World Health Day 2023: गंभीर बीमारियों से बचा सकता है नियमित योगासन, एक्सपर्ट से जानिए स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बना सकता है योग
World Health Day 2023: सभी के लिए स्वास्थ्य" का लक्ष्य प्राप्त करने में योग की भूमिका स्पष्ट है। योग से शारीरिक, स्वास्थ्य और सामुदायिक स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है। इसे विभिन्न चिकित्सकीय स्थितियों के मामलों में पूरक चिकित्सा-पद्धति के रूप में भी अपनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, यह संपूर्ण कल्याण को बढ़ावा देने के लिए स्थायी और कम लागत वाला दृष्टिकोण भी है।
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World Health Day 2023: विश्व स्वास्थ्य दिवस 2023 का थीम "सभी के लिए स्वास्थ्य" का सिद्धांत उस विचार को बढ़ावा देता है जिसमें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य-सेवाएं सभी की पहुंच के भीतर होनी चाहिए। भले ही, लोगों का सामाजिक-आर्थिक स्तर भिन्न हो। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ऐसे समग्र दृष्टिकोण की जरूरत है, जो SDOH (Social Determinants of Health) यानी स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले गैर-चिकित्सकीय कारणों से निपट सके। हाल के वर्षों में, बड़े स्तर पर यह महसूस किया गया है कि योग जैसी पारंपरिक पद्धतियां स्वास्थ्य-सुधार और संपूर्ण कल्याण को बढ़ावा देने में बहुत उपयोगी हो सकती हैं।
योग भारत में जन्मी प्राचीन पद्धति है। यहां इसका इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। दरअसल, यह स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति समग्र दृष्टिकोण है, जिसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलू शामिल हैं। योग के अंतर्गत विभिन्न आसन, श्वसन-व्यायाम और ध्यान की तकनीकों को रखा जा सकता है, जो विश्राम को बढ़ावा देती हैं, तनाव कम करती हैं और संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाती हैं।
योग के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत सरकार ने भारत के जामनगर में WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (GCTM) की स्थापना के लिए हाथ मिलाया है। इससे योग जैसी पद्धतियों के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका और विश्व में इसकी स्वीकार्यता सिद्ध होती है। भारत सरकार ने जीसीटीएम की सहायता के लिए 25 करोड़ यूएस डॉलर का निवेश किया है। यह केंद्र प्रमाण एवं अध्ययन, स्थिरता और इक्विटी, डाटा और एनालिटिक्स के अतिरिक्त नई खोजों और तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके अतिरिक्त, इस केंद्र का उद्देश्य होगा कि यह वैश्विक स्वास्थ्य और स्थायी विकास में पारंपरिक औषधियों (ट्रेडिशनल मेडिसिन - TRM) के योगदान को बेहतर कर सके।
जीसीटीएम की परिकल्पना भारत के उस केंद्र-बिंदु के अनुरूप है, जिसके अंतर्गत पारंपरिक औषधि वाली पद्धतियों के प्रदर्शन पर निगरानी रखी जाती है, इन पर शोध की क्षमता को बढ़ाया जाता है, टीआरएम उत्पादों के लिए सुरक्षा की अधिक निगरानी की जाती है और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में सुरक्षित और प्रभावी पारंपरिक औषधियों को शामिल किया जाता है। उल्लेखनीय है कि यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज यानी सभी तक स्वास्थ्य-सेवाओं की पहुंच के लिए सुरक्षित, प्रभावी और प्रमाण-आधारित पारंपरिक औषधियों का फायदा लेने की कोशिशें क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर की जा रही हैं। यह केंद्र इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह सबसे बड़ी प्राथमिकता और स्थायी विकास के लक्ष्यों में से एक है, जो शेष सभी लक्ष्यों को सहारा प्रदान करता है।
उत्तम स्वास्थ्य के जरूरी है नियमित योगाभ्यास
बैंगलोर स्थिति जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट के मुख्य योग अधिकारी, डॉ. राजीव राजेश ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि योग के प्रमुख फायदों में से एक है, शरीर की सेहत में सुधार लाने की इसकी क्षमता। योग की मुद्राएं, जिन्हें आसन भी कहा जाता है, शरीर के लचीलेपन, शक्ति और संतुलन को बढ़ाने में सहायक हैं। योग का नियमित अभ्यास विभिन्न और पुरानी स्वास्थ्य-समस्याओं जैसे - आर्थराइटिस, हाइपरटेंशन और डायबिटीज से बचाव और नियंत्रण में लाभदायक है। इसके अतिरिक्त, योग व्यायाम का ऐसा स्वरूप है, जो शरीर पर अधिक जोर नहीं डालता, इसलिए यह सभी उम्र और फिटनेस वाले लोगों के लिए उचित है।
बेहतर होती है नींद की गुणवत्ता
डॉ. राजीव राजेश ने बताया कि शारीरिक स्वास्थ्य-लाभों के अतिरिक्त, योग से मानसिक स्वास्थ्य को भी लाभ मिलता है। यह सिद्ध हो चुका है कि योग से तनाव, चिंता और अवसाद में कमी आती है। इससे आराम मिलता है और नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है। योग के नियमित अभ्यास से शरीर के ज्ञान संबंधी कार्य (कॉग्निटिव फंक्शन), स्मृति और एकाग्रता में सुधार होता है। साथ ही, योग का आध्यात्मिक पहलू लोगों में आंतरिक शांति, स्वयं और अपने आसपास की दुनिया के साथ गहरे संबंध की भावना विकसित करने में भी सहायक है।
योग के लाभ केवल व्यक्तियों तक सीमित नहीं हैं। योग सामुदायिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्वास्थ्यवर्धक पद्धतियों के बारे में जागरूकता और ज्ञान का अभाव "सभी के लिए स्वास्थ्य" का लक्ष्य प्राप्त करने में प्रमुख चुनौतियों में से एक है। सामुदायिक स्वास्थ्य-शिक्षा और प्रचार के लिए योग शक्तिशाली माध्यम हो सकता है। समुदायों में योग सिखाने से लोग स्वस्थ जीवनशैली के तरीकों, तनाव-प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जान सकते हैं। इसके अतिरिक्त, योग के अभ्यास से समुदाय और सामाजिक जुड़ाव की भावना भी विकसित की जा सकती है, जिससे सामाजिक अलगाव कम करने और मानसिक स्वास्थ्य के सुधार में सहायता मिलती है।
उपचार की योजनाओं में शामिल किया जा चुका है योग
योग को विभिन्न बीमारियों के लिए पूरक चिकित्सा के रूप में अपनाया जा सकता है। दुनियाभर में अनेक अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं के अंतर्गत योग को उपचार की योजनाओं में शामिल किया जा चुका है। योग को पुराने दर्द की रोकथाम, चिंता और अवसाद के लक्षणों में कमी और विभिन्न बीमारियों के मरीजों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही, योग से दवाइयों और दूसरी मेडिकल सहायताओं की जरूरतों को भी कम किया जा सकता है। इससे स्वास्थ्य की देखभाल पर आने वाले खर्च में कमी होती है और सभी के लिए स्वास्थ्य-सुविधाओं की पहुंच भी बेहतर होती है।
स्वास्थ्य संबंधी लाभों के अतिरिक्त, योग संपूर्ण कल्याण की स्थिति को बढ़ावा देने के लिए स्थायी और कम लागत वाला दृष्टिकोण भी है। कई अन्य आधुनिक चिकित्सकीय साधनों के विपरीत, योग की निर्भरता किसी महंगे उपकरण या दवाइयों पर नहीं है। इसका अभ्यास कहीं भी, किसी भी समय और किसी के भी द्वारा किया जा सकता है। यही विशेषता योग को ऐसा आदर्श स्वरूप देती है, जिससे सीमित स्वास्थ्य-सुविधाओं जैसे कम-संसाधनों में भी संपूर्ण कल्याण को बढ़ावा मिल सकता है।
योग ऐसा अभ्यास है, जिसे विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों के अनुरूप ढाला जा सकता है। भारत में योग हजारों वर्षों से किया जा रहा है और देश की संस्कृति और परंपराओं में गहराई तक समाया है। हालांकि, हाल के कुछ बरसों में योग की प्रसिद्धि पूरी दुनिया में फैली है। इसी के साथ, योग के अनेक सांस्कृतिक रूपांतरण भी सामने आए हैं। योग के अभ्यासों में यह विविधता इसकी सभी जगह मौजूदगी को दर्शाती है और साबित करती है कि इसमें विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों में ढल जाने की भी क्षमता है।
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