Silkyara Tunnel: 240 घंटे से सुरंग में फंसे हैं 41 मजदूर, आज नए सिरे से ड्रिलिंग, रोबोट भी काम पर लगे
बचावकर्मियों को सोमवार को सिलक्यारा सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में ड्रिलिंग कर मलबे के आर-पार 53 मीटर लंबी छह इंच व्यास की पाइपलाइन डालने में कामयाबी मिल गई।
सिलक्यारा सुरंग
Uttarkashi Tunnel: पिछले 10 दिनों यानि 240 घंटों से अधिक समय से सिलक्यारा के निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों तक पहुंचने के लिए बचाव अधिकारी मंगलवार दोपहर से वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू कर सकते हैं। सिल्कयारा छोर से दोपहर 2 बजे वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू होने की उम्मीद है। मलबे और सुरंग के शीर्ष के बीच के अंतर का अध्ययन करने के लिए सुरंग स्थल पर दो बार ड्रोन सर्वेक्षण का प्रयास किया गया था। लेकिन रुकावट के कारण यह मलबे के ऊपर 28 मीटर से आगे नहीं जा सका और एक ड्रोन क्षतिग्रस्त हो गया।
रोबोट मलबे के कारण सुरंग की ढलान पर नहीं चढ़ सका
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा तैनात एक रोबोट मलबे के कारण सुरंग की ढलान पर नहीं चढ़ सका। पाइप ड्रिलिंग मशीन के लिए सुरक्षा छतरी का निर्माण शुरू हो गया है। बरमा मशीन का उपयोग करके पाइप को धकेलना एक साथ शुरू किया गया और मंगलवार की सुबह शुरू हुआ। नौ बॉक्स खंड रखे गए हैं और अतिरिक्त बॉक्स कलवर्ट लगाने का काम सुबह से ही शुरू हो गया है।
सिलक्यारा सुरंग में मलबे में छह इंच की पाइप आर-पार
वहीं, बचावकर्मियों को सोमवार को सिलक्यारा सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में ड्रिलिंग कर मलबे के आर-पार 53 मीटर लंबी छह इंच व्यास की पाइपलाइन डालने में कामयाबी मिल गयी जिसके जरिए पिछले आठ दिनों से सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को ज्यादा मात्रा में खाद्य सामग्री, संचार उपकरण और अन्य जरूरी वस्तुएं पहुंचाई जा सकेंगी और शायद उनके सजीव दृश्य भी देखे जा सकेंगे।
इससे पहले, यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग के एक हिस्से के ढहने से फंसे श्रमिकों तक आक्सीजन, हल्की खाद्य सामग्री, मेवे, दवाइयां और पानी पहुंचाने के लिए चार इंच की पाइप का इस्तेमाल किया जा रहा था। दूसरी 'लाइफ लाइन' कही जा रही इस पाइपलाइन के जरिए अब श्रमिकों तक दलिया और खिचड़ी भी भेजी जा सकेगी। राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के निदेशक अंशु मनीष खाल्को, उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला और सुरंग के भीतर संचालित बचाव अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने संयुक्त रूप से मीडिया को यह जानकारी दी।
खाल्को ने कहा कि पिछले कई दिनों से चल रहे बचाव अभियान में यह पहली कामयाबी है। हमने मलबे के दूसरी ओर तक 53 मीटर की पाइप भेज दी है और श्रमिक अब हमें सुन सकते हैं और महसूस कर सकते हैं। कर्नल पाटिल ने कहा कि पहली उपलब्धि, बड़ी उपलब्धि । अगला कदम इससे ज्यादा महत्वपूर्ण और सर्वाधिक महत्वपूर्ण है-और वह है उन्हें सुरक्षित और प्रसन्न बाहर निकालना। फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने के अन्य रास्तों की संभावना खोजने के लिए अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से ड्रोन और रोबोट भी मौके पर लाए गए हैं।
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