26/11 Mumbai attack : NSG से पहले होटल ताज पहुंचे थे नेवी के मार्कोस कमांडो, अंधेरे में तीर चलाने जैसा था काम
26/11 Mumbai attack : मुंबई हमले में एनएसजी के 'ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो' की चर्चा तो बहुत होती है लेकिन हमलों के बाद नौसेना के मार्कोस कमांडोज ने जिस बहादुरी, शौर्य एवं पराक्रम का परिचय दिया उस ओर लोगों का ध्यान कम ही जाता है। होटल ताज में एनएसजी कमांडोज के पहुंचने से पहले वहां मार्कोस कमांडोज ने मोर्चा संभाला था।
अनजान इलाकों में सफलतापूर्वक अभियान चलाते हैं मार्कोस कमांडो।
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NSG से पहले होटल ताज पहुंचे थे मार्कोस कमांडो
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मुंबई हमले में एनएसजी के 'ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो' की चर्चा तो बहुत होती है लेकिन हमलों के बाद नौसेना के मार्कोस कमांडोज ने जिस बहादुरी, शौर्य एवं पराक्रम का परिचय दिया उस ओर लोगों का ध्यान कम ही जाता है। होटल ताज में एनएसजी कमांडोज के पहुंचने से पहले वहां मार्कोस कमांडोज ने मोर्चा संभाला था। हरियाणा के मानेसर से एनएसजी के वहां पहुंचने तक मार्कोस कमाडोज आतंकवादियों से लोहा लेते रहे। एनएसजी के ऑपरेशन के लिए उन्होंने एक जमीन तैयार कर दी थी। अपने अभियान में मार्कोस कमांडोज ने शानदार काम किया। होटल ताज और टाइड्रेंट दोनों जगहों से उन्होंने 300 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। एनएसजी के पहुंचने के बाद मार्कोस ने अभियान की कमान उन्हें सौंप दी। इसके बाद अभियान के बचे हुए काम को एनएसजी ने सफलतापूर्वक पूरा किया।
राकेश मारिया बोले-हालात उनके हाथ से बाहर हो चुके हैं
दरअसल, मुंबई पर जब आतंकी हमला हुआ तो उस समय के मुंबई पुलिस के प्रमुख राकेश मारिया ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव जॉनी जोसेफ को फोन किया और उन्हें हमलों के बारे में जानकारी दी। मारिया ने उन्हें बताया कि हालात उनके हाथों से बाहर चले गए हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए मुख्य सचिव ने रियर एडमिरल एमपी मुरलीधरन से मदद मांगी। एडमिरल ने कहा कि ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए उनके पास खास तरह के मरीन कमांडोज हैं। कुछ ही समय में मार्कोस कमांडोज आईएनएस अभिमन्यू पर पहुंच गए।
घातक हथियारों से लैस होते हैं मार्कोस कमांडोज
मार्कोस कमांडोज को अनजान इलाकों में शानदार एवं सफल ऑपरेशन के लिए जाना जाता है। इसके जांबाज जवान एके-47, एमपी-5 मशीन गन और 9 एमएम पिस्टल से लैस होते हैं। ये इकलौता ऐसा सैन्य दल था जिसे आतंकवादियों से निपटने के लिए खास तरह की ट्रेनिंग दी गई थी। मार्कोस कमांडो की एक टुकड़ी होटल ताज और दूसरी होटल ट्राइडेंट रवाना हुई। मुंबई पर हमले 26 नवंबर को रात नौ बजकर 20 मिनट के करीब शुरू हुए। मार्कोस 27 नवंबर की रात करीब दो बजे पहुंचे। काउंटर टेररिस्ट विशेषज्ञों के मुताबिक स्पेशल फोर्सेज को हमला होने के आधे घंटे के भीतर पहुंचना होता है लेकिन मार्कोस कमांडोज करीब पांच घंटे देरी से पहुंचे।
होटल पहुंचने पर कमांडोज को होटल का नक्शा दिया गया
ताज होटल पहुंचने के बाद मार्कोस के कमांडोज को जमीनी हालात के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी मिली लेकिन आतंकवादियों और होटल में मौजूद लोगों के बारे में जानकारी पुख्ता नहीं थी। ताज के मैनेजर ने कमांडोज को कागज के एक टुकड़े पर होटल के ले आउट के बारे में जानकारी दी लेकिन इससे कमांडोज को कुछ खास मदद नहीं मली। नक्शा लेने के बाद मार्कोज के कमांडो होटल में दाखिल होना शुरू हुए। होटल के सेक्युरिटी मैनेजर कमांडोज के साथ थे। सबसे पहले होटल के रसोई में से गोली चलने की आवाज आई। गोली की आवाज सुनने के बाद मार्कोस ने वहां पोजीशन ले ली। इसी दौरान आतंकवादियों की ओर से उन्हें निशाना बनाते हुए एक ग्रेनेड फेंका गया लेकिन वह फटा नहीं। इसके बाद आतंकवादी अलग-अलग दरवाजों से वहां से भाग निकले।
सबसे बड़ी चुनौती लोगों को बाहर निकालना था
मार्कोस कमांडोज की सबसे बड़ी चुनौती होटल में फंसे लोगों को बाहर निकालना था। कमांडोज ने जब अपना ऑपरेशन जब शुरू किया तो उस समय करीब 200 लोग होटल के अंदर थे। रणनीति लोगों को सुरक्षित बाहर निकाले जाने की थी क्योंकि आतंकवादियों से बाद में भी निपटा जा सकता था। ऑपरेशन के दौरान ही मीडिया ने लाइव रिपोर्टिंग के दौरान मार्कोस कमांडोज की लोकेशन जाहिर कर दी। ये जानकारी आतंकवादियों को उनके आकाओं के जरिए पहुंच गई। वे नीचे आकर लोगों की तलाश करने लगे। ठीक इसी समय मरीन कमांडोज होटल के अंदर दाखिल हुए। इस दौरान दोनों के बीच भीषण गोलीबारी हुई। मार्कोस कमांडोज ने आतंकियों को पीछे धकेला और करीब 150 लोगों को होटल से बाहर निकाला।
लोगों का बाहर निकाला जाना एक टर्निंग प्वाइंट था
लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जाना इस ऑपरेशन का यह बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट था। ताज होटल में ऑपरेशन चल ही रहा था कि थोड़ी देर बार मार्कोस कमांडो की एक और टीम होटल ट्राइडेंट पहुंची। यहां भी किसी को पता नहीं था कि आतंकवादी कहां छिपे हैं। कमांडोज के पास उन्हें ढूंढने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। कुछ समय बाद मार्कोस की दो अन्य टीमें जिनमें आठ-आठ कमांडो थे, होटल ताज पहुंचीं। इनमें से दो टीमें जख्मी लोगों को होटल से बाहर निकाल रही थीं और एक टीम आतंकवादियों की तलाश में जुट गई। उधर, होटल ट्राइडेंट में फंसे 200 लोगों को मार्कोस कमांडो ने बाहर निकाल लिया।
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