है। इस स्थिति में मसल्स पर अत्यधिक एवं अनियंत्रित तनाव पड़ता है। जिसके परिणामस्वरूप पेशेंट चलने फिरने से लेकर कुछ बोलने तक में भी असमर्थ हो जाता है। वैसे तो SPS एक लाइलाज बीमारी है, लेकिन मार्केट में कुछ ऐसी दवाएं हैं। जिनसे बीमारी की ग्रोथ को थोड़ा स्लो किया जा सकता है। 54 वर्षीय सेलीन वो सब कुछ कर रही हैं, जिससे बीमारी के लक्षण कम हो सके। इस कारण उन्होंने अपना यूरोप का टूर भी कैंसल कर दिया है।

क्या होता है स्टिफ पर्सन सिंड्रोम?

क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक ‘स्टिफ पर्सन सिंड्रोम एक ऐसा दुर्लभ ऑटोइम्यून मूवमेंट डिसऑर्डर है। जो मरीज के सेंट्रल नर्वस सिस्टम यानी की दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड को अफेक्ट करता है। जो लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं, उन्हें सबसे पहले मसल्स में स्टिफनेस महसूस होती है। और फिर समय के साथ वो अकड़न पैरों से लेकर शरीर के दूसरे अंगों तक फैल जाती है। स्टिफ पर्सन सिंड्रोम के गंभीर मामलों में व्यक्ति चलने फिरने की क्षमता खो देता है। लक्षणों को नियंत्रण में रखने के लिए तथा क्वालिटी ऑफ लाइफ मेंटेन करने के लिए लगातार इलाज करवाना पड़ता है।’

बता दें कि ये बीमारी इतनी दुर्लभ है कि, 1 मिलियन लोगों में से किसी 1 व्यक्ति को प्रभावित करती है। साथ ही पुरुषों की तुलना में ये बीमारी औरतों में ज्यादा होती है। इसके लक्षण 30 से 60 साल की उम्र में कभी भी नजर आ सकते हैं।

लक्षण क्या है?

इस सिंड्रोम के लक्षण दिखने में कुछ महीनों से लेकर सालों तक का समय लग जाता है। वहीं कुछ लोगों में इसका असर बहुत जल्दी होता है, तो कुछ सालों तक स्टेबल हालत में भी रहते हैं। ‘ज्यादतर लोगों में ये बीमारी ट्रंक और एबडोमन मसल्स को सबसे पहले प्रभावित करती है। और वहीं समय के साथ ये स्टिफनेस पूरे शरीर में फैल जाती है। यहां तक की आपके हाथों और चेहरे पर भी।’ ये हैं स्टिफ पर्सन सिंड्रोम के लक्षण –

  • दर्द
  • मसल्स में स्टिफनेस
  • असहज करने वाला दर्द
हालांकि शुरुआती दिनों में इस तरह की अकड़न आती जाती रह सकती है। लेकिन समय गुजरते के साथ ये कॉन्सटेंट हो जाती है।

बीमारी का पता कैसे चलता है?

स्टिफ पर्सन सिंड्रोम या ह्यूमन स्टेच्यू जैसी स्थिति के लक्षण बहुत हद तक टिटनेस, मल्टीपल स्क्लेरोसिस और मस्क्यूलर डिस्ट्रोफी जैसे होते हैं। साथ ही इस बीमारी का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट्स करने आवश्यक होते हैं।

ब्लड टेस्ट – खून की जांच के माध्यम से स्टिफ पर्सन सिंड्रोम का पता लगाया जा सकता है। खून में GAD की एंटीबॉडी और एम्फीफिसिन को चेक किया जाता है। क्योंकि इस बीमारी से पीड़ित लगभग 60 से 80 प्रतिशत लोगों के शरीर में GAD के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई है।

इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG) – इस टेस्ट में मशीन के माध्यम से आपकी मसल्स की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मापा जाता है। इस बात का पता लगाने के लिए कि, मसल की मोटर एक्टिविटी लगातार काम कर रही है या नहीं।

लंबर पंक्चर (स्पाइनल टैप) – इस टेस्ट में डॉक्टर एक निडिल के उपयोग से आपकी स्पाइनल केनल में से फ्यूइड निकालते हैं। इस बात की जांच करने के लिए कि, आपके शरीर में GAD की एंटीबॉडिज हैं या नहीं। साथ ही उन संकेतों की भी जो स्टिफ पर्सन सिंड्रोम या अन्य किसी संबंधित बीमारी की ओर इशारा करते हो।

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