World Tuberculosis Day 2023: 24 मार्च को मनाया जाता है वर्ल्ड टीबी डे, जानिए इस वर्ष घातक टीबी के खिलाफ लड़ाई का क्या है मास्टर प्लान

World Tuberculosis Day 2023: क्षय रोग मुख्य रूप से माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होता है। इस बीमारी में 75% मरीजों के फेफड़े प्रभावित होते हैं। यह कुछ रोगियों में अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है।

World Tuberculosis Day 2023

World Tuberculosis Day 2023: 24 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड टीबी डे ? (Image: istockphoto)

World Tuberculosis Day 2023 Theme and History: 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन इस दिन दुनिया भर में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित करता है। जिसके जरिए दुनिया भर के लोगों में इस जानलेवा बीमारी से जागरुकता पैदा की जाती है। 24 मार्च, 1882 को जर्मन चिकित्सक और सूक्ष्म जीवविज्ञानी रॉबर्ट कोच ने इस घातक बीमारी के कारण बैक्टीरिया की खोज की, टीबी के निदान और उपचार में यह बहुत मददगार था।

क्षय रोग एक संक्रामक रोग है जिसे दवा से आसानी से ठीक किया जा सकता है। हालांकि, बीमारी के बारे में जागरूकता की कमी से इसका पता लगाना और इसे लंबे समय तक निष्क्रिय रखना मुश्किल हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस (World TB Day 2023) की शुरुआत लोगों को तपेदिक (टीबी) के बारे में शिक्षित करने के लिए की, जो एक संक्रामक बीमारी है जिससे हर साल लाखों लोग मारे जाते हैं।

विश्व क्षय रोग दिवस का इतिहास | What is the history of World TB Day?

टीबी की बीमारी का इतिहास 24 मार्च, 1882 का है। जब डॉ. रॉबर्ट कोच ने टीबी बैसिलस की खोज की थी। हालांकि इससे पहले टीबी को 1700 के दशक में 'सफेद प्लेग' (White Plague) कहा जाता था, क्योंकि इस दौरान रोगी का शरीर एकदम सफेद पड़ जाता है। साल 1921 में पहले टीबी रोगी को बीसीजी का टीका लगाया गया था, जिसे विकसित होने में 13 साल लगे। 24 मार्च, 1982 को, टीबी बेसिलस की खोज के एक सदी बाद, WHO डॉ. कोच की खोज के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पहला विश्व कैरीज़ दिवस मनाया गया।

विश्व क्षय रोग दिवस क्यों मनाया जाता है? | Why is World TB Day celebrated?

टीबी की बीमारी अभी भी दुनिया के कई हिस्सों में मौजूद है। अभी भी कई लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। हालांकि एक आम धारणा है कि तपेदिक एक अप्रचलित बीमारी है, जो कि अब यह मौजूद नहीं है। हालांकि, रिपोर्टों से पता चलता है कि दुनिया की एक तिहाई आबादी (लगभग 2 बिलियन लोग) अभी भी टीबी की बीमारी से पीड़ित हैं। इसलिए, दुनिया भर के लाखों लोगों तक पहुंचना और उन्हें टीबी के बारे में शिक्षित करना और इसके प्रसार को सीमित करना महत्वपूर्ण है।

क्या है इस साल के विश्व टीबी दिवस की थीम? | What is the theme of Tuberculosis day 2023?

विश्व क्षय रोग दिवस 2023 की थीम (What is the theme of World TB Day?) "यस! वी कैन एंड टीबी!" ('Yes! We can end TB!') यानि "हां! हम टीबी को खत्म कर सकते हैं।" है। इस विषय का चयन इस बीमारी की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया है ताकि तपेदिक यानि टीबी की बीमारी को जल्द ही दुनिया से खत्म किया जा सके।

2025 तक टीबी मुक्त होगा भारत | Can India eliminate TB by 2025?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने 2030 तक इस घातक बीमारी को दुनिया से खत्म करने का संकल्प लिया है। इसके लिए अटेंशन का निर्धारण और प्लानिंग कर ली गई है। दूसरी ओर, भारत ने 2025 तक इस बीमारी को देश से खत्म करने का संकल्प लिया है। केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 9 मार्च, 2023 तक देश भर में 9.69 लाख टीबी रोगियों में से 9.55 लाख निक्षय मित्र द्वारा अपनाए गए हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि टीबी से मुक्ति का लक्ष्य जहां 2030 है, वहीं भारत ने इसे हासिल करने के लिए 2025 का लक्ष्य रखा है।

दुनिया भर में हर दिन TB से 4000 लोगों की होती है मौत | What is the death rate of TB?विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में हर दिन 4000 लोग तपेदिक से मरते हैं। भारत में बड़ी संख्या में TB के मरीज (How many people have TB in India?) हैं और भारत एशियाई देशों में पहले स्थान पर है। इसलिए भारत सरकार की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित लक्ष्य से पहले देश से टीबी को खत्म करने के लिए एक कार्यक्रम की योजना बनाई गई है।

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प्रणव मिश्र author

मीडिया में पिछले 5 वर्षों से कार्यरत हैं। इस दौरान इन्होंने मुख्य रूप से टीवी प्रोग्राम के लिए रिसर्च, रिपोर्टिंग और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए काम किया...और देखें

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