1971 की ऐतिहासिक पेंटिंग को हटाया नहीं शिफ्ट गया है, विवाद के बीच सेना का आया बयान

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर भारत के सैन्य इतिहास और इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की विरासत को कमजोर करने का आरोप लगाया। कई पूर्व सैन्य अफसरों ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई है।

1971 War

भारत-पाक 1971 युद्ध

1971 War Painting: सेना प्रमुख के लाउंज में 1971 की प्रतिष्ठित पाकिस्तानी सेना के समर्पण वाली पेंटिंग को बदलने को लेकर विवाद के बीच भारतीय सेना ने स्पष्ट किया है कि इसे हटाया नहीं गया है बल्कि दिल्ली के प्रतिष्ठित मानेकशॉ सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया है। बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण को दर्शाने वाली पेंटिंग को लेकर सियासी विवाद हो गया था। सेना प्रमुख के लाउंज में 1971 की इस पेंटिंग की जगह पैंगोंग त्सो, महाभारत-प्रेरित विषयों और आधुनिक युद्ध को प्रदर्शित करने वाली एक नई कलाकृति लगाई गई, जो चीन के साथ उत्तरी सीमा पर भारत के बढ़ते रणनीतिक फोकस को दर्शाती है।

राहुल-प्रियंका ने उठाए सवाललेकिन इससे विवाद खड़ा हो गया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर भारत के सैन्य इतिहास और इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की विरासत को कमजोर करने का आरोप लगाया। कई पूर्व सैन्य अफसरों ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई है। हालांकि, सेना ने स्पष्ट किया कि भारत और विदेश के गणमान्य व्यक्तियों सहित अधिक से अधिक लोगों के सामने प्रदर्शित करने के लिए पेंटिंग को शिफ्ट किया गया है। विजय दिवस पर आयोजित स्थापना समारोह में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, दिग्गजों और सेवारत कर्मियों ने भाग लिया।

सेना ने एक बयान में कहा, यह पेंटिंग भारतीय सशस्त्र बलों की सबसे बड़ी सैन्य जीतों में से एक और सभी के लिए न्याय और मानवता के लिए भारत की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। मानेकशॉ सेंटर नई दिल्ली में रखने से अधिक से अधिक लोग इसे देख सकेंगे। यहां इस ऐतिहासिक पेंटिंग को अधिक संख्या में लोग देख सकेंगे।

दिल्ली छावनी में मानेकशॉ केंद्र एक अत्याधुनिक कन्वेंशन सेंटर है जिसका नाम भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल फील्ड मार्शल एसएचएफजे मानेकशॉ के सम्मान में रखा गया है। 1971 की पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण पेंटिंग भारत की सैन्य ताकत और न्याय और मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का एक शक्तिशाली प्रतीक बनी हुई है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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