400 घंटे, 17 दिन, एजेंसियों की कड़ी मेहनत, फिर उत्तराखंड सुरंग से निकलीं 41 जिंदगियां
Uttarakhand Tunnel Operation : युद्ध स्तर पर किए जा रहे राहत एवं बचाव कार्य पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीबी नजर बनाए हुए थे और सुरंग में कार्य प्रगति की लगातार समीक्षा कर रहे थे। श्रमिकों के सकुशल वापसी के लिए देश भर में करोड़ों लोगों ने प्रार्थनाएं कीं।

मंगलवार रात को सभी 41 श्रमिकों को सुरंग से बाहर निकाला गया।
Uttarakhand Tunnel Operation : उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में गत 12 नवंबर को हुए हादसे में 41 श्रमिक उसमें फंस गए। मलबे में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए एक-एक कर भारत की एजेंसियां, विदेशों के एक्सपर्ट और फिर भारतीय सेना को उतरना पड़ा। मलबे में ड्रिलिंग के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन से खुदाई हुई। बचाव के कई प्लान तैयार किए गए। राहत एवं बचाव कार्य के इन 17 दिनों में कई बार लोगों के मन में आशंकाएं भी उठीं लेकिन एजेंसियों का जज्बा एवं हौसला जरा भी कम नहीं हुआ। उन्होंने ठान लिया था कि श्रमिकों को बाहर निकालकर ही दम लेना है। सिलक्यारा सुरंग हादसे पर विजय जज्बे एवं हौसले की जीत है।
प्रार्थना में उठे करोड़ों हाथ
युद्ध स्तर पर किए जा रहे राहत एवं बचाव कार्य पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीबी नजर बनाए हुए थे और सुरंग में कार्य प्रगति की लगातार समीक्षा कर रहे थे। श्रमिकों के सकुशल वापसी के लिए देश भर में करोड़ों लोगों ने प्रार्थनाएं कीं। जगह-जगह यज्ञ एवं विशेष पूजा-पाठ का आयोजन हुआ।
'वॉर रूम' और 21 से अधिक एजेंसियां
सिलक्यारा सुरंग हादसे पर दुनिया भर की नजर थी। सुरंग से 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालकर भारत ने अपनी काबिलियत एवं ताकत का लोहा फिर से मनवाया है। पहाड़ का चीना सीनकर असंभव सा लगने वाले लक्ष्य को भारतीय एजेंसियों ने पूरा किया। सिलक्यारा सुरंग संकट पर जज्बे, हौसले, धैर्य एवं सूझबूझ की जीत हुई है। रेस्क्यू ऑपरेशन को सही एवं असरदार तरीके से संचालित करने के लिए केंद्र सरकार ने 'वॉर रूम' तैयार किया। बचाव कार्य में केंद्र और राज्य सरकार की 21 से अधिक एजेंसियों ने दिन-रात मेहनत की।
इन एजेंसियों ने संभाला मोर्चाराहत एवं बचाव कार्य में एनडीआरएफ, बीआरो से लेकर भारत एवं राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों ने अपना योगदान दिया। टेलीकम्यूनिकेशन विभाग, आर्मी, एयरफोर्स, तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड, सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड, रेल विकास निगम लिमिटेड, राष्ट्रीय राजमार्ग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निगम लिमिटेड, एनआईडीएम और टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड जैसी एजेंसियों की सेवाएं ली गईं। इन एजेंसियों के सुझाव एवं परामर्श को बचाव कार्य में शामिल किया गया।
ऑस्ट्रेलियाई अर्नाल्ड डिक्स का योगदान
यही नहीं भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के 150 से ज्यादा कर्मियों की टीम दिन-रात लगी रही। अमेरिकी ऑगर मशीन के टूट जाने पर सेना को रेस्क्यू के काम में लगाया गया। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ एवं ऑस्ट्रेलिया के नागरिक अर्नाल्ड डिक्स घटनास्थल पर पहुंचे और उनके महत्वपूर्ण सुझावों पर काम हुआ। कुल मिलाकर सिलक्यारा सुरंग संकट पर सामूहिक नेतृत्व एवं प्रयास की जीत हुई।
लोगों के जज्बे को सलाम करता हूं-पीएम
सिलक्यारा अभियान की सफलता के प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक्स' पर अपने एक पोस्ट में कहा, ‘मैं इस बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को सलाम करता हूं। उनकी बहादुरी और संकल्पशक्ति ने हमारे श्रमिक भाइयों को नया जीवन दिया है । इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीमवर्क की एक अदभुत मिसाल पेश की है। लंबे इंतजार के बाद अब हमारे ये साथी अपने प्रियजनों से मिलेंगे।’
विज्ञान के साथ आस्था का सहारा
अभियान की सफलता की कामना के लिए विज्ञान के साथ ही आस्था का भी सहारा लिया गया । सिलक्यारा के आसपास के ग्रामीणों और श्रमिको के परिजनों ने ईश्वर से अपनों के सकुशल बाहर आने की प्रार्थना की । इसके साथ ही मुख्यमंत्री धामी, केंद्रीय मंत्री सिंह और बचाव कार्यों में सहयोग के लिए बुलाए गए ‘इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन’ के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स ने भी सुरंग के बाहर बने स्थानीय देवता बौखनाग मंदिर में सिर झुकाकर श्रमिकों को सकुशल वापसी के लिए ईश्वर से आशीर्वाद मांगा।
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