दुनिया भर में 10 मिनट में डिलीवरी का कारोबार सिमट रहा, भारत में भी बिजनेस की टूटी कमर
कोविड-19 के दौरान घर तक डिलीवरी करने का बाजार उफान पर था, अब उतार पर है। कुल मिलाकर दुनियाभर में 10 मिनट में डिलीवरी करने का यह आइडिया अब दम तोड़ रहा है।
10 मिनट में डिलीवरी का कारोबार
कई कंपनियां दीवालिया
मिल्करन से पहले भी 10 मिनट में ऑर्डर डिलीवर करने का दावा करने वाली कई कंपनियां दीवालिया हो चुकी हैं। इनमें से तीन ऑस्ट्रेलिया की ही स्टार्टअप कंपनियां थीं। सेंड नाम की कंपनी पिछले साल मई में बंद हुई। फिर नवंबर में वोली ने कारोबार बंद किया और इसी महीने कोलैब ने खुद को दीवालिया घोषित करने के लिए कागजी कार्रवाई शुरू की है। इसके अलावा जर्मनी कंपनी फूडोरा 2018 में बाजार छोड़ गई थी और ब्रिटिश कंपनी डिलीवरू ने पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में काम बंद कर दिया था।
अपने स्टाफ को भेजे एक ईमेल में मिल्करन के सह-संस्थापक और सीईओ डैनी मिलहैम ने लिखा, बाजार की आर्थिक और पूंजी संबंधी परिस्थितियां लगातार खराब हो रही हैं। हालांकि कंपनी का बिजनेस अच्छा चल रहा है, लेकिन हमें लगता है कि इस माहौल में यही सही फैसला है।
महंगाई का असर नहीं झेल पा रही
साफ तौर पर ये कंपनियां बढ़ती महंगाई का असर नहीं झेल पा रही हैं। जानकारों की मानें तो कोविड-19 के दौरान घर तक डिलीवरी करने का बाजार उफान पर था, अब उतार पर है। कुल मिलाकर दुनियाभर में 10 मिनट में डिलीवरी करने का यह आइडिया अब दम तोड़ रहा है। 2019-20 में जब कोविड के कारण दुनियाभर में लोग घरों में बंद थे, तो सामान की घर-घर डिलीवरी से शुरू हुई लेकिन कोविड खत्म होते-होते ये चलन ठंडा पड़ता गया।
कई कंपनियां ने उस दौर से बिजनेस मॉडल को मौजूदा समय में भी आजमाने की कोशिश की। खाने की डिलीवरी कर रही कंपनियां भी इसमें कूद पड़ीं। ग्राहकों से 10 मिनट में डिलीवरी के वादे किए गए। सवाल तब भी उठे थे, लेकिन कंपनी के अधिकारियों ने बड़े-बड़े दावे सामने रख दिए। लेकिन एक साल बीतते-बीतते कारोबार मंद पड़ गया।
भारत में भी बंद पड़ा कारोबार
भारत में पिछले साल कई बड़ी कंपनियों ने 10-10 मिनट में घर का सामान और खाने की डिलीवरी देना शुरू किया। इनमें जोमैटो जैसी बड़ी कंपनी से लेकर जेप्टो और ब्लिंकिट जैसे स्टार्टअप भी शामिल थे। लेकिन किसी भी कंपनी को बड़ी सफलता नहीं मिली।
इसी साल जनवरी में जोमैटो ने अपनी 10 मिनट की डिलीवरी सर्विस जोमैटो इंस्टैंट को समेट लिया। कंपनी को इस बाजार में न तो विस्तार नजर आ रहा था, न मुनाफा। हालांकि कंपनी ने कहा कि वह अपनी रिब्रांडिंग कर रही है। पिछले साल इकोनॉमिक टाइम्स अखबार ने एक रिपोर्ट में बताया कि उसने इन सेवाओं को अलग-अलग शहरों में आजमाया और बहुत ही खराब नतीजे मिले। रिपोर्ट के मुताबिक, कई बार तो डिलीवरी अगले दिन पहुंची.
उम्मीदें अभी बाकी
हालांकि उम्मीदें अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं। हाल के वर्षों में भारत में ऑनलाइन डिलीवरी का बाजार बहुत तेजी से बढ़ा है और भविष्य में इसके और बढ़ने की संभावना है। रेडसीअर कंपनी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक भारत का हाइपर-लोकल डिलीवरी बाजार 50-60 फीसदी बढ़कर 15 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि 10 मिनट में डिलीवरी सेवा ऑनलाइन डिलीवरी के बाजार का मुख्य इंजन भी हो सकती है।
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