Gay Marriage: समलैंगिक विवाह की मांग वाली याचिकाओं का 21 पूर्व जजों ने किया विरोध, कहा-पश्चिम का कैंसर
supreme court on gay marriage: समलैंगिक विवाह की मांग वाली याचिकाओं का 21 पूर्व जजों के किया विरोध, कहा पश्चिम के कैंसर को भारत में थोपने की साजिश है
सुप्रीम कोर्ट
आइए जानते हैं कि इन पूर्व जजों ने समलैंगिक विवाह के विरोध में क्या तर्क दिए हैं-
1. समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से भारतीय समाज में विपरीत असर पड़ेगा
2. आजाद भारत में सदियों पुरानी संस्कृति पर पाश्चात्य सभ्यता को थोपने की कोशिश है समलैंगिक विवाह व्यवस्था
3. पश्चिमी देशों में कैंसर समान फैल चुके समलैंगिक विवाह को चुनने के अधिकार की स्वतंत्रता के नाम पर भारत की न्यायपालिका का दुरुपयोग करके आयात करने की कोशिश हो रही है.
4. अमेरिका जैसे देश में 2019-20 एचआईवी एड्स के जो मामले सामने आए उनमें 70 फीसदी समलैंगिक पुरुषों में थे. व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से एचआईवी एड्स के रोगियों में भी बढ़ोतरी होगी.
5. कई अध्ययन में ये पाया गया है कि समलैंगिक जोड़ों द्वारा गोद लिए हुए बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
6. सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने के बाद मौजूदा गोद लेने और उत्तराधिकार से जुड़े पर्सनल लॉ की परिभाषा ही बदल जायेगी।
7. समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से पूरे मानव सभ्यता के क्रमिक विकास और सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता पर बुरा असर पड़ेगा।
8. पूर्व जजों ने पत्र के माध्यम से निवेदन किया है कि सुप्रीम कोर्ट से जुड़े जो भी लोग समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं से जुड़े उन्हें भारतीय समाज और सभ्यता के भले के लिए खुद को इससे अलग कर लेना चाहिए
हस्ताक्षर करने वाले जजों के नाम
1. एसएन झा, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय
2. एमएम कुमार, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय
3. एसएम सोनी, पूर्व न्यायाधीश, गुजरात हाईकोर्ट और लोकायुक्त गुजरात
4.नरेंद्र कुमार, पूर्व कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय
5. एसएन ढींगरा, पूर्व न्यायाधीश, दिल्ली उच्च न्यायालय
6. बी शिवशंकर राव, पूर्व न्यायाधीश, तेलंगाना उच्च न्यायालय
7. आरएस राठौर, पूर्व न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय
8. केके त्रिवेदी, पूर्व न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय
9.डीके पालीवाल, पूर्व न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय
10. प्रत्यूष कुमार, पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय
11. रमेश कुमार मेरठिया, पूर्व न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय
12. कर्म चंद पूरी, पूर्व न्यायाधीश, हरियाणा पंजाब उच्च न्यायालय
13. श्रीमती राज राहुल गर्ग, पूर्व न्यायाधीश, हरियाणा पंजाब उच्च न्यायालय
14. राकेश सक्सेना,पूर्व न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय
15. बीके दुबे, ,पूर्व न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय
16. एमसी गर्ग, ,पूर्व न्यायाधीश, दिल्ली उच्च न्यायालय
17. राजेश कुमार,पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय
18. सुनील हाली, पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय
19. राजीव लोचन, ,पूर्व न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय
20. पीएन रवींद्रन, पूर्व न्यायाधीश, केरल उच्च न्यायालय
21. लोकपाल सिंह, पूर्व न्यायाधीश, उत्तराखंड उच्च न्यायालय
केंद्र सरकार भी जता चुकी है विरोध
समलैंगिक विवाह को मंजूरी की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करके सभी 15 याचिकाओं का विरोध जता चुकी है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामें ने कहा है कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी नही दी जा सकती क्योंकि ये भारतीय परिवार की अवधारणा के खिलाफ है। भारतीय परिवार की पहचान पति-पत्नी और उनसे पैदा हुए बच्चों से होती है।
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टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पे...और देखें
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