World Hemophilia Day 2023: जब शरीर से खून निकलना नहीं होता बंद, 5000 लोगों में से किसी एक को होती है यह रॉयल डिजीज
World Hemophilia Day 2023: हर साल 17 अप्रैल को 'विश्व हीमोफिलिया दिवस' मनाया जाता है। हीमोफिलिया और अन्य रक्तस्राव विकारों के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से यह विशेष दिवस मनाया जाता है। हीमोफिलिया रक्त से संबंधित विकार है और हीमोफीलिया को रॉयल डिजीज भी कहा जाता है। जानिए इस बीमारी से जुड़ी अहम बातें-
World Hemophilia Day 2023: हीमोफीलिया रोग कितने प्रकार के होते हैं?
Royal Disease Hemophilia: हीमोफिलिया को 'रॉयल डिजीज' के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह बीमारी यूरोपीय शाही परिवार का हिस्सा रह चुकी है। दुनिया सबसे पहले इस बिमारी से महारानी विक्टोरिया पीड़ित हुईं और उनसे यह बीमारी म्यूटेट होकर उनके बच्चों में फ़ैल गयी; जिसके बाद यह बीरमारी परिवार के साथ कई देशों के राजघरानों में फ़ैल गयी। संबंधित खबरें
बता दें कि यह एक तरह का ब्लीडिंग डिसऑर्डर है और राजाओं में फैलने के कारण इसे रॉयल डिजीज कहा गया; इस बीमारी में कुछ भी शाही जैसा नहीं है। विश्व हीमोफिलिया दिवस 2023 पर आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में वह सब कुछ जो आपको इससे बचने में मदद कर सकता है।संबंधित खबरें
रॉयल डिजीज हीमोफिलिया क्या है ? - What is Royal Disease Hemophilia?
हीमोफिलिया एक ब्लीडिंग डिसऑर्डर है। जो काफी हद तक अनुवांशिक स्थिति है। इसमें थक्का जमाने वाले कारकों की कमी के कारण रक्त के थक्के जमने की प्रक्रिया ठीक से काम नहीं कर पाती है। जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को सामान्य से अधिक समय तक रक्तस्राव हो सकता है। आमतौर पर, जब हीमोफिलिया से पीड़ित व्यक्ति को चोट लग जाती है, तो रक्तस्राव अपने आप नहीं रुकता है क्योंकि रक्त में थक्का जमाने वाले फैक्टर्स की कमी होती है। जिसके बाद जोड़ों में दर्द की शिकायत भी होने लगती है।संबंधित खबरें
हीमोफीलिया के प्रकार - Types of Hemophilia
बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (BLK-Max Super Speciality Hospital), नई दिल्ली के सेंटर फॉर बोन मैरो ट्रांसप्लांट के एसोसिएटेड डायरेक्टर डॉ पवन कुमार सिंह ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि हीमोफीलिया तीन प्रकार का होता है; हीमोफिलिया A फैक्टर 8 की डिफिशिएंसी के कारण होता है। हीमोफीलिया B फैक्टर 9 और हीमोफीलिया C फैक्टर 10 की डिफिशिएंसी से होता है। हीमोफीलिया C महिला और पुरूष दोनों में हो सकता है। लेकिन A और B अधिकतर मामलों में पुरूषों में ही होता है। संबंधित खबरें
इन्हेरिटेड हीमोफीलिया के दो मुख्य प्रकार हैं, जिसमें हीमोफिलिया A और हीमोफिलिया B शामिल है। बता दें कि हीमोफिलिया A: यह क्लॉटिंग फैक्टर VIII की कम मात्रा के कारण होता है। जबकि हीमोफिलिया B: जो क्लॉटिंग फैक्टर IX के निम्न स्तर के कारण होता है। आम तौर पर एक गैर-कार्यात्मक जीन किसी के माता-पिता से "एक्स" क्रोमोज़ोम के माध्यम से जींस में मिलता है।संबंधित खबरें
क्लॉटिंग फैक्टर के आधार पर हीमोफीलिया A और B कई तरह से डिवाइड किया गया है। जिसमें माइल्ड, मॉडरेट और सेवियर के तौर पर इसे वर्गीकृत किया गया है। 1% से कम एक्टिव फैक्टर्स वाले रोगियों को गंभीर हीमोफीलिया में शामिल किया गया है। इसके अलावा कुछ कैंसर, ऑटोइम्यून डिजीज और गर्भावस्था अक्सर अक्वायर हीमोफिलिया से जुड़े होते हैं। हीमोफिलिया A अधिक सामान्य है और लगभग 5,000 जन्मों में से 1 में होता है। जबकि हीमोफिलिया बी 20,000 जन्मों में 1 को प्रभावित करता है।संबंधित खबरें
कैसे फैलती है हीमोफीलिया बीमारी ? - How does hemophilia disease spread?
डॉ पवन कुमार सिंह ने बताया कि हीमोफीलिया एक जेनेटिक बीमारी है और अनुवांशिक तौर पर इस बीमारी के होने की संभावना अधिक होती है। जेनेटिक बीमारी बेसिकली प्रोटीन जींस से जुड़ी हुई होती है। किसी भी प्रोटीन के लिए दो जींस होती है; जो एक पिता से मिलती है और दूसरी मां से जुड़ी हुई होती है। यदि गलती से भी दोनों ख़राब जींस हमारे अंदर आ जाएं तो उनमें मौजूद बीमारी होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। नॉर्मल कैरियर लोगों में एक जींस ख़राब होती है और उनमें इसके लक्षण नहीं दिखाई देते हैं; लेकिन दोनों ख़राब जींस बच्चे में आ जाये तो उसको ये बीमारी हो सकती है। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि हीमोफीलिया की बीमारी होती है और महिलाएं इस बीमारी की कैरियर होती हैं। संबंधित खबरें
हीमोफिलिया ए और बी X क्रोमोजोम-लिंक्ड बीमारियां हैं, जो मां से विरासत में मिलती हैं। हालांकि यह रोग पुरुषों में भी होता है। सभी मनुष्यों में एक X गुणसूत्र होता है, महिलाओं में दो X गुणसूत्र होते हैं। जबकि पुरुषों में एक X और एक Y क्रोमोजोम होता है। हीमोफिलिया के जीन को केवल X क्रोमोजोम ही कैरी करता है। एक पुरुष जो जिसके एक्स गुणसूत्र पर हीमोफिलिया जीन मिल सकता है, उसे हीमोफिलिया नामक बीमारी होगी। अगर एक महिला के एक्स गुणसूत्रों में से एक पर ख़राब जीन है, तो वह "हेमोफिलिया कैरियर" हो सकती है। जरूरी नहीं कि कैरियर हीमोफिलिया से पीड़ित हों, लेकिन वे अपने बच्चों को यह बीमारी दे सकते हैं।संबंधित खबरें
हीमोफीलिया बीमारी के बारे में कैसे पता चलेगा ? - How to know about hemophilia disease?
हीमोफीलिया के लक्षण बीमारी के गंभीरता के साथ बदलते है। आमतौर पर इस बीमारी में इंटरनल या एक्सटर्नल ब्लीडिंग की समस्या होती है। जिसमें हीमोफीलिया हल्का होता उनमें मामूली लक्षण दिखाई दे सकते हैं। लेकिन गंभीर मामलों में भयंकर इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है; इसमें मसल्स में ब्लीडिंग, जॉइंट्स में ब्लीडिंग, अत्यधिक दर्द होना, जोड़ो में सूजन या ब्लीडिंग शामिल है। इस लोगों के इलाज में कई जाटलिताओं का सामना करना पड़ सकता है। संबंधित खबरें
हीमोफिलिया उपचार का उपचार क्या है ? - Treatment of Hemophilia
ग्लैम्यो हेल्थ (Glamyo Health) की को-फाउंडर डॉ प्रीत पाल ठाकुर ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि हीमोफिलिया उपचार में नवीनतम प्रगति में से एक जीन थेरेपी है। जीन थेरेपी में ख़राब जीन को एक हेल्दी कॉपी जीन से बदलना शामिल है जो रोगी के शरीर में हीमोफिलिया का कारण बनता है, एक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के रूप में वायरस का उपयोग करता है। स्वस्थ जीन तब मिसिंग कोगुलेशन फैक्टर (missing coagulation factors) पैदा करता है, ब्लीडिंग के जोखिम को कम करता है और रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। जबकि अभी भी प्रैक्टिकल स्टेज में जीन थेरेपी ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं, कुछ रोगियों ने हीमोफिलिया से हमेशा के लिए छुटकारा मिल गया है। संबंधित खबरें
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प्रणव मिश्र author
मीडिया में पिछले 5 वर्षों से कार्यरत हैं। इस दौरान इन्होंने मुख्य रूप से टीवी प्रोग्राम के लिए रिसर्...और देखें
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