सिर और गर्दन के कैंसर के ये हो सकते हैं लक्षण और संकेत, डॉक्टर बता रहे हैं कैसे करें डिटेक्ट
सिर और गर्दन का कैंसर आमतौर पर स्क्वैमस कोशिकाओं से शुरू होता है, जो सिर और गर्दन के अंदर नम और म्युकोसल सतह में पाई जाती हैं, जैसे मुंह, नाक और गले के अंदर की तरफ।
दिल्ली: सिर और गर्दन का कैंसर आमतौर पर स्क्वैमस कोशिकाओं से शुरू होता है, जो सिर और गर्दन के अंदर नम और म्युकोसल सतह में पाई जाती हैं, जैसे मुंह, नाक और गले के अंदर की तरफ। सिर और गर्दन में पाए जाने वाले इस तरह के कैंसर को स्क्वैमस सैल कैंसर भी (Squamous cell cancer) कहा जाता है। अगर आपके मुंह में कोई भी अल्सर हो रहा है तो उसपर ध्यान देना ज़रूरी है। इसके लक्षणों में -आवाज में फर्क आना, खाने में दिक्कत, खाने निगलते वक्त कठिनाई, नाक से खून आना शामिल है। अगर आपको इनमे से कोई भी लक्षण होते हैं तो किसी ईएनटी या सिर और गर्दन के कैंसर के डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी होता है।
मेदांता, गुरुग्राम ईएनटी और हेड नेक सर्जरी के चेयरमैन डॉ. के.के. हांडा बताते है की कैंसर में रोग को जितना जल्दी डिटेक्ट किया जाए उतना इफेक्टिव इलाज किया जा सकता है और उसका उतना ही ज्यादा ठीक इलाज होने की संभावना बढ़ जाती है। जैसे की स्टेज १ का ५ ईयर सर्वाइवल रेट अगर 95% है तो स्टेज 4 का 60% तक कम हो जाता है और कैंसर दिनों में फेलता है, इस्लिये इसको जल्दी डायग्नोस करना बहुत ज़रुरी है।
हेड एंड नेक कैंसर के लक्षणहेड एंड नेक कैंसर के अलग अलग भाग है जिन पर कैंसर से अलग अलग लक्षण हो सकते है जैसे - आवाज के बक्से का कैंसर है तो उसमें आवाज में फर्क आता है , जो खाने की नली के ऊपर भाग जैसे हाइपोफरीनक्स है उसका कैंसर है तो खाना निगलने में दिक्कत आती है , अगर मुंह का कैंसर है तो ओरल कैविटी (ओरोफरीनक्स) में अल्सर बन जाते है , या खाने में दिक्कत आती है। नाक का कैंसर है तो नाक ब्लॉक हो सकता है, नाक से खून आ सकता है। अगर कान का कैंसर है तो उसमें कान से ब्लीडिंग हो सकती है, सुनने में फर्क आ सकता है, मुंह टेड़ा भी हो सकता है।
सिर और गर्दन कैंसर की शुरुआती पहचान के लिए कौन से स्क्रीनिंग और नैदानिक परीक्षण उपलब्ध हैं?सीर और गर्दन कैंसर के लिए किसी भी कैंसर की तरह अच्छे से अलसर को एक्जामिन करना ज़रूरी है, जिसमें डॉक्टर मरीज के मुंह को खोलकर जांच करते हैं। एग्जामिनेशन में डॉक्टर मुंह के और जीभ के आस पास के भाग - बुक्कल म्यूकोसा, और ऑरोफरीनक्स की अच्छे से जांच करते है, उसके बाद लैरींगोस्कोपी करते हैं जिसमे टेलिस्कोप से या फाइबरऑप्टिक लैरींगोस्कोप से आवाज का बक्सा या वोकल कॉर्ड्स की जांच की जाती है और नेजल एंडोस्कोपी से नाक की जांच की जाती है । इसके बाद भी अगर कोई डाउटफुल चीज दिखने मिलता हैं तो बायोप्सी करी जाती है। अगर कुछ भी संदिग्ध अल्सर जैसा दिखता है तो बायोप्सी या उसके बाद सीटी स्कैन और एमआरआई किया जाता है यह देखने के लिए की अगर कोई मैलिग्नेंसी है तो वह कितनी फैली हुई है।
अर्ली डिटेक्शन सिर और गर्दन के कैंसर के लिए उपचार के विकल्प को कैसे प्रभावित करती हैहेड एंड नैक कैंसर के अर्ली स्टेज में एक ही मोडेलिटी से इलाज हो जाता जिसमे सर्जरी और रेडियोथेरेपी के द्वारा कैंसर ट्रीट किया जाता है। उदाहरण के लिए- आवाज़ के बक्से का कैंसर स्टेज 1 में रेडियोथेरेपी या लेज़र से ट्रीट होता है, पर अगर स्टेज 4 का कैंसर है तो आवाज़ का बक्सा निकालना पढ़ सकता है और रेडियोथेरेपी या कीमो की ज़रुरत भी पढ़ती है। इसीलिए जितना जल्दी आप कैंसर को डायग्नोस करेंगे उतने ही कम इलाज की ज़रूरत पढ़ती है।
जितना देरी से कैंसर का इलाज होता है उतना ही सर्जिकल ऑर्गन निकालना पढता है और उतना ही ज़्यादा विकलांग और विकृति होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। अब किसी की आवाज का बक्सा निकलता है उसे लेरिंजेक्टॉमी कहते हैं , जिसके दौरान कैंसर निकालने के लिए गले में छेद करना पड़ता है और कई केसेस में आदमी फिर से नॉर्मल आदमी की तरह बोल नहीं पाता। अगर यही कैंसर का इलाज स्टेज 1 में होता है तो इस सब की जरूरत नहीं पड़ती और एक लेजर सर्जरी से या रेडियोथेरेपी से कैंसर ठीक हो सकता था।
सिर और गर्दन के कैंसर का जल्द पता लगाने में कुछ चुनौतियाँ क्या हैं और हम उन्हें कैसे दूर कर सकते हैंचैलेंज यह है कि लोग इस कैंसर के लक्षणों को कई दफा नजरंदाज कर देते हैं और उसपर ध्यान नहीं देते। वह सोचते हैं कि थोड़ा सा इंफेक्शन है या गला खराब है और गंभीरता से इसके इलाज के लिए डॉक्टर से परामर्श भी नहीं करते यह सोचके की अपने आप ठीक हो जाएगा। और जब ध्यान देते है तब कैंसर लेट स्टेज में पहुंच जाता है । दूसरी बात ये है कि काई बार वो जनरल प्रैक्टिशनर्स के पास चले जाते हैं जो डॉक्टर अच्छे होते हैं पर वो इस एरिया को देख नहीं पाते। इसलिए लोगो को इस कैंसर के बारे में जागरुक बहुत जरूरी है कि क्योंकि सिर और गर्दन का कैंसर हिंदुस्तान में बहुत ही सामान्य कैंसर होता है।
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मूल की भावना ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIMC से 2014 में पत्रकारिता की पढ़ाई की. 10 सालों से मीडिया में काम कर रही हैं. न्यू...और देखें
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