नेचुरोपैथी के जरिए मीनोपॉज की समस्या को महिलाएं कर सकती हैं खत्म, एक्सपर्ट से जानिए

Naturopathy Treatment for Menopause: 10-12 महीने तक मासिक धर्म न आना मेनोपॉज कहलाता है। यह समस्या 45 से 55 वर्ष की महिलाओं में अधिक होती है। मीनोपॉज प्राकृतिक है, कोई बीमारी नहीं। लेकिन मेनोपॉज के बाद कई महिलाओं को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिससे उनकी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो जाती है। मेनोपॉज के कारण अक्सर महिलाओं को बड़ी गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ता है।

Naturopathy Treatment for Menopause

Naturopathy Treatment for Menopause: आपको कैसे पता चलेगा कि आपका मीनोपॉज खत्म हो गया है?

Naturopathy Treatment for Menopause: प्राकृतिक चिकित्सा या नेचुरोपैथी से संबंधित औषधियां स्वास्थ्य की देखभाल के प्रति एक संपूर्ण सोच की भांति होती हैं, जो रोकथाम, प्राकृतिक उपचारों और जीवनशैली और खानपान में परिवर्तन के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य पर बल देती है। जब महिला-स्वास्थ्य की बात होती है, तो प्राकृतिक औषधियां अनेक प्रकार के मुद्दों के समाधान के लिए बहुमूल्य तरीका साबित हो सकती हैं, जैसे - मासिक-धर्म की अनियमितताएं और हार्मोन का असंतुलन, मासिक-चक्र के दौरान दर्द, अत्यधिक रक्त-स्राव और अनियमित चक्र जैसी मासिक-धर्म की अनियमितताओं के कई कारण हो सकते हैं। इनमें तनाव, खान-पान संबंधी कमियां और हार्मोन के असंतुलन शामिल हैं।

प्राकृतिक चिकित्सा के विशेषज्ञों की ऐसी ही एक सोच खाने-पीने और जीवन-शैली के परिवर्तनों से जुड़ी हुई है। इसमें विश्राम की तकनीकों के माध्यम से तनाव कम करना, अधिक पोषक तत्वों वाले खाद्य-पदार्थों को भोजन में शामिल करना और नियमित रूप से व्यायाम करना आदि शामिल हैं। वे मैग्नीशियम या बी-विटामिन जैसे सप्लीमेंट्स लेने की सलाह भी दे सकते हैं, जिनसे हार्मोन का संतुलन बनाने और सूजन एवं जलन कम करने में मदद मिलती है।

जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट ,बैंगलोर की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बबीना एनएम ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि महिला-स्वास्थ्य से जुड़े मामलों के उपचार का अन्य तरीका, जड़ी-बूटियों वाली औषधियों का प्रयोग है। उदाहरण के लिए, कुछ जड़ी-बूटियां, जैसे - चेस्टबेरी और काला कोहोश को मासिक-चक्र को नियंत्रित करने में लाभदायक पाया गया है। इनसे हार्मोन असंतुलन के लक्षणों में भी कमी आती है, जैसे - हॉट फ्लैशेज (अचानक बुखार वाली गर्मी महसूस करना) और मूड का तेजी से बदलना।

प्राकृतिक औषधियां रोकथाम पर भी अत्यधिक जोर देती हैं। इस चिकित्सा के विशेषज्ञ आमतौर पर अपने मरीजों की जीवन-शैली से संबंधित ऐसे तथ्यों की पहचान तलाश करते हैं, जिनसे उनके स्वास्थ्य में गड़बड़ियां पैदा हो सकती हैं। इसके बाद उनमें सकारात्मक परिवर्तन का तरीका तय करने में उनकी सहायता करते हैं। इनमें पर्यावरण से संबंधित जहरीले तत्वों की पहचान और निराकरण, हानिकारक रसायनों के प्रति संपर्क, मेडिटेशन, योग एवं अन्य तकनीकों से तनाव कम करना आदि शामिल हैं।

कुल मिलाकर, नेचुरोपैथी की औषधियां महिला स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए मूल्यवान साधन हो सकती हैं। इन समस्याओं में मासिक-धर्म की अनियमितताएं और हार्मोन असंतुलन प्रमुख हैं। इसी प्रकार, प्रत्येक महिला स्वास्थ्य से संबंधित जिस समस्या को अनिवार्य रूप से झेलती है, वह है मीनोपॉज।

डॉ. बबीना एनएम ने बताया कि मीनोपॉज की समस्या उस समय पैदा होती है, जब महिला का शरीर मासिक-धर्म रुकने और अंडों का निर्माण बंद होने की स्थिति में आ जाता है। यह उस अवस्था का संकेत है, जब शरीर के भीतर हार्मोन में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। मीनोपॉज का प्रभाव प्रत्येक महिला में अलग-अलग हो सकता है। यह प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया आमतौर पर 45-55 वर्ष में आरंभ होती है और इस दौरान अनेक परेशानी भरे लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे - अनियमित मासिक-धर्म, योनि का शुष्कपन, प्रजनन में कमी, हॉट फ्लैशेज, पेट की चर्बी बढ़ना, स्तन की पूर्णता घट जाना, नींद में परेशानी, बालों का पतला होना, चिड़चिड़ाहट, मूड जल्दी-जल्दी बदलना, एकाग्रता और याददाश्त में कमी।

नेचुरोपैथी से मीनोपॉज के लक्षणों से किस प्रकार राहत मिल सकती है?

डॉ. बबीना एनएम ने बताया कि पारंपरिक रूप से बताई गई दवाइयों की तुलना में प्राकृतिक चिकित्सा और प्राकृतिक उपचार एकदम अलग दृष्टिकोण अपनाते हैं। कुछ समय के लिए राहत देने की बजाय, नेचुरोपैथी से लक्षण के कारण का इलाज किया जाता है और उसकी तीव्रता कम की जाती है। सेक्स हार्मोन प्रोजेस्टेरोन, ऑस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन के बीच प्राकृतिक उपचार से पुन: संतुलन स्थापित किया जाता है।

जीवन-शैली में परिवर्तनों में स्वस्थ भोजन लेना, योग, पर्यावरण के प्रदूषकों से निजात, पर्याप्त नींद और पुराने तनाव से निपटना आदि शामिल हो सकते हैं, यह प्राकृतिक चिकित्सा का महत्वपूर्ण भाग है। ये सभी परिवर्तन महत्वपूर्ण रूप से और सक्रियता से विभिन्न प्रकार के रोगों का खतरा विशेष रूप से हृदय और हड्डियों का खतरा कम करते हैं।

संतुलित भोजन

प्राकृतिक चिकित्सा भोजन को उपचार की भांति प्रयोग करती है। अच्छी तरह संतुलित भोजन सभी प्रकार के खाद्य-पदार्थों और पोषक तत्वों से पूर्ण होता है। इससे हार्मोन असंतुलन के कोशिकाओं पर पड़ने वाले असर को उल्लेखनीय रूप से कम किया जा सकता है।

आपके प्रतिदिन के भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स और हेल्दी फैट का उचित अनुपात होना चाहिए। प्रत्येक भोजन में पर्याप्त फल और हरी पत्तेदार सब्जियां लेनी चाहिए। भोजन में शुगर और कार्बोहाइड्रेट पर नजर रखनी चाहिए। जहरीले तत्वों और रसायनों से अपने संपर्क का अनुमान लगाएं। इनमें नेल पॉलिश में मौजूद टॉलीन और प्लास्टिक में पाया जाने वाला थैलेट शामिल हैं। इनसे ऑस्टोजन के निर्माण के लिए आवश्यक एंजाइम्स में रुकावट पैदा हो सकती है।

जड़ी-बूटी वाले उपचार

हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव दूर करने के लिए, नेचुरोपैथी जड़ी-बूटी वाले उपचार अपनाने की सलाह देती है। इस विधि में पौधों और जड़ी-बूटी वाली औषधियों को अत्यधिक प्रयोग किया जाता है, जिससे मीनोपॉज और पेरीमीनोपॉजल लक्षणों को नियंत्रित और उनकी रोकथाम की जा सके। इसके पीछे इस विधि का यह दृष्टिकोण है कि भोजन दवाई है।

जड़ी-बूटियां और पौधे आपके हार्मोन्स की सहायता कर सकते हैं, आपके शरीर की विशेष जरूरतों के अनुसार उनकी सक्रियता कम कर सकते हैं या उसके अनुसार उन्हें ढाल सकते हैं, क्योंकि उनमें मनुष्य के हार्मोन जैसे अणु-संबंधी अनेक गुण होते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत, जड़ी-बूटी वाली कुछ औषधियां निम्नलिखित हैं :

• लेडीज मेंटल

• काला कोहोश

• जंगली रतालू

• शतावरी और अश्वगंधा

• चेस्ट बेरी

• जिनसेंग

• रेड क्लोवर

• जॉन्स वॉर्ट

योग

योग से तनाव कम होता है, स्वस्थ जीवन-शैली को बढ़ावा मिलता है और एंडोक्राइन और हार्मोन प्रणालियां नियंत्रित और संतुलित होती हैं। महिलाओं में तनाव से पैदा होने वाले कोर्टिसोल और फैट के वितरण पर हुए अध्ययन में यह पाया गया कि ऑस्ट्रोजन का स्तर कम होने के अतिरिक्त, तनाव से भी कोर्टिसोल का स्तर बढ़ता है, जिसका संबंध पेट की चर्बी बढ़ने से भी है। अनेक अध्ययनों से यह पता चला है कि मीनोपॉज की स्थिति से गुजर रहीं महिलाओं में योग से जीवन की गुणवत्ता बेहतर की जा सकती है, क्योंकि योग से तनाव कम होता है और हॉट फ्लैशेज, वजन बढ़ने और नींद नहीं आने जैसे लक्षणों को दूर किया जा सकता है। निम्नलिखित कुछ योगासनों का प्रयोग किया जा सकता है :

अधोमुख श्वान आसन : यह आसन मस्तिष्क में ऑक्सीजन का प्रवाह तेज कर सजगता को बढ़ाता है।

बद्धकोणासन : यह तनाव से राहत और शांति देने वाला आसन है, जो हॉट फ्लैशेज की स्थिति में लाभदायक हो सकता है।

नौकासन : यह प्रमुख आसन आगे और किनारे की बेली मांसपेशियों पर काम करता है और उन्हें सही रखने में मददगार है।

आनंद बालासन : यह आसन राहत के लिए अच्छा है और पीठ के निचले भाग और नीचे के हिस्से की मांसपेशियों को फैलाता है।

डॉ. बबीना एनएम का कहना है कि महिलाएं प्राकृतिक रूप से ही पुरुषों की तुलना में अधिक अनुकूलनीय होती हैं, इसलिए अपने जीवन जीने के तरीके में थोड़े परिवर्तन से ही चौंका देने वाले असर दिखाई दे सकते हैं। पर्याप्त मात्रा में फल और हरी पत्तेदार सब्जियों के अलावा आवश्यक सप्लीमेंट्स भी लेने चाहिए। सर्वाधिक महत्वपूर्ण रूप से, स्वयं से यह वादा करें कि आप एक स्वस्थ मस्तिष्क और शरीर के लिए इस अनुशासन का पालन करते रहेंगे। यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम है।

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प्रणव मिश्र author

मीडिया में पिछले 5 वर्षों से कार्यरत हैं। इस दौरान इन्होंने मुख्य रूप से टीवी प्रोग्राम के लिए रिसर्च, रिपोर्टिंग और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए काम किया...और देखें

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