संभल हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन, दो महीने का दिया समय

आयोग इस बात पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा कि घटना सुनियोजित थी या अचानक हुई, और जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा की गई कानून-व्यवस्था की प्रभावशीलता पर भी रिपोर्ट पेश करेगा।

Sambhal violence

संभल हिंसा की होगी जांच

Sambhal stone-pelting- उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने संभल में पथराव की घटना की जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है। आदेश के अनुसार, आयोग के अन्य दो सदस्य सेवानिवृत्त आईएएस अमित मोहन प्रसाद और सेवानिवृत्त आईपीएस अरविंद कुमार जैन होंगे। जांच के लिए 60 दिनों का समय दिया गया है। 24 नवंबर को मुगलकालीन मस्जिद की एएसआई की जांच के दौरान पथराव की घटना हुई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और अधिकारियों और स्थानीय लोगों सहित कई अन्य घायल हो गए थे।

आदेश में क्या-क्या कहा गया

आदेश में कहा गया है, राज्यपाल का मानना है कि अदालत द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में 24 नवंबर को कस्बा संभल, थाना-कोतवाली संभल, जिला-संभल में विवादित जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर स्थल के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसक घटना के संबंध में जनहित में जांच कराना आवश्यक है, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए, चार लोगों की जान चली गई और विभिन्न संपत्तियों को नुकसान पहुंचा।

इसमें कहा गया है, अब मामले की व्यापकता को देखते हुए और जांच की पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, जांच आयोग अधिनियम, 1952 (अधिनियम संख्या 60, 1952) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राज्यपाल एतद्द्वारा न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार अरोड़ा (सेवानिवृत्त), उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की अध्यक्षता में निम्नलिखित तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन करते हैं।

आदेश के अनुसार, आयोग इस बात पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा कि घटना सुनियोजित थी या अचानक हुई, और जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा की गई कानून-व्यवस्था की प्रभावशीलता पर भी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। आदेश में कहा गया है कि आयोग 24 नवंबर को हुई घटना की जांच करेगा और इस बात पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा कि घटना अचानक हुई थी या सुनियोजित थी और क्या यह किसी आपराधिक साजिश का परिणाम थी। घटना के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा की गई व्यवस्था और संबंधित अन्य पहलुओं की जांच करेगा। आदेश में कहा गया है कि आयोग के पास अपनी जांच पूरी करने के लिए इस अधिसूचना की तारीख से दो महीने का समय है, जब तक कि सरकार इसका कार्यकाल बढ़ाने का निर्णय नहीं लेती। (एएनआई)

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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