क्यों मनाया जाता है World Contraception Day, क्या है इसका महत्व, जानें इतिहास और थीम

World Contraception Day Significance History Theme In Hindi: हर साल लोगों को अनचाहे गर्भ से बचाने और सही फैमिली प्लानिंग करने को लेकर जागरूक करने के लिए विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाया जाता है। यह दिन बहुत खास महत्व रखता है और इसका इतिहास भी काफी रोचक है। यहां जानें इस साल की थीम क्या है।

World Contraception Day Significance History Theme In Hindi

World Contraception Day Significance History Theme In Hindi: दुनियाभार में हर साल 26 सितंबर को विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाया जाता है। यह दिन हम भी के लिए बहुत खास महत्व रखता है। यह एक अभियान है जिसकी मदद से लोगों को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। इसका उद्देश्य अनपेक्षित गर्भधारण को कम करना और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार करना है। यह परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह लोगों को अनुमति देता है कि वे अपने अनुसार बच्चे पैदा कर सकें। गर्भनिरोधक का भी माातृ और शिशु स्वास्थ्य में सुधार करने और महिलाओं को उनके प्रजनन विकल्पों पर नियंत्रण देकर सशक्त बनाने की क्षमता में निहित है। आपको बता दें कि कंडोम जैसी अवरोधक विधियों गर्भनिरोधक यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) के खतरे को भी कम करता है।

विश्व गर्भनिरोधक दिवस का महत्व - World Contraception Day Significance In Hindi

बहुत बार लोगों के साथ पहले यह देखने को मिलता था कि उन्हें ना चाहते हुए बच्चे पैदा करने पड़ते थे। लोगों को इस विषय को लेकर कोई जानकारी नहीं होती थी कि आखिर अनचाही प्रेग्नेंसी से कैसे बचा जा सकता है। लेकिन आज के समय में ऐसे कई तरीके मौजूद हैं, जिनकी मदद से अनचाही प्रेग्नेंसी से आसानी से बचा जा सकता है। लेकिन आज भी समाज में इसे कलंक के रूप में देखा जाता है। फैमिली प्लानिंग के लिए लोगों को कॉन्ट्रासेप्शन के लिए मौजूद विकल्पों के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। ऐसे में लोगों को इसके प्रति जागरूक बनाने के लिए हर साल 26 सितंबर को World Contraception Day मनाया जाता है।

विश्व गर्भनिरोधक दिवस का इतिहास - History Of World Contraception Day In Hindi

विश्व गर्भनिरोधक दिवस की शुरुआत उन चुनौतियों से निपटने के लिए की गई थी, जिससे की उन्हें गर्भनिरोधक तक पहुंचने किसी भी तरह की समस्या का सामना न करने पड़े। परिवार नियोजन एजेंसियों के एक समूह द्वारा इस दिन की शुरुआत वर्ष 2007 में की गई थी। गर्भपात को लेकर सांस्कृतिक कलंक, शिक्षा की कमी और हेल्थ केयर सुविधाओं की कमी आदि जैसी स्थितियों का सामना लोगों को न करना पड़े, इसको देखते हुए ही इस दिवस की शुरुआत की गई थी। तब से हर साल यह दिवस मनाया जा रहा है।

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