Jnanpith Award 2023: गुलजार और रामभद्राचार्य को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा, एक उर्दू तो एक संस्कृत के हैं विद्वान
Jnanpith Award 2023: वर्ष 1961 में स्थापित ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष दिया जाता है। पुरस्कार में 21 लाख रुपये की पुरस्कार राशि, वाग्देवी की एक प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
गुलजार और रामभद्राचार्य को मिलेगा 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार (फोटो- फेसबुक)
Jnanpith Award 2023: देश के मशहूर उर्दू कवि गुलजार को और संस्कृत के प्रकांड विद्वान रामभद्राचार्य को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।ज्ञानपीठ चयन समिति ने शनिवार इस पुरस्कार के बारे में घोषणा की है। ज्ञानपीठ चयन समिति ने एक बयान में कहा कि यह पुरस्कार (2023 के लिए) दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है - संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार।
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कौन हैं गुजलार
गुलजार के नाम से मशहूर संपूर्ण सिंह कालरा हिंदी सिनेमा में अपने कार्य के लिए पहचाने जाते हैं और वर्तमान समय के बेहतरीन उर्दू कवियों में शुमार हैं। इससे पहले गुलजार को उर्दू में अपने कार्य के लिए 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कम से कम पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं। उनके कुछ बेहतरीन कार्यों में फिल्म स्लमडॉग मिलयेनियर का गीत जय हो शामिल है, जिसे 2009 में ऑस्कर पुरस्कार और 2010 में ग्रैमी पुरस्कार मिला। समीक्षकों ने प्रशंसित फिल्मों जैसे माचिस (1996), ओमकारा (2006), दिल से (1998) और गुरु (2007) सहित अन्य फिल्मों में गुलजार के गीतों को सराहा। गुलजार ने कुछ सदाबहार पुरस्कार विजेता फिल्मों का भी निर्देशन किया, जिनमें कोशिश (1972), परिचय (1972), मौसम (1975), इजाजत (1977) और टेलीविजन धारावाहिक मिर्जा गालिब (1988) शामिल हैं।
कौन हैं रामभद्राचार्य
रामभद्राचार्य रामानंद संप्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानंदाचार्यों में से एक हैं और 1982 से इस पद पर हैं। 22 भाषाओं पर अधिकार रखने वाले रामभद्राचार्य ने संस्कृत, हिंदी, अवधी और मैथिली सहित कई भारतीय भाषाओं में रचनाओं का सृजन किया है। 2015 में उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार मिला।
क्या है ज्ञानपीठ पुरस्कार
वर्ष 1961 में स्थापित ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष दिया जाता है। पुरस्कार में 21 लाख रुपये की पुरस्कार राशि, वाग्देवी की एक प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं का निर्णय ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रतिभा राय की अध्यक्षता में एक चयन समिति द्वारा किया गया। यह पुरस्कार संस्कृत भाषा के लिए दूसरी बार और उर्दू भाषा के लिए पांचवीं बार दिया जा रहा है।
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