Zika Virus: जानिए क्या है जीका वायरस, जिसने मचा दिया है देशभर में हड़कंप, ऐसे कर सकते हैं बचाव
Zika Virus : कर्नाटक में जीका वायरस का पहला मामला मिलने के बाद अब लोगों की चिंता बढ़ गई है। जीका वायरस को लेकर विश्व स्तर पर जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक यह वायरस पहली बार अफ्रीकी देश युगांडा के जंगलों में मिला था। जानिए जीका वायरस से जुड़ी कुछ अहम बातें।
जीका ने मचा दिया देश में हड़कंप, कर्नाटक में मिला एक मामला
- कर्नाटक में जीका वायरस का पहला मामला मिलने के बाद लोगों में हड़कंप है।
- पांच साल की बालिका में जीका वायरस होने का मामला सामने आया है
- यह वायरस पहली बार अफ्रीकी देश युगांडा के जंगलों में 1947 में मिला था
सरकार एतिहातन नई गाइडलाइन जारी करेगी व सरकार इससे निपटने की तैयारी कर रही है। स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक बीते कुछ माह पूर्व केरल समेत महाराष्ट्र व यूपी में भी जीका वायरस के मामले पाए गए हैं। अब हर शख्स के मन में सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर जीका वायरस क्या है, इससे कैसे बचाव होता है, इसकी पहचान के लक्षण क्या हैं। इन्हीं सब सवालों के जवाब जानेेंगे।
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अफ्रीकी देश युगांडा में मिला था पहला मामला
जीका वायरस को लेकर विश्व स्तर पर जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक यह वायरस पहली बार अफ्रीकी देश युगांडा के जंगलों में 1947 में रीसस मकाक प्रजाति के बंदरों में मिला था। इसके बाद हुई कई रिसर्च में पहली बार सन् 1952 में इसे ‘जीका’ नाम दिया गया। क्योंकि यह वायरस जीका के जंगलों में मिला था।
गुजरात में पहली बार मिला जीका का मामला
जीका वायरस को लेकर हमारे देश की अगर बात करें तो वर्ष 2017 में गुजरात में इसका पहला मामला सामने आया। जिसमें इससे संक्रमित 3 लोग मिले। इसके बाद साल 2018 में इसके संक्रमण से ग्रसित एक व्यक्ति मिला। इसके बाद तमिलनाडु में 2017 में एक शख्स जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई। वहीं वर्ष 2018 के सितबंर में राजस्थान के जयपुर में इसका पहली बार रोगी मिला। इसके बाद जीका वायरस ने देश के कई राज्यों में अपने पांव पसार लिए।
जानिए इसकी पहचान के लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक जीका वायरस से संक्रमित रोगी को सिरदर्द होने के साथ ही मसल्स में दर्द होना शुरू हो जाता है। इसके बाद शरीर में चकते पड़ जाते हैं। वहीं लगातार बुखार व जोड़ों में दर्द रहने लग जाता है।
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ऐसे पांव पसारता है जीका
बता दें कि जीका वायरस मच्छरों के जरिए फैलता है। यह मच्छरों के काटने से, असुरक्षित यौन संबंध बनाने से और संक्रमित व्यक्ति का रक्त चढ़ाने से फैलता है। यह किसी प्रेगनेंट महिला के जरिए उसके गर्भ में पल रहे शिशु में भी फैल सकता है। जीका वायरस आमतौर पर एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से फैलता है। इसमें सबसे अहम बात तो ये है कि इस वायरस को केरी करने वाला मच्छर दिन और रात में इंसानों को काटता है। वहीं जीका से संक्रमित व्यक्ति को काटने वाला मच्छर अगर किसी दूसरे इंसान को काटता है तो भी वह जीका से संक्रमित हो जाता है।
ऐसे बचें जीका के कहर से
विशेषज्ञों के मुताबिक जीका वायरस के बचाव के लिए रात्रि में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। वहीं घर में व आस-पास के इलाकों में सफाई रखनी जरूरी है। इसके अलावा असुरक्षित यौन संबंधों के परहेज करें। टॉयलेट सीट को ढक कर रखें। इससे संक्रमित इंसान से दूरी बनाएं। पूरी बाहं के कपड़े पहनें। अगर संक्रमित इंसान के संपर्क में आए हैं तो अपने हाथ साबुन से धोएं व कपड़े बदलें।
जीका वायरस इंसानों के शरीर में एक सप्ताह तक अपना डेरा जमाए रहता है। इसके लक्षण दिखाई देने पर सबसे पहले डॉक्टर के पास जाएं। व अपने रक्त व यूरिन की जांच करवाएं। इससे संक्रमित होने के बाद अधिक मात्रा में लिक्विड लें। भरपूर पानी व फलों के रस का सेवन करें।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)
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