26/11 Mumbai Attacks: आतंकियों की लाश दफनाने से मौलवियों ने कर दिया था इंकार, आधी रात को मुंबई पुलिस ने ऐसे किया अंतिम संस्कार
26/11 Mumbai Attacks: 26 नवंबर 2008 का दिन भारतीय इतिहास में एक काला दिन है। लश्कर-ए-तौयबा के 10 आतंकियों ने तीन दिन तक मुंबई में सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतारा था। पुलिस और एनएसजी के ऑपरेशन में नौ आतंकियों मारे गए और एक आतंकी को गिरफ्तार किया गया था। नौ आतंकियों की लाश को मौलवियों ने दफनाने से इंकार कर दिया था। जानिए कैसे दफनाई गई इन आतंकियों की लाश।
26/11 Mumbai Attacks
- 26 नवंबर को है मुंबई आतंकी हमले की 14वीं बरसी।
- 10 आतंकियों ने तीन दिन तक मुंबई को दहलाया था।
- नौ आतंकियों की लाश को दफनाने से मौलवियों ने किया था इंकार।
मुंबई पुलिस के पूर्व कमिशनर राकेश मारिया ने अपनी किताब Let me say it now में बताया है कि आतंकवादियों की लाश को किस तरह दफनाया गया था। राकेश मारिया ने लिखा, 'पाकिस्तान आतंकियों के शव को लेने को तैयार नहीं था। मुस्लिम कब्रिस्तान में काम कर रहे लोगों ने जगह देने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि इन्होंने ऐसा काम किया है जिसकी इस्लाम में इजाजत नहीं है। हमने नेवी से प्रार्थना की कि इन आतंकवादियों को समुद्र में दफना दिया जाए लेकिन, उन्होंने भी मना कर दिया। मेडिकल स्कूल के लिए भी ये शव किसी काम के नहीं थे, क्योंकि वह बुरी तरह से सड़ गए थे।'
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बीत गया था एक साल
राकेश मारिया आगे लिखते हैं, 'एक साल बीत गया था और आर.आर.पाटिल एक बार फिर गृहमंत्री बने। इसके बाद मैंने एडिशनल कमिशनर ऑफ पुलिस और ऑफिसर की टीम के साथ लाश को दफनाने के लिए एक ऑपरेशन तैयार किया। हमने गृह सचिव चंद्रा अयंगर और आर.आर.पाटिल के साथ सारी डिटेल शेयर की थी। आखिरी वक्त में हमने एक मस्जिद के मौलवी से संपर्क किया और वह लाश दफनाने के लिए तैयार हो गए थे। हमने मुर्दाघर के गार्ड को भी भनक नहीं लगने दी। ताबूत भी अलग-अलग डीलर से मंगवाए गए थे। इसके बाद बॉडी को प्राइवेट एंबुलेंस में रखा गया।'
मौलवी की आंखों में बांधी थी पट्टी
बकौल राकेश मारिया, 'मौलवी को आधी रात एक प्राइवेट कार से लाया गया, उनकी आंखों में पट्टी बंधी हुई थी। उन्हें एक सुनसान जगह पर ले जाया गया, जो लाशें दफनाने के लिए मैंने पहले से ही चुनी थी। सुबह से क्राइम ब्रांच के लोग उनके लिए कब्र खोद रहे थे। मैं खुद निगरानी कर रहा था कि कब्र बहुत गहरी खुदी हो। मौलवी के आंखों से पट्टी खोली गई। उन्होंने जनाजे की दुआ पढ़ी और उनका अंतिम संस्कार किया। मौलवी की आंखों में फिर पट्टी बांधी गई और उसी कार से उन्हें वापस छोड़ दिया गया।'
राकेश मारिया आगे लिखते हैं, 'कुछ महीनों बाद एक दिन राज्य विधानसभा में ये मुद्दा उठाया गया। गृहमंत्री ने सदन को इस ऑपरेशन के बारे में बताया। गृहमंत्री ने कहा कि सुरक्षा कारणों से कब्रों की लोकेशन के बारे में नहीं बताया जा सकता है।'
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शिवम् पांडे सिनेमा के आलावा राजनीति, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों में खास रुचि है। पत्रकारिता में लगभग सात साल का अनुभव रखने वाले शिवम् पांडे बॉ...और देखें
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