देश के बड़े अस्पतालों में फैल रहा सुपरबग का खतरा, सामने आया खतरनाक बैक्टीरिया, ICMR ने जारी की चौंकाने वाली रिपोर्ट

ICMR ने हाल ही में जारी की एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है कि देश के बड़े 21 अस्पतालों में सुपरबग का स्थिति सामने आई है। जिसमें एक खतरनाक बैक्टीरिया के सामने आने का दावा किया गया है। आइए जानते हैं क्या है ये सुपरबग जानिए इसके बारे में विस्तार से...

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अस्पतालों का रुख लोग अपनी बीमारियों को ठीक कराने के लिए करते हैं। लेकिन तब क्या हो जब बड़े-बड़े अस्पताल की बीमारियों के फैलने का कारण बन जाएं। जी हां ऐसा ही मामले को दर्शाते हुए एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि देश के बड़े 21 अस्पतालों में सुपरबग की खतरनाक स्थिति है। इस स्थिति के कारण अस्पतालों में जाने वाले मरीजों की जान को खतरा भी पैदा हो सकता है। जी हां इस बात का खुलासा अपनी रिपोर्ट में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने किया है। ICMR और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा देश के बड़े अस्पतालों में किए गए सर्वे में यह बात साबित हुई है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...

रिपोर्ट में क्या आया सामने?भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सुपरबग्स मरीजों के सैंपल में पाए गए हैं। जिसमें यूरिन और ब्लड सैंपल दोनों तरह के सैंपल शामिल हैं। ये मरीज अस्पतालों में OPD, IPD और ICU सभी तरह के विभागों में उपस्थित थे। इस चौंकाने वाली रिपोर्ट ने अस्पतालों में हड़कंप मचा दिया है। जिससे निपटने के लिए अस्पतालों ने अपनी कमर को कस लिया है। जिसमें दवाओं के बेहतर मैनेजमेंट और अपशिष्ट को ठीक से निपटान के लिए सलाह दी गई है।

क्या है सुपरबग्स?

सुपरबग्स की बात करें तो यह बैक्टीरिया, वायरस और फंगल के ऐसे स्ट्रेन होते हैं, जो बहुत सी एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति रेजिस्टेंस होते हैं। इसमें कई तरह की आधुनिक दवाएं भी शामिल हैं। हालांकि इनका निर्माण भी एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग के कारण ही होता है। यह आपके शरीर के लिए हानिकारक वायरस, बैक्टीरिया को और मजबूत बनाने का काम करते हैं।

कितना बड़ा खतरा?

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने साल के शुरुआत में प्रकाशिक की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया था कि साल 2050 तक सुपरबग्स कैंसर जैसे बड़े खतरे का भी कारण हो सकते हैं। इसके साथ ही इसके कारण हर साल दुनिया को लगभग 3.4 ट्रिलियन डॉलर का अतिरिक्त खर्चा उठाना पड़ेगा। इसी रिपोर्ट में बताया गया था कि इनके बढ़ने के पीछे लगातार बढ़ता प्रदूषण और बड़े लेवल पर हो रहा पशुपालन है।

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