देश में इस साल 10 हजार जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य, जानिए जेनेरिक दवाइयों के बारे में बहुत कुछ

Jan Aushadhi Kendra: पिछले 9 वर्षों में, पीएमबीजेपी के तहत जन औषधि केंद्रों की संख्या में तेजी के साथ बढ़ोतरी हुई है। उनकी संख्या में 100 गुना की वृद्धि हुई है और बिक्री में भी 170 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है।

Jan Aushadhi Kendra

जन औषधि केंद्र

Jan Aushadhi Kendra: आमतौर पर लोगों की सोच होती है कि अगर कोई वस्तु महंगी है तो वह अच्छी होगी और अगर कोई वस्तु सस्ती है तो वह खराब...,लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आपके घर में कोई बीमार होता है तो उसके इलाज और दवाइयों में बहुत पैसे खर्च होते होंगे, लेकिन दवाईयों पर होने वाले खर्चों को बचाया जा सकता है। बता देंं कि भारत में जन औषधि दवाईयों ने अब अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है जो ब्रांडेड दवाईयों की तुलना मे 50 से 90% सस्ती हैं।

फार्मास्युटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई) के सीईओ रवि दधीच ने बताया कि पिछले 9 वर्षों में, पीएमबीजेपी के तहत जन औषधि केंद्रों की संख्या में तेजी के साथ बढ़ोतरी हुई है। उनकी संख्या में 100 गुना की वृद्धि हुई है और बिक्री में भी 170 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। ब्रांडेड दवाइयों की तुलना में लोगों ने इस योजना की मदद से लगभग 20,000 करोड़ रुपये की बचत की है। 31 मई तक देश में कुल 9,484 जन औषधि केंद्र काम कर रहे हैं। साल के अंत तक ऐसे लगभग 10,000 केंद्रों के चालू होने की उम्मीद है।

सभी को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) शुरू की गई थी। इस योजना के तहत, जेनरिक दवाओं के लिए जन औषधि केंद्र के आउटलेट खोले गए, जहां बाजारों मे मिलने वाली ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50-90 प्रतिशत कम कीमत पर बेचे जाते हैं। गुरुग्राम के इस सेंट्रल वेयरहाउस की तस्वीर सामने आई है जहां पर दवाइयों को स्टोरेज किया जाता है। अभी मौजूदा वक़्त मे गुरुग्राम (हरियाणा), चेन्नई, गुवाहाटी और सूरत में स्थित प्रधान मंत्री भारतीय जन औषधि योजना (पीएमबीजेपी) के तहत देश में चार warehouse हैं, जिनमें गुरुग्राम में सेंट्रल warehouse सबसे बड़ा है। दधीच ने बताया कि पीएमबीजेपी 1,800 दवाओं के साथ-साथ 285 सर्जिकल उपकरणों को गुणवत्ता से समझौता किए बिना रियायती कीमतों दवाईयां दे रहा है

दवाओं की गुणवत्ता की बात करें तो दवाओं के प्रत्येक बैच को गोदामों में मिलने के बाद सर्वोत्तम गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए 'नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज' (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में परीक्षण किया जाता है।

जन औषधि दवाएं कैसी होती है

जन औषधि दवाएं, वे दवाएं हैं जिन्हें सरकार एक कंट्रोल रेट पर बेचती है। इस वक़्त देश मे 1800 दवाएं और 250 से ज्यादा सर्जिकल Items मौजूद हैं, जिन्हें इस योजना के तहत सस्ते दामों पर बेचा जा रहा है मार्केट के मुकाबले ये दवाएं सस्ती होती हैं।

पिछले कुछ वर्षों में गुणवत्ता पर हुआ है काम

पिछले कुछ सालों में जन औषधि में बिकने वाली दवाइयों पर काफी रिसर्च और उसकी क्वालिटी पर काम हुआ है। सरकार अब अस्पतालों को यह भी निर्देश दे रही है कि वह जेनेरिक दवाइयों को ही लिखें। पिछले कुछ सालों में लोगों में जेनेरिक दवाई के प्रति भरोसा भी बढ़ रहा है।

ब्रांडेड दवाओं के दामों की तुलना में है करीब 50 से 90% तक फर्क

इस देश में कई ऐसी दवाइयां हैं जो रोजाना लोग खाते हैं। उदाहरण के तौर पर डायबिटीज कंट्रोल करने वाली दवाइयां करोड़ों की संख्या में लोग रोजाना खाते हैं। बाजार में 10 गोली अगर आपको डायबिटीज की 100 या 200 की मिलती है तो वही दवाई जन औषधि स्टोर पर आपको 20 रुपये में मिल जाती हैं। हार्ट रेट कंट्रोल करने वाली Amlodipine (एमलोडिपिन) जन औषधि स्टोर पर केवल पांच रुपए मे मिल जायेगी जो बाजार मे 30 रुपये की है। ऑगमेंटिन के नाम से बिकने वाली एंटीबायोटिक की 6 गोली मार्केट में 122 रुपए की मिलती हैं और वही जनऔषधि स्टोर पर केवल 56 रुपए में मिल जाती है।

जन औषिधि केंद्रो पर सबसे जयादा बिकने वाली दवाईं

जन औषधि स्टोर्स पर इस साल जिन दवाओं की सेल सबसे ज्यादा रही उनमें पहले नंबर पर एसीडिटी की दवा पैंटाप्रेजोल और डोमपेरिडोन का कॉबिनेशन हैं। इसे आप ब्रांड नेम Pan D के नाम से जानते हैं। दूसरे नंबर पर बीपी की दवा टेल्मीसार्टेन, तीसरे नंबर पर ब्लड प्रेशर की दवा एमलोडिपिन , चौथे नंबर पर डायबिटीज की मेटफॉर्मिन, पांचवे नंबर पर ऐसीडिटी की दवा पैंटाप्रेजोल। टॉप टेन दवाओं में मोटे तौर पर दिल की बीमारी, डायबिटीज, पेनकिलर और एसीडिटी की दवाएं हैं। जनऔषधि केंद्र में मिल रही दवाओं और मार्केट में उपलब्ध दवाओं की तुलना करने के लिए अपने स्मार्टफोन में जनऔषधि सुगम नाम का ऐप डाउनलोड कर के दवाओं के दामों की जानकारी ली जा सकती है। अगर किसी ने बी फार्मा किया है और उसके पास 120 स्क्वायर फीट की जगह है तो वह जन औषधि केंद्र खोल सकता है इसके लिए आवेदन किया जा सकता है।

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भावना किशोर author

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मूल की भावना ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIMC से 2014 में पत्रकारिता की पढ़ाई की. 10 सालों से मीडिया में काम कर रही हैं. न्यू...और देखें

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